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    Jammu : कोट भलवाल जेल में चोरी छिपे जेल में चल रहे ‘बड़े खेल’, जेल प्रशासन पर उठने लगे सवाल

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Tue, 14 Jun 2022 09:03 AM (IST)

    कोटभलवाल जेल से सुरंग निकाल कर जेल से बाहर भागने की घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। दो मौकों पर तो आतंकी सुरक्षा बंदोबस्त को तोड़ दीवार फांद चुके हैं। ...और पढ़ें

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    मसूद तो बच गया लेकिन सुंरग के भीतर आतंकी सज्जाद अफगानी को सीआरपीएफ ने मार गिराया।

    जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू स्थित कोट भलवाल जेल पूरे देश की अतिसंवेदनशील जेलों में शामिल है। जेल में पाकिस्तान और कश्मीर के कई कुख्यात आतंकी और अलगाववादी बंद हैं। सोमवार को जेल में मोबाइल फोन बरमाद होने के बाद यहां की सुरक्षा पर फिर से सवाल उठने लगे हैं।

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    बता दें कि कई बार यहां जेल से कैदी भागे भी हैं। मोबाइल फोन, हथियार या अन्य आपत्तिजनक वस्तुओं का बरामद होना कोई नई बात नहीं है। इससे पूर्व कई बार जेल में बंद आतंकी मोबाइल फोन का प्रयोग करते हुए पाए गए हैं। इसके अलावा जम्मू के गैंगस्टर रायल सिंह जेल में बंद रहने के दौरान फोन पर फिरौती का धंधा चला रहा था। जेल में छापे के दौरान कई ऐसी पुस्तकें भी बरामद हुई थी जो युवाओं को आतंक की राह पर चलने के लिए उकसाती थी।

    जेल से बाहर भागने की घटनाएं हो चुकीं : कोट भलवाल जेल से सुरंग निकाल कर जेल से बाहर भागने की घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। दो मौकों पर तो आतंकी सुरक्षा बंदोबस्त को तोड़ दीवार फांद चुके हैं। एक बार हिजबुल मुजाहिदीन कमांडर इरफान ने 1998 में अपने दो साथियों के साथ जेल से भाग गया था। वह 15 अगस्त 1995 को स्टेडियम में बम ब्लास्ट का आरोपित था, जिसमें जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल केवी कृष्णा राव बुरी तरह जख्मी हुए थे। आठ लोग मारे गए थे और 50 अन्य घायल हुए थे। इस प्रकार जून 1999 में दूसरा जेल ब्रेक जैश के ही मौलाना मसूद अजहर ने अंजाम दिया था। आतंकवादियों ने मिलकर बैरक में सैप्टिक टैंक के जरिए 180 फीट की सुरंग बनाई थी। बस इन आतंकवादियों से यह गलती हो गई कि ये सुरंग थोड़ी संकरी थी और मौलाना मसूद अजहर मोटा। इस वजह से मसूद भाग नहीं सका। इस दौरान मसूद तो बच गया लेकिन सुंरग के भीतर आतंकी सज्जाद अफगानी को सीआरपीएफ ने मार गिराया।

    मसूद अजहर की रिहाई पर सुर्खियों में आई थी जेल : कोट भलवाल जेल सबसे पहले उस समय चर्चा में आई थी जब इंडियन एयरलाइन की फ्लाइट आइसी 814 के अपहरणकर्ताओं ने मसूद अजहर की रिहाई की मांग की थी। वर्ष 1999 में मौलाना को दो आतंकवादियों मुश्ताक अहमद जरगर और अहमद उमर सईद शेख के साथ कड़ी सुरक्षा के बीच अफगानिस्तान के कंधार एयरपोर्ट ले जाया गया था। उनके बदले में यात्रियों को छुड़वाया था।