आसमान से भी अब दुश्मन पर बढ़ेगी निगरानी, IIT जम्मू ने सेना की मदद के लिए बनाया ये खास गैजेट
आईआईटी जम्मू सेना की मदद के लिए आगे आया है। संस्थान सेना के जवानों को ड्रोन के निर्माण और संचालन का प्रशिक्षण दे रहा है। पांच दिवसीय कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर की विभिन्न यूनिटों के बीस जवान भाग ले रहे हैं। विशेषज्ञों ने निगरानी और सामरिक क्षेत्र में ड्रोन की भूमिका पर प्रकाश डाला। संस्थान के निदेशक ने रक्षा संगठनों के साथ सहयोग करने की बात कही।

आईआईटी, जम्मू (फाइल फोटो)
जागरण संवाददाता, जम्मू। आसमानी लड़ाई में दुश्मन पर पैनी नजर बढ़ाई जा रही है। ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध क्षेत्र में ड्रोन के महत्व को देखते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जम्मू, सेना की मदद के लिए आगे आया है।
आसमान से दुश्मन को पहचाने के लिए सेना के जवानों को आईआईटी सशक्त बना रहा है। इस कड़ी में सोमवार से शुरू हुए आईआईटी के पांच दिवसीय ड्रोन हैंडलिंग और फैब्रिकेशन प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेना के जवानों को ड्रोन के निर्माण और उसके संचालन के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। पहले चरण में इस कार्यक्रम में जम्मू कश्मीर में सेना की विभिन्न यूनिट के बीस जवान भाग ले रहे हैं। जवानों को ड्रोन तकनीक में आईआईटी जम्मू पूरी तरह से महारत करेगा।
इस पहल का उद्देश्य तेजी से विकसित हो रहे मानव रहित हवाई प्रणालियों के क्षेत्र में रक्षा कर्मियों की तकनीकी प्रवीणता को बढ़ाना है। इस दौरान विशेषज्ञों ने निगरानी, टोह और सामरिक क्षेत्र के संचालन में ड्रोन प्रौद्योगिकियों की बढ़ती प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला।
उन्होंने रक्षा बलों के भीतर परिचालन दक्षता बढ़ाने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में निरंतर प्रशिक्षण और उन्नत कौशल की आवश्यकता पर जोर दिया। इन पांच दिनों में जवानों को ड्रोन निर्माण, परिचालन हैंडलिंग, सिमुलेशन-आधारित अभ्यास और सामरिक क्षेत्र संचालन में ड्रोन के इस्तेमाल का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
संस्थान के निदेशक प्रो. मनोज सिंह गौर ने कहा कि संस्थान उन्नत तकनीकी प्रशिक्षण के माध्यम से रक्षा संगठनों के साथ सहयोग करेगा। उद्घाटन सत्र में आईआईटी जम्मू के आउटरीच व स्किल डेवलपमेंट की डीन प्रोफेसर मीनाक्षी राजीव, कार्यक्रम के फैकल्टी कोआर्डिनेटर व इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग विभाग की सहायक प्रोफेसर ड. पद्मिनी सिंह, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम एसोसिएशट डीन, डा. राजकुमार वेलु आदि मौजूद रहे।

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