गृहमंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में किया स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण, कहा- कश्मीर में यह प्रतिमा पूरे देश में शांति का संदेश होगा
Swamy Ramanujacharya Statue In Kashmir रामानुज को छूआछूत जातपात के खिलाफ विद्रोह करने और समाज में एक बड़ा बदलाव लाने में भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। वह वैष्णववाद के अनुयायी हैं और लोगों को मोक्ष के सिद्धांत सिखाते हैं।
श्रीनगर, जेएनएन : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज श्रीनगर में स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा 'स्टैच्यू ऑफ पीस' का अनावरण किया। सोनवार में झेलम नदी के तट पर स्थित सूर्ययार मंदिर में स्थापित इस प्रतिमा का गृहमंत्री ने नई दिल्ली से ही वर्ययुल अनावरण किया। प्रतिमा का अनावरण करते हुए शाह ने कहा कि यह न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे देश में शांति का संदेश होगा... गुजरात सरकार भी अगले साल रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्थापित करेगी।"
Unveiling the ‘Statue of Peace’ of Swami Ramanujacharya Ji in Srinagar, J&K via video conferencing. https://t.co/M8DJ5TMLi9
— Amit Shah (@AmitShah) July 7, 2022
आपको बता दें कि इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फरवरी में हैदराबाद में स्वामी रामानुजाचार्य की 216 फीट की प्रतिमा का अनावरण किया था। स्वामी रामानुजाचार्य, जिन्हें रामानुज के नाम से भी जाना जाता है, एक महान विचारक, दार्शनिक और समाज सुधारक माने जाते हैं, जो तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में पैदा हुए एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण हैं। रामानुज को छूआछूत, जातपात के खिलाफ विद्रोह करने और समाज में एक बड़ा बदलाव लाने में भूमिका निभाने के लिए जाना जाता है। वह वैष्णववाद के अनुयायी हैं और लोगों को मोक्ष के सिद्धांत सिखाते हैं।
स्वामी रामानुजाचार्य का कहना था कि मनुष्य को उसके जन्म जात से नहीं बल्कि चरित्र से आंका जाना चाहिए। वह महिलाओं को 'संन्यास' (संसार का त्याग) की शुरुआत करने वाला पहले हिंदू आचार्य के तौर भी माना जाता है। उन्होंने 'भक्ति' के साथ वेदांत पद्धति के सम्मिश्रण की शिक्षा भी लोगों को दी। यदुगिरी मठ ने स्वामी जी की प्रतिमा की स्थापना के साथ मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य भी किया है।
इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के साथ भाजपा सांसद तेजस्वी सूर्या भी उपस्थित थे। करीब चार फीट की प्रतिमा सफेद संगमरमर से बनी है और इसका वजन करीब 600 किलोग्राम है। इस प्रतिमा में स्वामी रामनुजाचार्य साढ़े तीन फुट के आसन पर हाथे जोड़े हुए विराजमान हैं। इस प्रतिमा को स्टेच्यू आफ पीस का नाम दिया गया है।