जम्मू-कश्मीर की दो विधानसभा सीटों पर उपचुनाव कराने के लिए उच्च न्यायालय पहुंचे हर्ष देव, 10 महीनों से हैं रिक्त
पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर नगरोटा और बडगाम में उपचुनाव कराने की मांग की है। उन्होंने चुनाव आयोग पर संवैधानिक दायित्वों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है क्योंकि ये सीटें अक्टूबर 2024 से रिक्त हैं। सिंह ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का हवाला देते हुए चुनाव आयोग से छह महीने के भीतर चुनाव कराने का आग्रह किया है।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। पूर्व शिक्षामंत्री हर्ष देव सिंह ने नगरोटा, बडगाम में उपचुनाव कराने की मांग को लेकर मंगलवार को जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।
उन्होंने अदालत में याचिका दायर कर भारत के चुनाव आयोग (ईसीआई) को नगरोटा और बडगाम विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव कराने के निर्देश देने की मांग की है।
पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने नगरोटा और बडगाम विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में उपचुनाव में देरी को गैरकानूनी और मनमाना बताते हुए चुनाव आयोग पर अपने संवैधानिक दायित्व का उल्लंघन करने का आरोप लगाया। ये दोनों निर्वाचन क्षेत्र अक्टूबर 2024 से रिक्त हैं।
बडगाम विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने चुनाव जीता था। उन्होंने गांदरबल सीट से भी चुनाव लड़ा था और वहां से भी जीते थे। इसलिए उन्होंने बडगाम सीट से इस्तीफा दे दिया। नगरोटा विधानसभा सीट से भाजपा के देवेंद्र सिंह राणा ने चुनाव जीता था,लेकिन उनका अक्टूबर 2024 के अंत में निधन हो गया और नगरोटा सीट भी रिक्त हो गई।
पूर्व मंत्री हर्ष देव सिंह ने अपनी याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 151ए का हवाला देते हुए चुनाव आयोग को चुनाव कराने का निर्देश देने का आग्रह कियाहै। नियमानुसार रिक्त विधानसभा सीटों को रिक्त होने के छह महीने के भीतर भरना अनिवार्य है।
हर्ष देव सिंह ने इन दोनों सीटों के उपचुनाव में देरी को गैरकानूनी और मनमाना" करार देते हुए चुनाव आयोग पर अपने संवैधानिक दायित्वों का निर्वाह करने में विफल रहने और सर्वोच्च न्यायालय के उन फैसलों की अवहेलना करने का आरोप लगाया, जिनमें सीट खाली होने पर तुरंत चुनावी कार्रवाई करने पर ज़ोर दिया गया है।
उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल और केरल जैसे अन्य राज्यों में उपचुनावों के लिए अधिसूचना जारी करने के बावजूद, चुनाव आयोग द्वारा उपचुनाव कराने से इनकार करना, जम्मू-कश्मीर के प्रति पूर्वाग्रही और सौतेला व्यवहार दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा देरी के लिए भारी बर्फबारी को उचित ठहराना बेतुका है, क्योंकि नगरोटा में इतिहास में कभी बर्फबारी नहीं हुई है। पिछले 10 महीनों से चुनाव आयोग मूकदर्शक बना हुआ है और बेतुके बहाने बना रहा है, जबकि नगरोटा और बडगाम के लोग विधानसभा में प्रतिनिधित्व के बिना हैं।
यह सर्वोच्च न्यायालय की इस टिप्पणी का खुला उल्लंघन है कि चुनाव आयोग को सीट खाली होते ही तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने अपनी याचिका में दलील दी है जम्मू-कश्मीर में अक्सर चुनाव तब तक चुनाव नहीं कराए जाते जब तक न्यायपालिका लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए हस्तक्षेप नहीं करती।
उन्होंने आशा व्यक्त की कि उच्च न्यायालय समय पर चुनाव न कराने के मामले का संज्ञान लेगा और यह सुनिश्चित करेगा कि प्रशासनिक मनमानी के कारण लोकतांत्रिक प्रक्रिया पटरी से न उतरे।
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