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    जम्मू-कश्मीर में एक-एक डॉक्टर के पास दो-दो पद, लेकिन एक में भी नियमित नियुक्ति नहीं

    Updated: Mon, 28 Jul 2025 02:23 PM (IST)

    जम्मू के अस्पतालों में मारपीट की घटनाओं के बाद स्वास्थ्य मंत्री सकीना इट्टू ने निरीक्षण किया। विभाग में मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल से लेकर स्वास्थ्य निदेशक तक स्थायी नियुक्तियाँ नहीं हैं सभी प्रभारी हैं। कई अधिकारी दो-दो पदों का प्रभार संभाल रहे हैं जिससे व्यवस्था प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि स्थायी नियुक्तियाँ होने तक स्थिति में सुधार नहीं होगा।

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    जम्मू स्वास्थ्य विभाग प्रभारियों के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं। सांकेतिक तस्वीर

    रोहित जंडियाल, जम्मू। अस्पतालों में हुई मारपीट की घटनाओं के बाद स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू बेशक अस्पतालों का रात्रि के समय में निरीक्षण कर रही हैं, लेकिन इसके लिए कामचलाऊ व्यवस्था भी काफी हद तक जिम्मेदार है। मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों से लेकर स्वास्थ्य निदेशक, चिकित्सा अधीक्षक तक कोई भी स्थायी नियुक्ति नहीं की गई है। सभी को प्रभारी बनाया गया है।

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    वर्तमान स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अब्दुल हमीद जरगर के पास दो पद हैं। उन्हें इंचार्ज उपनिदेशक मुख्यालय नियुक्त बनाकर स्वास्थ्य निदेशक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। दोनों में से एक पद पर भी नियमित नहीं किया गया है। उप निदेशक योजना डॉ. पूनम सेठी, उन निदेशक दंत चिकित्सा डॉ. संजय शर्मा, सह निदेशक डॉ. इला गुप्ता सभी को इंचार्ज बनाया गया है। एक को भी इन पदों पर नियमित नहीं किया गया है।

    डॉ. मुश्ताक अहमद राथर के पास निदेशक समन्वय न्यू मेडिकल कॉलेज और परिवार कल्याण विभाग के निदेशक के दो पद हैं। दोनों में से एक पर भी स्थायी नियुक्ति नहीं हुई है। दोनों का प्रभार सौंपा गया है। स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर डॉ. जहांगीर बख्शी के पास भी दो पद है। स्वास्थ्य निदेशक कश्मीर के अतिरिक्त उनके पास प्रोजेक्ट डायरेक्टर एड्स कंट्रोल सोसायटी जम्मू-कश्मीर का अतिरिक्त प्रभार भी है। दोनों पदों में से एक पर भी उनको नियमित नहीं किया गया है।

    राज्य महामारी विज्ञान अधिकारी, राज्य मलेरिया अधिकारी, राज्य टीबी अधिकारी, राज्य कुष्ठ अधिकारी सभी को सिर्फ प्रभार दिए गए हैं। किसी की भी डीपीसी करने के बाद नियमित नहीं किया गया है। सभी पद उपनिदेशक स्तर के हैं। यही स्थिति मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों और जिला अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षकों की है।

    जम्मू के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हरबख्श सिंह को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश जिलों के मुख्य स्वास्थ्य अधिकारियों की डीपीसी नहीं हुई है। सभी को सिर्फ प्रभार सौंपे गए हैं। गांधीनगर अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, सरवाल अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक, जिला अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक भी स्थायी नहीं हैं। प्रभार देकर काम चलाऊ व्यवस्था को बढ़ावा दिया गया है।

    किसी मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल नियमित नहीं

    जम्मू-कश्मीर के किसी भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नियमित नहीं किया गया है। राजकीय मेडिकल कॉलेज जम्मू के प्रिंसिपल डॉ. आशुतोष गुप्ता इंचार्ज प्रिंसिपल हैं। उनके पास आनकालोजी विभाग के विभागाध्यक्ष का प्रभार भी है। राजौरी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एएस भाटिया जीएमसी जम्मू में बायोकैमिस्ट्री विभाग के प्रोफेसर भी हैं। उधमपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. प्रमोद कल्सोत्रा श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल में ईएनटी विभाग के विभागाध्यक्ष भी हैं।

    कठुआ मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. सुरेंद्र अत्री जीएमसी जम्मू में पैथालोजी विभाग के प्रोफेसर भी हैं। डोडा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. राकेश बहल जीएमसी जम्मू में पीएसएम विभाग में प्रोफेसर भी हैं। श्रीनगर मेडिकल कॉलेज, बारामुला मेडिकल कॉलेज, अनंतनाग मेडिकल कॉलेज और हंदवाड़ा मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपलों को भी सिर्फ प्रभार सौंपा गया है। जीएमसी जम्मू के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. त्रिसल भी प्रभारी हैं।

    सिर्फ श्री महाराजा गुलाब सिंह अस्पताल, सीडी अस्पताल और सुपर स्पेशयलिटी अस्पतालों के चिकित्सा अधीक्षक ही स्थायी हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग में प्रशासनिक पदों पर स्थायी नियुक्तियां नहीं होती, तब तक विभाग की स्थिति ऐसी ही रहेगी। मंत्रियों व अधिकारियों के काम चलाऊ व्यवस्था रास आती है। इसीलिए वे स्थायी नियुक्तियां नहीं करते।

    बड़ा फेरबदल करेंगे

    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री सकीना इट्टू का कहना है कि एक ही जगह पर तीन या चार वर्ष से अधिक से बैठे डॉक्टरों के कारण व्यवस्था में परेशानी आती है। व्यापक स्तर पर विभाग में तबादले किए जाएंगे। तीन वर्ष से अधिक समय से एक जगह पर बैठे डॉक्टरों के तबादले होंगे। लेकिन काम चलाऊ व्यवस्था पर कुछ नहीं बोली।