Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    डा. निर्मल सिंह के बंगले को गिराने के मामले में अब 25 को होगी सुनवाई

    By Lokesh Chandra MishraEdited By:
    Updated: Fri, 18 Feb 2022 08:12 PM (IST)

    एडवोकेट मुजफ्फर अली शाह की ओर से आवेदन दिया गया है जिसमें कहा गया है कि उन्होंने ही आरटीआइ के माध्यम से इस अवैध निर्माण का खुलासा किया था लिहाजा उन्हें भी इस केस में पार्टी बनाकर उनका पक्ष सुना जाए।

    Hero Image
    जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल ने जेडीए की ओर से जारी नोटिस पर स्टे को बरकरार रखा।

    जम्मू, जागरण संवाददाता : जम्मू-कश्मीर के पूर्व स्पीकर एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री डा. निर्मल सिंह की पत्नी ममता सिंह के नाम से नगरोटा में सेना के गोला बारूद उप-डिपो के पास बने आलिशान बंगले को गिराने को लेकर जेडीए की ओर से जारी नोटिस पर अब 25 फरवरी को सुनवाई होगी। इस मामले में एडवोकेट मुजफ्फर अली शाह की ओर से आवेदन दिया गया है, जिसमें कहा गया है कि उन्होंने ही आरटीआइ के माध्यम से इस अवैध निर्माण का खुलासा किया था, लिहाजा उन्हें भी इस केस में पार्टी बनाकर उनका पक्ष सुना जाए। इस पर जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल ने 25 फरवरी को केस पर सुनवाई की अगली तारीख निर्धारित करते हुए तब तक जेडीए की ओर से जारी नोटिस पर स्टे को बरकरार रखा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    मामले की सुनवाई के दौरान एडवोकेट मुजफ्फर अली शाह और ममता सिंह के वकीलों में काफी तीखी नोकझोंक भी हुई। ममता सिंह के वकीलों ने दलील दी कि यह मामला ममता सिंह और जेडीए के बीच का है, इसमें एडवोकेट मुजफ्फर अली शाह का कोई लेना नहीं। वहीं एडवोकेट मुजफ्फर अली शाह ने दलील दी कि उन्होंने ही आरटीआइ के माध्यम से इस अवैध निर्माण का खुलासा किया था।

    उन्होंने कहा कि ममता सिंह के पति डा. निर्मल सिंह पिछली सरकार में उपमुख्यमंत्री थे और जेडीए उन्ही के अधीन था। ऐसे में उन्होंने पद व ताकत का गलत इस्तेमाल करते हुए अवैध निर्माण किया। उन्होंने कहा कि डा. निर्मल सिंह एक प्रभावशाली व्यक्ति है और इसलिए जेडीए इस मामले में लीपापोती करने का प्रयास कर रहा है। लिहाजा जब तक उन्हें इस केस में पार्टी नहीं बनाया जाता, केस की उचित सुनवाई व निर्णय नहीं हो सकता।

    यह है पूरा मामला : जेडीए की ओर से आठ नवंबर को जारी नोटिस में डा. निर्मल सिंह के जम्मू के नगरोटा क्षेत्र के बन गांव में बने उनके बंगले को अवैध निर्माण बताते हुए उन्हें पांच दिन में इसे गिराने को कहा था। नोटिस में यह भी कहा गया था कि ऐसा न होने की सूरत में जेडीए स्वयं निर्माण गिराएगा और उसका खर्च भी निर्मल सिंह व उनकी पत्नी को देना पड़ेगा। जेडीए के इस नोटिस को डा. निर्मल सिंह की पत्नी ने जम्मू-कश्मीर स्पेशल ट्रिब्यूनल में चुनौती दी थी।

    नगरोटा में डा. निर्मल सिंह का बंगला उनकी पत्नी ममता सिंह के नाम पर है। लिहाजा ममता सिंह के माध्यम से ट्रिब्यूनल में यह याचिका दायर की गई थी। स्पेशल ट्रिब्यूनल के समक्ष दलील दी गई कि याची का नगरोटा के बन गांव के खसरा नंबर 441 में चार कनाल का रिहायशी प्लाट था, जो उन्होंने 20 मई 2014 को खरीदा था। उन्होंने प्लाट की सेल-डीड भी ट्रिब्यूनल के समक्ष पेश की। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र किसी भी विकास प्राधिकरण के क्षेत्राधिकार में नहीं आता और 2017 की शुरुआत तक याची ने यहां बंगले का निर्माण पूरा कर लिया था।

    उन्होंने कहा कि याची अपने परिवार के साथ 2017 से उस घर में रह रही थी और तब किसी ने निर्माण पर किसी तरह की कोई आपत्ति नहीं की। उन्होंने कहा कि तीन मार्च 2017 को जम्मू मास्टर प्लान 2032 की अधिसूचना जारी हुई, जिसके तहत 103 गांव जेडीए के अधीन लाए गए। इनमें बन गांव भी एक था। अब चार साल बाद जेडीए ने इस निर्माण को अवैध करार देते हुए नोटिस जारी किया है। इस पर जेडीए ने अपना पक्ष रखते हुए कई फोटोग्राफ ट्रिब्यूनल के सामने पेश किए और दावा किया कि 2018 तक बंगले में निर्माण कार्य जारी रहा और पूरा निर्माण नियमों का उल्लंघन करके किया गया।