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    गुज्जर-बक्करवाल समुदाय भाजपा के लिए होगा तुर्प का पत्ता, 13 विधानसभा क्षेत्रों में समुदाय की 20 प्रतिशत आबादी

    By rohit jandiyalEdited By: Rahul Sharma
    Updated: Tue, 11 Oct 2022 08:28 AM (IST)

    सांबा के परमंडल में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता है। अब गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का विकास होना तय है। इससे पहले खटाना जम्मू जिले में भी ऐसे कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर मोदी सरकार के तेज विकास का संदेश दे चुके हैं।

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    गुज्जर-बक्करवाल जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं।

    जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर में गुज्जर-बक्करवाल समुदाय के बीच अपनी पैठ बनाने के लिए भाजपा ने पूरी ताकत झोंक रखी है। 13 विधानसभा क्षेत्रों में समुदाय की 20 प्रतिशत आबादी भाजपा के लिए आगामी विधानसभा में तुर्प का पत्ता साबित हो सकती है। इसलिए गुज्जर नेता गुलाम अली खटाना को राज्यसभा का सदस्य बनाने के बाद भाजपा ने जम्मू के ऐसे इलाकों में गतिविधियां तेज कर दी हैं यहां जनजातीय मतदाताओं की संख्या अधिक है।

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    इस दौरान खटाना भी पूरी तरह से सक्रिय हो चुके हैं। खटाना एक महीने में जम्मू, सांबा व कठुआ जिलों में 20 से अधिक बैठकें कर समुदाय तक भाजपा का समर्थन का संदेश दे चुके हैं।जम्मू कश्मीर में अपने बलबूते पर सरकार बनाने के लिए भाजपा को गुज्जर-बक्करवाल समुदाय से बड़ी उम्मीदें हैं। पहली बार पार्टी ने किसी गुज्जर नेता को राज्यसभा का सदस्य बनाकर समुदाय का विश्वास जीतने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। खटाना एक माह में ही केंद्र सरकार व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से समुदाय के मुद्दे उठा चुके हैं।

    खटाना गुज्जर-बक्करवालों को संदेश दे रहे हैं कि वे सात दशक से गुमराह करती आई राजनीतिक पार्टियों को दरकिनार कर भाजपा के साथ जुड़कर अपने भविष्य को बेहतर बनाएं। सांबा जिले के परमंडल में हुए कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि जनजातीय समुदाय का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता है। अब गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का विकास होना तय है। इससे पहले खटाना जम्मू जिले में भी ऐसे कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर मोदी सरकार के तेज विकास का संदेश दे चुके हैं।

    समुदाय का राजनीति में भी खासा दखल : गुज्जर-बक्करवाल जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं। विधानसभा व संसदीय चुनाव में गुज्जर बक्करवाल मतदान करने के लिए भारी संख्या में घरों से निकलते हैं। इस समय प्रदेश में 13 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं यहां गुज्जर-बक्करवाल परोक्ष, अपरोक्ष रूप से प्रभाव रखते हैं। वर्ष 2011 के जनगणना के अनुसार जम्मू संभाग के सीमावर्ती राजौरी में समुदाय की आबादी करीब 43 प्रतिशत, पुंछ जिले में उनकी आबादी 36 प्रतिशत है।

    आठ विधानसभा सीट में गुज्जर बक्करवाल वोट महत्व रखता है : दोनों जिलों की आठ विधानसभा सीट में गुज्जर बक्करवाल वोट महत्व रखता है। जम्मू जिले के नगरोटा विधानसा क्षेत्र के साथ सुचेतगढ़ क्षेत्र और कठुआ जिले के बनी इलाके में भी खासे गुज्जर बक्करवाल हैं। इसके साथ रियासी के गूल अरनास इलाके में भी गुज्जर बक्करवाल वोट चुनाव के परिणाम को प्रभावित करता है। कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां में गुज्जर बक्करवाल वोट प्रभावी भूमिका रखता है।

    बिना किसी भेदभाव के आगे लाया ला रहा : वर्ष 2008 में इंजीनियरिंग करने के बाद भाजपा में सचिव से उपाध्यक्ष पद पर रहे खटाना हाल ही में राज्यसभा के सदस्य बने हैं। खटाना का कहना है कि पहले गुज्जर-बक्करवालों को इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए हुआ। अब समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में बड़े पैमाने पर प्रयास हो रहे हैं। उन्हें वनों के अधिकार देने के साथ उनके बच्चों के लिए मोबाइल स्कूल, डिस्पेंसरियां खुल रही हैं। अब बिना किसी भेदभाव के उन्हें आगे लाने की दिशा में काम हो रहा है।