CM को गार्ड ऑफ ऑनर और सड़कों पर बरसा प्यार, अब जम्मू से चलेगी सरकार, उमर अब्दुल्ला बोले- दरबार मूव को पैसे से ना तौलें
पांच साल बाद जम्मू में दरबार फिर से बहाल हो गया है, जिससे शीतकालीन राजधानी में कामकाज शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दरबार मूव की परम्परा को सही ठहराते हुए कहा कि यह जम्मू की जरूरत है और इससे अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
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सीएम को गार्ड ऑफ ऑनर और सड़कों पर बरसा प्यार...
राज्य ब्यूरो, जम्मू। पांच वर्ष बाद सोमवार को शरदकालीन राजधानी जम्मू में दरबार फिर बहाल हो गया। अब सर्दियों के छह माह नागरिक सचिवालय पूरी तरह शरदकालीन राजधानी में रहेगा।
इससे पूर्व नवंबर 2020 में जम्मू स्थित सचिवालय में परम्परागत रूप से शरदक ऋतु के लिए नागरिक सचिवालय खुला था और जून 2021 में तत्कालीन प्रशासन ने दरबार मूव की प्रथा को बंद कर दिया था। आज यहां नागरिक सचिवालय में मुख्यमंत्री के आगमन पर पुलिस के एक दस्ते ने उन्हें गार्ड ऑफ ऑनर दिया।
इस बीच, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय, जम्मू कश्मीर पुलिस मुख्यालय, राजभवन सचिवालय भी अब अगले छह माह यहां शरदकालीन राजधानी में रहेंगे। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस अवसर पर दरबार मूव की बहाली को सही ठहराते हुए कहा कि कुछ चीजों को पैसे से नहीं तौला जा सकता। दरबार मूव की परम्परा, प्रदेश के दोनों प्रांतों के बीच सामाजिक-सांस्कृतिक-आर्थिक गतिविधियों के आदान-प्रदान का एक पुल भी है।
दरबार मूव की परम्पर जम्मू कश्मीर के डोगरा शासक महाराजा गुलाब सिंह ने शुरू की थी। आजादी के बाद भी यह परम्परा जारी रही और सर्दियों के छह माह नवंबर से अप्रैल के अंत तक सचिवालय जम्मू में और गर्मियों के छह माह मई से अक्टूबर अंत तक सभी प्रमुख प्रशासनिक विभाग, मंत्रिमंडल के सदस्य श्रीनगर सचिवालय से काम करते हैं।
इसलिए श्रीनगर को ग्रीष्मकालीन राजधानी कहा जाता है। साल में दोबार सचिवालय के दोनों राजधानियों के बीच स्थानांतरण का कई वर्ग इस पर होने वाले खर्च के मद्देनजर विरोध भी करते रहे हैं।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जून 2021 में दरबार मूव की प्रथा को यह कहकर समाप्त किया था कि प्रशासन पूरी तरह से ई-ऑफिस में बदल गया है। इसलिए अब इसकी जरूरत नहीं है और इसे बंद करने से सालाना लगभग 200 करोड़ रुपये की बचत होगी। आज अपने पिता डा फारूक अब्दुल्ला और अन्य करीबी परिजनों के साथ मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का नागरिक सचिवालय पहुंचने पर भव्य स्वागत हुआ।
गॉड आफ ऑनर के बाद उन्होंने सचिवालय परिसर में विभिन्न कक्षों कादौरा किया और विभिन्न कम्रचारियों के साथ बातचीत की। इसके बाद उन्होंने अपने सचिवालय में प्रशासनिक अधिकारियों संग बैठक करने के अलावा मंत्री परिषद के सदस्यों के साथ भी एक बैठक की और कामकाज का जायजा लिया। इस दौरान पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि दरबार मूव जम्मू की एकजरुरत थी।
इसका फायदा जम्मू को होता है और जम्मू की अर्थव्यवस्था को इससे बढ़ावा मिलता है। उन्होंने कहा कि दरबार मूव मेरी, मेरे पिता डा फारूक अब्दुल्ला या मेरे दादा स्व शेख मोहम्मद अब्दुल्ला की विरासत नहीं है, यह हमारी सौ साल से भी ज्यादा पुरानी एक परम्परा, जिसे डोगरा शासकों ने ही शुरू किया था, बहाल किया है।
यह हमारी एक ऐतिहासिक विरासत है जो दोनों प्रांतों के लोगों को आपस में सामाजिक-सांस्कृतिक-क्षेत्रीध अाधार पर भी जोड़ती है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हमेशा जम्मू और कश्मीर के बीच दरार पैदा करने और राजनीतिक फायदे के लिए 'जम्मू बनाम कश्मीर' का मुद्दा उठाने की कोशिश करते हैं।
हम उस दरार को खत्म करना चाहते हैं और दूरी को कम करना चाहते हैं। दरबार मूव की परम्परा की बहाली उसी दिशा में हमारा एक प्रयास है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहाकि यह (फैसला) कितना महत्वपूर्ण था, खासकर जम्मू के लिए, आपको आज सुबह पता चल गया होगा।
(मेरे सरकारी आवास से यहां नागरिक सचिवालय तक) का सफर, जिसमें आमतौर पर पांच मिनट लगते हैं, आज एक घंटा लगा क्योंकि लोग सड़कों पर उतर आए और अपना प्यार बरसाया... जब ''''दरबार मूव'''' रोका गया तो जम्मू बहुत प्रभावित हुआ था। हमने इसे दोबारा बहाल कर, अपनी जिम्मेदारी पूरी की है। हमें उम्मीद है कि इससे जम्मू कश्मीर की अर्थव्यवस्था को फायदा होगा।
उन्होंने कहा कि सबसे ज़रूरी बात यह है कि हर चीज़ को पैसे से नहीं तौला जाना चाहिए। ‘दरबार मूव’ को पैसे बचाने के लिए रोका गया था। कुछ चीज़ें पैसे से ज़्यादा अहम होती हैं, क्योंकि इसमें जम्मू और कश्मीर के दोनों क्षेत्रों की भावना और एकता शामिल है यह परंपरा दोनों क्षेत्रों को एकजुट करने का "सबसे बड़ा तरीका" है।
दरबार मूव की परम्परा को बंद करने से प्रदेश के दोनों प्रांतों के बीच एक खाई को पैदा करने ाक प्रयास किया गया है और हमने इस गलती को सुधारने की कोशिश की है।
दरबार मूव में शामिल कर्मचारियों के संदर्भ में पूछे गए सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि दरबाव मूव अब कुछ वर्ष के अंतराल के बाद हो रहा है, इसलिए उनकी आवासीय सुविधा को लेकर या कुछ अन्य दिक्कतें हो सकती हैं,लेकिन इन दिक्कतों केा जल्द ही दूर कर लिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि हमें कार्यालयों केा फिर से व्यवस्थित करना है, कर्मचारियों को रहने की जगह देनी है, और बाकी सभी इंतज़ाम करने हैं। इसके लिए, अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में अधिकारियों की एक खास टीम बनाई गई है जो इन सभी चीज़ों को देखेगी।
मुझे पूरी उम्मीद है कि शालीन काबरा और उनकी टीम कर्मचारियों की सभी समस्याओं को हल कर देगी। अब्दुल्ला ने कहा कि उनकी सरकार को सत्ता में आए अभी सिर्फ़ एक साल हुआ है और उन्होंने वादा किया कि “हालात बेहतर होते रहेंगे।

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