Jammu Kashmir : बाहरी बनाम स्थानीय पर भड़काने की राजनीति चारों खाने चित, लगभग सात लाख नए मतदाता हो पाए शामिल
नेशनल कांफ्रेंस पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी कांग्रेस पैंथर्स पार्टी आम आदमी पार्टी जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे जम्मू कश्मीर के मूल निवासियों को हमेशा के लिए राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश बताया था।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में बसे दूसरे राज्यों के लोगों को मतदाता बनने से रोकने की सियासत करने वाले चारों खाने चित हो गए हैं। उनकी कोई भी राजनीतिक चाल काम नहीं आई। दूसरे राज्यों के लोगों के खिलाफ स्थानीय लोगों को भड़काकर अपना नाम चमकाने का इनका कोई पैंतरा नहीं चल पाया।
जम्मू कश्मीर में करीब तीन वर्ष बाद मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुक्रवार को पूरी हो जाएगी। फिलहाल अभी तक सूचियों की पुनरीक्षण प्रक्रिया में लगभग सात लाख नए मतदाताओं को शामिल किया है। यह पुनरीक्षण प्रदेश में परिसीमन होने के बाद विभिन्न विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के बदले स्वरूप और सात नए विधानसभा क्षेत्रों के सृजन के आधार पर हुआ है।
मई 2019 के संसदीय चुनाव के दौरान जम्मू कश्मीर में करीब 76 लाख मतदाता थे जो अब 83 लाख हो रहे हैं। पांच अगस्त 2019 से पूर्व जम्मू कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए अलग अलग मतदाता सूचियां बनती थी। अब एक ही मतदाता सूची रहेगी। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के लागू होने से पहले जम्मू कश्मीर में सिर्फ जम्मू कश्मीर के मूल निवासी जिन्हें स्टेट सब्जेक्ट कहा जाता था, विधानसभा, पंचायत और नगर निकाय के चुनावों के लिए मतदान करने के अधिकारी थे। संसदीय चुनाव के लिए गैर स्टेट सब्जेक्ट नागरिक भी संबंधित नियमों को पूरा कर संबंधित मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा मतदान कर सकता था।
क्या उठा था विवाद : मतदाताद सूचियों में पुनरीक्षण की प्रक्रिया को लेकर उस समय विवाद और तनाव पैदा हो गया था जब जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार ने कहा था कि प्रदेश में रहने वाला कोई भी भारतीय नागरिक चाहे वह किसी भी प्रदेश का मूल निवासी हो, मतदाता सूचियों में पंजीकृत हो सकता है। उन्होंने उस 25 लाख नए मतदाता प्रदेश की मतदाता सूची में शामिल किए जाने का दावा किया था। उनके बयान के बाद प्रदेश में सियासत तेज हो गई थी। उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, कांग्रेस, पैंथर्स पार्टी, आम आदमी पार्टी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी और कांग्रेस समेत विभिन्न राजनीतिक दलों ने इसे जम्मू कश्मीर के मूल निवासियों को हमेशा के लिए राजनीतिक रूप से कमजोर करने की साजिश बताया था। इस मुद्दे पर पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन ने जम्मू के विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ संयुक्त मोर्चा भी तैयार किया। इसमें शिवसेना और डोगरा स्वाभिमान पार्टी के अलावा डोगरा सदर सभा भी शामिल हुई। इन दलों ने अन्य राज्यों के नागरिकों को मतदाता सूचियों में शामिल किए जाने को भाजपा के एजेंडे के मुताबिक, जम्मू कश्मीर के बहुसांख्यिकी चरित्र को बदलने की साजिश भी बताया।
13 हजार अधिकारी और कर्मी शामिल : सूत्रों ने बताया कि अंतिम सूची के प्रकाशित होने पर मतदाताओं की संख्या में थोड़ा-बहुत अंतर हो सकता है। अभी तक यह 83 लाख के पास ही पहुंची है। पुनरीक्षण प्रक्रिया पूरा करने में 13 हजार अधिकारी और कर्मी शामिल किए गए हैं। मतदाताओं को पंजीकरण के लिए जागरूक बनाने के लिए घर-घर अभियान चलाया गया। बूथ, वार्ड, मोहल्ला, ग्राम और पंचायत के आधार पर विशेष शिविर लगाए हैं।
क्या कहते हैं :
बेसब्री से इंतजार :नेशनल कांफ्रेंस के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने कहा कि हम अभी इस विषय में कुछ भी नहीं कह सकते। मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन का सभी इंतजार कर रहे हैं जब वह सार्वजनिक होगी तो फिर ही हम कुछ कह पाएंगे। लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
भाजपा डर पैदा कर रही : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के प्रवक्ता फिरदौस टाक ने कहा कि मतदाता पंजीकरण को लेकर प्रशासन ने यहां कई बार खुद ही लोगों में भ्रम व डर पैदा किया है। यहां सभी जानते हैं कि भाजपा किस तरह से जम्मू कश्मीर में चुनाव जीतने के लिए विभिन्न हथकंडे अपना रही है।
विपक्ष बेनकाब हो चुका : भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि हमें यहां वोट लेने के लिए किसी बूथ पर कब्जा करने, फर्जी वोटर बनाने की जरूरत नहीं है। अब एक दो दिन की बात है, यहां जो तत्व सियासत के लिए कश्मीरी-गैर कश्मीरी एजेंडा चलाने की कोशिश कर रहे हैं, वह पूरी तरह बेनकाब हो चुके हैं।
विधानसभा चुनाव का मार्ग होगा प्रशस्त : मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन को बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा के गठन का रास्ता भी साफ हो जाएगा। केंद्र शासित प्रदेश में पुनर्गठित होने से पहले के एकीकृत जम्मू कश्मीर राज्य में जिसमें लद्दाख भी शामिल था, विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। चुनाव में किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला था और पीडीपी व भाजपा ने गठबंधन सरकार बनाई थी। जून 2018 में भाजपा ने समर्थन वापस लिया और सरकार गिर गई थी। इसके बाद नवंबर में तत्कालीन राज्यपाल सतपाल मलिक ने विधानसभा को भंग कर दिया।
मतदाता पंजीकरण भी आतंकी हमलों का कारण : कश्मीर में अन्य राज्यों से रोजी रोटी कमाने आए श्रमिकों और अल्पसंख्यकों पर आतंकी हमलों का कारण मतदाता सूचियों में जारी पुनरीक्षण की प्रक्रिया को माना जाता है। दावा किया जाता है कि आतंकी व अलगाववादी संगठनों को लगता है कि यह लोग जम्मू कश्मीर में स्थायी तौर पर बसने और कश्मीर में जारी एजेंडे को नाकाम बनाने के लिए बतौर मतदाता अपना पंजीकरण करा रहे हैं। वह लोगों में डर पैदा करने के लिए इन्हें निशाना बना रहे हैं।

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