Jammu : धार्मिक आस्था के साथ मनाया जा रहा नागपंचमी का पर्व, नाग मंदिरों में लगा श्रद्धालुओं का तांता
नागपंचमी का त्यौहार हमें बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्योंकि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी का दायित्व है।किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है।

जम्मू, जागरण संवादददाता : पारंपरिक पर्व नागपंचमी गुरुवार को जम्मू में धार्मिक आस्था के साथ मनाई जा रही है।घरों के साथ-साथ लोग मंदिरों में भी नाग पूजन करने के लिए पहुंचे। शिवमंदिरों में जलाभिषेक करने व नाग बरमी पर दलस्सी चढ़ाने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं का तांता लगना शुरू हो गया था। भाद्रपद मास शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी को मनाए जाने वाले इस दिवस पर श्रद्धालुओं ने नाग देवता के आगे नतमस्तक होकर परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना की।
शिवमंदिरों के साथ बाबा सुरगल देवता के स्थानों पर पूजा-अर्चना के साथ भंडारों का आयोजन किया गया है।शहर में कई स्थानों पर भंडारों कास आयेजन किया गया है। सूर्योदय के बाद महिलाओं ने व्रत रख परंपरागत ढंग से घरों में नाग देवता की पूजा की। इस दौरान नाग स्थान बरमियों पर दलस्सी, कच्चा दूध, घी और गुड मिलाकर बना अमृतद्ध चढ़ाने के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ लगी हुई थी। श्रद्धालुओं ने हल्दी, रोली, चावल व फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा की।
रसोई घर की साफ-सफाई कर महिला व्रतियों ने कागज व दीवार पर नागों की आकृति बनाकर पूजन किया। नाग चित्र पर सिंदूर का टीका, दूध और लावा चढ़ाकर विधिपूर्वक पूजा-अर्चना के साथ परिवार की कुशलता की कामना की गई।हर जातिए वर्ग का पर्व मनाने का अलग तरीका था। कई घरों में महिलाओं ने परंपरा के अनुसार पकवान के साथ नमकीन खीर और मीठा दलिया बनाकर परिजनों में प्रसाद के रूप में परोसा। कहीं कुल देवताओं की पूजा-अर्चना के साथ कुल देवस्थानों पर जात्तर भी करवाई गई।
श्री कैलख वैदिक संस्थान ट्रस्ट, पंजीकृत के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ज्योतिषाचार्य ने बताया हमारे शास्त्रों में तिथि को बहुत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।जिस तिथि के जो देवता बताए गए हैं। उन देवताओं की पूजा उसी तिथि में करने से सभी देवता उपासक से प्रसन्न हो उसकी अभिलाषा को पूर्ण करते हैं।पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से भय तथा कालसर्प योग शमन होता है।
जम्मू डुग्गर प्रदेश में भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की ऋषि पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। नागपंचमी पर्व को लेकर मतभेद है।जैसे राजस्थान एवं बंगाल में श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी को यह पर्व मनाते हैं और उत्तर भारत में श्रावण शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन नागपंचमी का पर्व मनाते है। पंचमी तिथि के स्वामी नाग होने के कारण आप पंचमी तिथि को नाग देवता की पूजा अर्चना व्रत कर सकते हैं।अथवा प्रतिदिन भी कर सकते हैं।
नागपंचमी का त्यौहार हमें यह बताता हैं कि हमारे देश में सभी जीव जंतु को सम्मान दिया जाता हैं क्योंकि प्रकृति के संतुलन के लिए सभी का दायित्व है।किसी एक की भी कमी से यह संतुलन बिगड़ जाता हैं। हिन्दू धर्म में नागों को प्राचीन काल से पूजनीय माना गया है। सभी सांप भी हमारे समाज का अभिन्न अंग है। इसीलिए इंसानों को नागों की रक्षा करनी चाहिए और इन्हें अकारण सताना नहीं चाहिए।
जम्मू में बाबा कैलख मंदिर, नाग देवता मंदिर गांधी नगर जम्मू, बाबा सुरगल देवस्थान न्यूप्लाट, अकलपुर, जानीपुर, पलाैड़ा आदि कई स्थानों पर विशेष पूजा अर्चना की गई।
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