चांद की धरती पर करना चाहते हैं सितारों की दुनिया की सैर, तो आइये आपको लेकर चले लद्दाख के गांव हनले
लद्दाख के हनले में खगोलीय पर्यटन बढ़ रहा है जिसे डार्क स्काई रिजर्व घोषित किया गया है। यहां प्रदूषण मुक्त आसमान में सितारे करीब और चमकदार दिखते हैं। प्रशासन 24 युवाओं को एस्ट्रो अंबेसेडर बनाया है जिनमें 16 महिलाएं हैं जिससे रोजगार के अवसर बढ़ रहे हैं। पर्यटक अप्रैल से सितंबर तक यहां आ सकते हैं और होम स्टे की सुविधा उपलब्ध है।

विवेक सिंह, जम्मू। खगोलीय दुनिया को और अधिक करीब से देखने की चाहत है या फिर अंतरिक्ष में सितारों की सैर आपको लुभाती है तो हनले चले आएं। चांद की दुनिया के नाम से मशहूर लद्दाख की इस धरती पर घनी काली रात में प्रदूषण व धूलकण से मुक्त आसमान में सितारे और अधिक चमकदार व करीब नजर आते हैं। यहां सितारों को करीब से देखने का रोमांच दुनियाभर के खगोलविदों के साथ पर्यटकों को भी लुभा रहा है।
इसके महत्व को समझते हुए प्रशासन ने 2022 में लद्दाख के हनले को डार्क स्काई रिजर्व घोषित किया था। उसके बाद यहां दुनियाभर से आने वाले खगोलविदों के लिए सुविधाओं का विस्तार किया जाने लगा और अब हनले खगोलीय पर्यटन के नए केंद्र के तौर पर उभर रहा है।
प्रशासन ने यहां खगोलीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 24 युवाओं को एस्ट्रो अंबेसेडर बनाया गया है। इनमें 16 महिलाएं हैं। इससे उनके लिए आजीविका के नए अवसर पैदा हो रहे हैं। उन्हें खगोल विज्ञान व टेलीस्कोप के संचालन में प्रशिक्षित किया गया है। अठाइस वर्षीय एस्ट्रो अंबेसडर पदमशे पिछले 30 माह से पर्यटकों को सितारों की दुनिया की सैर करवा रहे हैं। पदमशे ने बताया कि तीन साल पहले तक हनले में रोजगार के साधन नही थे। अब हम पर्यटकों को तारें दिखाने के साथ उन्हें चांगथांग अभयारण्य की सैर भी करवाते हैं।
दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची ऑप्टिकल टेलीस्कोप
पूर्वी लद्दाख के चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के भीतर हनले गांव के आसपास के 1,073 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को डार्क स्काई रिजर्व घोषित किया गया है। यह समुद्र तल से 4500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है और भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान की भारतीय खगोलीय वैधशाला ने दुनिया की दूसरा सबसे ऊंचा आप्टिकल टेलीस्कोप यहां स्थापित किया है। इससे देश-विदेश के विज्ञानी खगोलीय गतिविधियों पर नजर रखते हैं।
अप्रैल माह से होती है पर्यटन सीजन की शुरुआत
अब लद्दाख प्रशासन यहां खगोलीय पर्यटन को बढ़ावा दे रहा है और यही वजह है कि वर्ष 2024 में 28 हजार पर्यटक यहां अंतरिक्ष की दुनिया की करीब से सैर करने पहुंचे थे। लद्दाख में पर्यटन सीजन की शुरुआत अपैल में होने के साथ ही क्षेत्र में पर्यटकों का आगमन शुरू हो गया है।
अप्रैल महीने में ही दो हजार से अधिक पर्यटक यहां पहुंचे थे। मई माह में ऑपरेशन सिंदूर से उपजे हालात में पर्यटकों के आने की संख्या कुछ कम हुई थी लेकिन अब फिर से सिलसिला शुरू हो गया है। सामान्य तौर पर सितंबर माह तक यह सीजन रहता है। प्रशासन ने एस्ट्रो टूरिज्म से ग्रामीणों को जोड़ने के लिए यहां होम स्टे की व्यवस्था बनाने में सहयोग किया है। साथ ही ग्रामीणों को पर्यटकों के लिए छोटे टेलीस्कोप दिए हैं।
ऐसे पहुंच सकते हैं हनले
हनले लद्दाख के लेह से लगभग 260 किलोमीटर की दूरी पर है। लेह तक देश के प्रमुख शहरों से वायुमार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है। लेह से बुधवार व शनिवार को हनले के लिए बस भी चलती है। यह करीब सात घंटों में हनले पहुंचाती है। पर्यटक चाहें तो टैक्सी से भी हनले पहुंच सकते हैं।
पैंगांग झील से होते हुए भी पर्यटक हनले जा सकते हैं। सितारों की दुनिया को करीब से देखने के लिए रात में होम स्टे में ठहरा जा सकता है। यहां दो से चार हजार रुपया प्रतिदिन पर कमरा उपलब्ध हो सकता है।
वास्तविक नियंत्रण रेखा के बहुत करीब इस बर्फीले रेगिस्तान में सड़कों का अच्छा नेटवर्क है। हनले में पहुंचने के बाद पहाड़ आकार में छोटे हो जाते हैं और कई समूह दिखाई देते हैं और यह खासा दृश्य प्रस्तुत करते हैं। यहां पहाड़ी के ऊपर एक मठ भी हैं। यहां के दृश्य मंत्रमुग्ध करते हैं। हनले में ऑक्सीजन की कमी है, ऐसे में यहां आने के लिए पर्यटकों का मानसिक व शारीरिक रूप से फिट होना जरूरी है।
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