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    जम्मू कश्मीर में दोबारा वाहन पंजीकरण के खिलाफ सुनवाई 19 अप्रैल को होगी

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Sat, 17 Apr 2021 02:01 PM (IST)

    जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को देश के अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों को जम्मू कश्मीर में दोबारा पंजीकृत कराए जाने संबंधी मामले पर दायर याचिका काे जनहित याचिका मानने से इंकार कर दिया है। अलबत्ता इसे साेमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

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    दोबारा पंजीकरण के लिए संबंधित अधिकारी आदेश जारी कर सकते हैं। इसकी व्यवस्था मोटर वाहन अधिनियम 1988 में है।

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को देश के अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों को जम्मू कश्मीर में दोबारा पंजीकृत कराए जाने संबंधी मामले पर दायर याचिका काे जनहित याचिका मानने से इंकार कर दिया है। अलबत्ता, अदालत ने इसी मामले पर पहले से एकल पीठ के पास लंबित याचिका के साथ जोड़ने का निर्देश देते हुए कहा कि इसे साेमवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाए।

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    बुछपोरा श्रीनगर के इरशाद हुसैन मुंशी ने 27 मार्च को क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी आरटीओ कश्मीर द्वारा जारी एक अधिसूचना को रद्द करने के आग्रह के साथ अदालत में एक जनहित याचिका दायर की थी। आरटीओ कश्मीर ने मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत देश के अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों को 15 दिनों के भीतर दोबारा पंजीकृत कराने का आदेश देते हुए कहा था कि ऐसा न करने वाले वाहनों को जब्त किया जाएगा। इरशाद हुसैन ने अदालत से कहा था कि वह संबंधित प्रशासन को यह भी स्पष्ट करने को कहा कि अगर जम्मू कश्मीर से बाहर पंजीकृत वाहन पर पहले ही टैक्स चुकाया गया है तो क्या जम्मू कश्मीर में पुन: पंजीकरण पर दोबारा टैक्स जमा करना है। उन्होने अदालत से आग्रह किया था कि जम्मू कश्मीर से बाहर पंजीकृत वाहनों को जब्त करने या उन पर जुर्माना लगाने के आरटीओ के आदेश पर भी रोक लगायी जाए और लोगो को अपने वाहनों को दोबारा पंजीकृत कराने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।

    जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस पंकज मित्थल और जस्टिस रजनीश ओसवाल की पीठ ने आज इरशाद हुसैन की याचिका को जनहित याचिका मानने से इंकार करते हुए कहा कि इसे पहले से लंबित एक याचिका के रिकार्ड के साथ जोड़ा जाए। उक्त याचिका पर 19 अप्रैल काे सुनवाई होगी।

    बीते सप्ताह जस्टिस अली मोहम्मद मागरे की एकल पीठ ने आरटीओ कश्मीर द्वारा 27 मार्च को जारी अधिसूचना काे चुनाैती देती एक अन्य व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार को अपना पक्ष रखने काे कहा था। महाधिवक्ता ने डीसी रैना ने इस याचिका की वैधता पर सवाल उठाया था। उन्होंने अदालत को बताया था कि किसी भी अन्य राज्य का ऐसा वाहन जो जम्मू कश्मीर में एक साल से भी ज्यादा समय से हो, उसके दोबारा पंजीकरण के लिए संबंधित अधिकारी आदेश जारी कर सकते हैं। इसकी व्यवस्था मोटर वाहन अधिनियम 1988 में है।

    उल्लेखनीय है कि जम्मू कश्मीर में एक बड़ा वर्ग पहले से इस्तेमालशुदा गाड़ियों का कारोबार करता है। जम्मू कश्मीर में कई लोग बाहरी राज्यों में पंजीकृत वाहनों का इस्तेमाल करते हैं। आरटीओ कश्मीर के आदेश को लेकर लोगों में तीव्र पतिक्रिया हुई है और वह इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं। कश्मीर में कई लोगों ने प्रदर्शन भी किए। जम्मू कश्मीर पुलिस ने आरटीओ के आदेश का समर्थन करते हुए कहा कि अन्य राज्यों में पंजीकृत वाहनों का जम्मू कश्मीर में सक्रिय कई आतंकी वारदातों में इस्तेमाल हुअा है। यह सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा हैं, इसलिए इनका जम्मू कश्मीर में दोबारा पंजीकरण जरुरी है। 

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