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    जम्मू-कश्मीर में बाढ़, भूस्खलन, जलमग्न क्षेत्रों में पानी की गुणवत्ता की जांच शुरू, जलजनित रोगों के फैलने की आशंका

    Updated: Thu, 04 Sep 2025 07:42 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के बाद जलजनित रोगों की आशंका को देखते हुए सरकार ने जागरूकता अभियान शुरू किया है। पानी की गुणवत्ता की जांच की जा रही है और लोगों को सुरक्षित पेयजल के प्रति जागरूक किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग अलर्ट जारी करेगा और ग्रामीण विकास विभाग स्वच्छता अभियान चलाएगा।

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    उच्च शिक्षा विभाग भी पानी की जांच में सहयोग करेगा।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में कई जगहों पर आई बाढ़ के बाद जलजनित रोग बढ़ने की सबसे अधिक आशंका है। कई जगहों पर गंदे पानी की सप्लाई और कई जगहों पर कई दिनों से पानी की सप्लाई न होने के कारण समस्या और बढ़ रही है।

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    इसी को रोकने के लिए सरकार सक्रिय हुई है। सरकार ने विभिन्न विभागों के समन्वय से लोगों को जागरूक करने के लिए अभियान भी शुरू कर दिया है।इसके तहत पानी की गुणवत्ता की जांच भी की जाने लगी है।यह जांच बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों और बाढ़ से जलमग्न भौगोलिक क्षेत्रों में की जा रही है।

    सरकार ने अपने आदेश में कहा कि हाल ही में आई बाढ़ के दौरान पीने के पानी के संभावित प्रदूषण के कारण जल जनित बीमारियों के प्रसार की संभावना को रोकने के लिए, जल जनित बीमारियों के खिलाफ वीरवार से एक सतत और संगठित अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें गहन जल गुणवत्ता परीक्षण और सुरक्षित पेयजल की आवश्यकता के बारे में जागरूकता पैदा करना शामिल है।

    15 दिनों की अवधि के लिए होगा यह अभियान

    यह अभियान जम्मू और कश्मीर के पूरे केंद्र शासित प्रदेश में 15 दिनों की अवधि के लिए होगा। संबंधित उपायुक्त जिला स्तर पर अभियान के समन्वय, निगरानी और कार्यान्वयन के लिए नोडल अधिकारी होंगे।

    जल शक्ति विभाग विभिन्न प्रयोगशालाओं में पानी के टेस्ट करवाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पानी की गुणवत्ता कैसी है। उन्हें मोबाइल वैन के माध्यम से लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लोगों को सुरक्षित पेयजल के लिए जागरूक करना भी होगा।

    जलजनित रोगों को लेकर अलर्ट जारी करना होगा

    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग को जल शक्ति विभाग के साथ मिलकर जलजनित रोगों को लेकर अलर्ट जारी करना होगा।लोगों को सुरक्षित पेयजल और जलजनित बीमारियों से बचाव के लिए जागरूक भी करना होगा।

    ग्रामीण विकास विभाग को ग्रामीण क्षेत्रों विशेषकर पारंपरिक जलस्रोतों के आसपास स्वच्छत अभियान चलाना होगा।लोगों को स्वच्छता पर जागरूक करना होगा।

    उच्च शिक्षा विभाग भी करेगा पानी टेस्ट करने में सहयोग

    उच्च शिक्षा विभाग को अपनी प्रयोगशालाओं में पानी के टेस्ट करने के तरीके के बारे में स्टाफ को जानकारी देनी होगी। स्कूलों और कालेजों में विशेष स्वच्छता अभियान चलाने होंगे। समाज कल्याण विभाग को भी अपने निकटतम प्रयोगशालाओं में पानी की गुणवत्ता की जांच करवानी होगी।

    क्षेत्र स्तरीय कर्मचारी, आशा कार्यकर्ताओं के सहयोग से प्रभावित क्षेत्रों के निवासियों को जल आपूर्ति योजनाओं में आई रुकावटों के बारे में जागरूक करेंगे और पेयजल के वैकल्पिक स्रोतों का सुझाव देंगे।

    हर तीन दिन में गहन जल परीक्षण किया जाएगा

    क्लोरीन की गोलियां उपलब्ध कराई जाएंगी और लोगों को जल शोधन के अन्य तरीकों से भी अवगत कराया जाएगा। प्रभावित क्षेत्रों में जहां से निवासी पेयजल प्राप्त कर रहे हैं, नियमित आपूर्ति बहाल होने तक कम से कम हर तीन दिन में गहन जल परीक्षण किया जाएगा।

    जनता का विश्वास बढ़ाने के लिए इन जल परीक्षण रिपोर्टों को प्रभावित क्षेत्रों में प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित किया जाएगा। ऐसे उच्च जोखिम वाले वाले गांव व क्षेत्र में कम से कम 3 या 4 नमूने लिए जाएंगे।

    पीने के पानी की सुरक्षा सुनिश्चित की जाएगी

    पुनर्स्थापित जल आपूर्ति योजनाओं के जल नमूनों की जांच फिल्टरेशन प्रक्रिया से पहले और बाद में और घरेलू स्तर पर की जाएगी ताकि पीने के पानी की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। जल नमूने उपचार से पहले और उपचार के बाद दोनों पर लिए जाएंगे और फिर उपचार से पहले और बाद के परीक्षण परिणामों की तुलना करने के लिए एक सारांश तैयार किया जाएगा।

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