Jammu Kashmir : आतंक पीड़ित बच्चों को बीडीएस व एमबीबीएस के लिए आरक्षण, बोपी ने उम्मीदवारों से आवेदन मांगे
जम्मू कश्मीर के कई वरिष्ठ नौकरशाहों और कारोबारियों ने भी अपने बच्चों को अलगाववादी नेताओं काे मोटी रकम देकर उनकी सिफारिश के आधार पर पाकिस्तान में एमबीबीएस में दाखिला दिलाया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस विषय में कई बार केंद्र सरकार से आग्रह किया है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू कश्मीर के आतंक पीड़ित सभी परिवारों के बच्चों को एमबीबीएस और बीडीएस की पढ़ाई के लिए प्रवेश में आरक्षण की व्यवस्था की गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश के आधार पर जम्मू कश्मीर बोर्ड आफ प्रोफेशनल एंट्रेस एग्जामिनेशन (बोपी) ने इस संबंध में पात्र उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं।
यह आवेदन 11 नवंबर तक जमा करवाए जा सकते हैं। इसके तहत जम्मू कश्मीर में सेवारत रह चुके केंद्रीय कर्मचारियों के आश्रित भी इसके तहत लाभ पा सकेंगे। एमबीबीएस और बीडीएस में दाखिले में आरक्षण का यह लाभ केंद्रीय पूल की सीटों में मिलेगा। ओपन कोटे में से चार सीटें आतंक पीड़ित परिवारों के आश्रितों के लिए आरक्षित की गई हैं। उम्मीदवारों को चयन नीट में प्राप्त रैंक के आधार पर ही होगा।
प्रदेश में विभिन्न सामाजिक संगठन और आतंकियों के कारण बेसहारा हुए बच्चे व परिवार बीते कई वर्षों से एमबीबीएस, बीडीएस और इंजीनियरिंग में आरक्षण सुविधा का लाभ मांग रहे थे। इनका कहना था कि पाकिस्तान ने मारे गए और जिंदा कश्मीरी आतंकियों व अलगाववादियों के बच्चों के लिए अपने मेडिकल कालेजों में निश्शुल्क एमबीबीएस की पढ़ाई की सुविधा दे रखी है।
जम्मू कश्मीर से कई अलगाववादी नेताओं, मारे गए आतंकियों के बच्चे पाकिस्तान में इन्हीं सीटों पर एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं। जम्मू कश्मीर के कई वरिष्ठ नौकरशाहों और कारोबारियों ने भी अपने बच्चों को अलगाववादी नेताओं काे मोटी रकम देकर, उनकी सिफारिश के आधार पर पाकिस्तान में एमबीबीएस में दाखिला दिलाया है। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने भी इस विषय में कई बार केंद्र सरकार से आग्रह किया है। उन्होंने जम्मू कश्मीर में आतंकियों के कारण बेसहारा बच्चों के लिए एमबीबीएस और बीडीएस में आरक्षण का मुद्दा गृहमंत्री और प्रधानमंत्री से कई बार उठाया है।
इन्हें मिलेगा लाभ: बोर्ड के अनुसार आतंकी हिंसा में अपने माता-पिता को को खोने वाले अभ्यर्थी इस आरक्षण के पात्र होंगे। अधिकारियों ने बताया कि यह आरक्षण सुविधा सिर्फ जम्मू कश्मीर के स्थायी छात्रों या फिर जिनके अभिभावक जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार के अधीनस्थ कार्यरत हैं या फिर जिनके अभिभावक केंद्र सरकार के किसी विभाग में कार्यरत हैं या फिर उन अधिकारियों व कर्मियों के बच्चे जिनका मुख्यालय जम्मू कश्मीर के भीतर ही है, को ही मिलेगी।
इन्हें प्राथमिकता : पहली प्राथमिकता उन छात्रों को मिलेगी जिनके मां-बाप (दोनों) आतंकी हमले में या किसी अन्य आतंकी वारदात में मारे गए हों। इसके बाद उन छात्रों को जिनके परिवार को एकमात्र कमाने वाला आतंकियों के हाथों मारा गया हो। तीसरी प्राथमिकता आतंकी हमले में स्थायी तौर दिव्यांग होने वालों को या गंभीर रूप से घायल होने पर अभ्यर्थियों को मिलेगी।
एससी व एसटी को कुछ लाभ: एमबीबीएस व बीडीएस में दाखिले के लिए विद्यार्थी के लिए सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए नीट-2022 की परीक्षा में न्यूनतम 50 प्रतिशत अंक और अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों के लिए न्यूनतम अंक 40 प्रतिशत से कम नहीं होने चाहिए। अगर छात्र दिव्यांग हैं तो न्यूनतम अंक 45 प्रतिशत होने चाहिए।
इन्हें प्राथमिकता: पहली प्राथमिकता उन छात्रों को मिलेगी जिनके मां-बाप (दोनों) आतंकी हमले में या किसी अन्य आतंकी वारदात में मारे गए हों। इसके बाद उन छात्रों को जिनके परिवार को एकमात्र कमाने वाला आतंकियों के हाथों मारा गया हो। तीसरी प्राथमिकता आतंकी हमले में स्थायी तौर दिव्यांग होने वालों को या गंभीर रूप से घायल होने पर अभ्यर्थियों को मिलेगी।
यह प्रमाणपत्र देने होंगे : अभ्यर्थी को आवेदन के साथ पुलिस में दर्ज प्राथिमिकी, मृत्यु प्रमाणपत्र और पोस्टमार्टम रिपोर्ट संलग्न करनी होगी। यह हलफनामा भी देना होगा कि परिवार के किसी अन्य सदस्य ने इस श्रेणी के तहत लाभ नहीं लिया है। जिन परिवारों में आतंकी हिंसा में अपने परिवार के एकमात्र कमाने वाले सदस्य को खोया है, उन्हें स्थानीय तहसीलदार व मजिस्ट्रेट से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा। इसके अलावा आतंकरोधी अभियानों के दौरान स्थायी रूप से दिव्यांग और गंभीर चोट वाले पीड़ितों के आश्रित भी आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें, राज्य पुलिस या गृह विभाग द्वारा विकलांगता की पुष्टि करवानी होगी। अभ्यर्थियों को बोपी के कार्यालय में इसके लिए आवेदन पत्र जमा करने होंगे।
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