Jammu Kashmir : इन शारदीय नवरात्रों में हाथी पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा, जानें कब है कौन-कौन सी तिथि
इस वर्ष 26 सितंबर सोमवार शरद नवरात्र का आरंभ सोमवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार दुर्गा का वाहन हाथी होगा। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वो अपने साथ ढ़ेरों सुख-समृद्धि लेकर आती हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता : इस वर्ष आश्विन शरद नवरात्र 26 सितंबर सोमवार से प्रारंभ हो रहे हैं।26 सितंबर सोमवार घटस्थापना, कलशस्थापना, ज्योति प्रज्वलन करें तथा देवी दुर्गा की साख लगाने के लिए सुबह 06.25 सूर्योदय के बाद पूरा दिन शुभ है। सुबह सुबह घटस्थापना, कलशस्थापना, ज्योति प्रज्वलन कर लेना चाहिए। इस बार शरद नवरात्र आश्विन शुक्लपक्ष प्रतिपदा का आरम्भ सोमवार को हस्त नक्षत्र, शुक्ल योग किस्तुघ्न करण तथा कन्या राशि के गोचर काल के समय में हो रहा है। श्री दुर्गाष्टमी 03 अक्टूबर सोमवार और महानवमी 04 अक्टूबर मंगलवार को है, जबकि 05 अक्टूबर बुधवार को विजयदशमी, दशहरा मनाया जाएगा।
आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से आश्विन शुक्ल पक्ष नवमी तिथि तक यह व्रत किए जाते हैं। इस महापर्व में मां भगवती के नौ रूपों क्रमशः शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धदात्री देवी की पूजा की जाती है।
नवरात्र में किस दिनांक को कौन कौन सी तिथि
- प्रतिपदा 26 सितंबर- सोमवार
- द्वितीया 27 सितंबर- मंगलवार
- तृतीया 28 सितंबर- बुधवार
- चतुर्थी 29 सितंबर- गुरुवार
- पंचमी 30 सितंबर- शुक्रवार
- षष्ठी . 1 अक्टूबर- शनिवार
- सप्तमी. 2 अक्टूबर- रविवार
- अष्टमी 3 अक्टूबर- सोमवार
- नवमी 4 अक्टूबर- मंगलवार
- दशमी 5 अक्टूबर- बुधवार
इन दिनों भगवती दुर्गा का पूजन, दुर्गा सप्तशती का पाठ स्वयं या विद्वान पण्डित जी से करवाना चाहिए। आश्विन शरद नवरात्र के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री, ज्योतिषाचार्य ने बताया कि रविवार और सोमवार को प्रथम पूजा यानी कलश स्थापना होने पर मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं। शनिवार और मंगलवार को कलश स्थापना होने पर माता का वाहन घोड़ा होता है। गुरुवार और शुक्रवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता डोली पर चढ़कर आती हैं, जबकि बुधवार के दिन कलश स्थापना होने पर माता नाव पर सवार होकर आती हैं।
इस वर्ष 26 सितंबर सोमवार शरद नवरात्र का आरंभ सोमवार के दिन हो रहा है। ऐसे में देवीभाग्वत पुराण के कहे श्लोक के अनुसार दुर्गा का वाहन हाथी होगा। मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आती हैं तो वो अपने साथ ढ़ेरों सुख-समृद्धि लेकर आती हैं। साथ ही यह इस बात का भी संकेत होता है कि इस बार वर्षा अधिक होगी। जिससे फसलों की पैदावार अच्छी होगी चारों ओर हरियाली का वातावरण रहेगा।
गृहस्थ व्यक्ति नवरात्र के इन दिनों में भगवती दुर्गा की पूजा आराधना कर अपनी आन्तरिक शक्तियों को जागृत करते हैं। इन दिनों में साधकों के साधन का फल व्यर्थ नहीं जाता है। इन दिनों में दान पुण्य का भी बहुत महत्व कहा गया है।
नवरात्रों के दिनों में किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए। प्याज, लहसुन, अंडे और मांस-मदिरा आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए। नाखून, बाल आदि नहीं काटने चाहिए, भूमि पर शयन करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। किसी के प्रति द्वेष की भावना नहीं रखनी चाहिए। चमड़े की चप्पल, जूता, बेल्ट, पर्स, जैकेट आदि नहीं पहनना चाहिए और कोई भी पाप कर्म करने से आप और आपके भविष्य पर भी दुष्परिणाम होते है।
नवरात्रों के दौरान सेहत के अनुसार ही व्रत रखें इन दिनों में फल आदि का सेवन ज्यादा करें रोजाना सुबह और शाम को मां दुर्गा का पाठ अवश्य करें।