जम्मू-कश्मीर में हेली पालिसी लागू, आपात स्वास्थ्य स्थिति में 20 मिनट में मिलेगा हेलीकाप्टर
Heli Policy Implemented In Jammu Kashmir सिंधिया ने हेली पालिसी और सब उड़ें सब जुड़ें की प्रधानमंत्री की परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि आपात स्वास्थ्य परिस्थितियों प्राकृतिक आपदाओं राहत अभियानों में हेलीकाप्टर हमेशा कारगर है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : केंद्रीय नागरिक विमानन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने देश में आपात स्वास्थ्य परिस्थितियों में और अन्य जरूरी कार्यों में हेलीकाप्टर के इस्तेमाल के लिए एक हेली पालिसी को लागू करने का एलान किया। सिंधिया ने बताया कि हम हेलीकाप्टर आपात स्वास्थ्य सेवा (एचईएमएस) के लिए एम्स ऋषिकेश में हेलीाकाप्टर उपलब्ध करा प्रोजेक्ट संजीवनी शुरू करने जा रहे हैं। इसके तहत 20 मिनट के नोटिस पर हेलीकाप्टर अस्पताल में उपलब्ध होगा और 150 किलोमीटर के दायरे में अपनी सेवाएं प्रदान करेगा।
इस परियोजना के जरिए सरकार देश के विभिन्न हिस्सों मे हेलीकाप्टर की गति और सुलभता के आधार पर स्वास्थ्य सेवाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ाना चाहती है। संजीवनी परियोजना के अनुभव के आधार पर हम हेलीकाप्टर आपात स्वास्थ्य सेवा की राष्ट्रीय नीति में व्यापक सुधार कर सकते हैं। सिंधिया श्रीनगर में शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर (एसकेआइसीसी) में हेली इंडिया समिट के चौथे संस्करण को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे।
सिंधिया ने हेली पालिसी और सब उड़ें-सब जुड़ें की प्रधानमंत्री की परिकल्पना का जिक्र करते हुए कहा कि आपात स्वास्थ्य परिस्थितियों, प्राकृतिक आपदाओं, राहत अभियानों में हेलीकाप्टर हमेशा कारगर है। जम्मू कश्मीर इसका सबसे बड़ा उदाहरण है, जहां पीरपंजाल की बर्फीली चोटियों पर बिजली की ट्रांसमिशन लाइनों को बिछाने के लिए हेली क्रेन इस्तेमाल होती है।
हेलीकाप्टर कारीडोर तैयार किए जा रहे : मुंबई-पुणे, अहमदाबाद-गांधीनगर और शमसाबाद-बेगमपेट नामक तीन हेलीकाप्टर कारीडोर तैयार करने की जानकारी देते हुए सिंधिया ने बताया कि कुछ और नए कारीडोर तैयार किए जा रहे हैं। इसके अलावा सड़क परिवहन एवं राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय के साथ संपर्क कर देश के विभिन्न हिस्सों में सभी प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर हैलीपेड के लिए स्थान सुनिश्चित किया जा रहा है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में राहत कार्यों के लिए इनका इस्तेमाल हो सके।
हेलीकाप्टर निर्माण उद्योग की चुनौतियों की तरफ केंद्र का पूरा ध्यान : जम्मू कश्मीर सरकार, पवन हंस लिमिटेड और फिक्की के सहयोग से केंद्रीय विमानन मंत्रालय की ओर से आयोजित हेली इंडिया समिट का चौथा संस्करण, हेलीकाप्टर्स फार लास्ट माइल कनेक्टिविटी पर केंद्रित था। हेलीकाप्टर उद्योग, नागरिक विमान सेवा क्षेत्र व अन्य संबंधित क्षेत्रों से जुड़े विशेषज्ञों ने भारत में हेलीकाप्टर उद्योग को पेश आ रही दिक्कतों व उनके निदान, हेलीकाप्टर उद्योग के विकास और भविष्य की चुनौतियों से निपटने के उपायों पर चर्चा की गई। सिंधिया ने कहा कि हेलीकाप्टर निर्माण उद्योग की चुनौतियों की तरफ केंद्र का पूरा ध्यान है।
हेलीकाप्टर सेवा को विस्तार दिया जा रहा : इस क्षेत्र के विकास के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हेलीकाप्टर सेवा को लगातार प्रोत्साहित किया जा रहा है। हिमालयी राज्यों में दूरदराज के पर्यटनस्थलों के लिए हेलीकाप्टर सेवा को विस्तार दिया जा रहा है। एयर एंबुलेंस सेवा को और ज्यादा सुलभ बनाने व अन्य कार्यों में हेलीकाप्टर सेवा को विस्तार देने के लिए एक हेली नीति को भी कार्यान्वित किया जा रहा है।
जम्मू में 861 करोड़ और श्रीनगर में 1500 करोड़ से हो रहा एयरपोर्ट का विस्तार : सिंधिया ने कश्मीर में हेली समिट के आयोजन को बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह जम्मू कश्मीर में लगातार सुधरते सुरक्षा परिदृश्य का नतीजा है। उन्होंने कहा कि शांत और खुशहाल जम्मू कश्मीर ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का सपना है और इसे पूरा करने के लिए ही नागरिक विमानन मंत्रालय जम्मू में 861 करोड़ की लागत से नागरिक एयरपोर्ट का विस्तार किया जा रहा है। इसी तरह श्रीनगर में 1500 करोड़ की लागत से मौजूदा टर्मिनल को 20 हजार वर्ग मीटर से बढ़ाते हुए 60 हजार वर्ग मीटर में विस्तार दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि एविएशन टरबाइन फ्यूल पर वैट को 26.5 प्रतिशत से घटाकर एक प्रतिशत कर जम्मू कश्मीर प्रदेश सरकार ने हवाई यातायात में एक नया अध्याय जोड़ा है। इससे जम्मू कश्मीर में रिफ्यूलिंग में 360 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
देश में हवाई अड्डों की संख्या 200 पहुंचाने को संकल्पबद्ध : सिंधिया ने बताया कि 1947 से 2014 तक हमारे देश में सिर्फ 74 एयरपोर्ट थे, जो अब 141 हो गए हैं। अगले कुछ वर्ष में हम हवाई अड्डों की संख्या 200 तक पहुंचाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। सिंधिया ने बताया कि वर्ष 2013 में हमारे अधिसूचित बेड़े में 400 विमान थे, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 700 हो गए हैं।
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