Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    सरकार और राजभवन के बीच टकराव, CM उमर और LG सिन्हा में कई मुद्दों पर नहीं बन पा रही सहमति; सामने आई खींचतान

    Updated: Sat, 07 Dec 2024 01:22 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (CM Omar Abdullah) और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (LG Manoj Sinha) के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। महाधिवक्ता ...और पढ़ें

    Hero Image
    जम्मू-कश्मीर में मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच टकराव (फाइल फोटो)

    नवीन नवाज, जम्मू। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के बीच सबकुछ सही नहीं चल रहा है। जम्मू-कश्मीर में महाधिवक्ता की नियुक्ति हो, अधिकारियों के तबादले, प्रशासनिक बैठकें या फिर नीतिगत निर्णय, उमर सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति बन रही है। सरकार के गठन के दो माह के भीतर ही दोनों के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    5 दिसंबर को अवकाश का भेजा प्रस्ताव 

    इन सबके बीच, प्रदेश सरकार ने उमर के दादा शेख अब्दुल्ला की जयंती पर पांच दिसंबर को अवकाश की पुनर्बहाली का प्रस्ताव राजभवन को भेजने के साथ ही सार्वजनिक तौर पर शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान (स्किम्स) की स्वायत्तता बहाल करने का एलान कर गेंद राजभवन के पाले में फेंक दी है।

    अगर राजभवन प्रदेश सरकार के प्रस्तावों का अनुमोदन नहीं करता है तो मुख्यमंत्री यह कहने में शायद ही देर करें कि केंद्र सरकार राजभवन के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की निर्वाचित सरकार को काम नहीं करने दे रही है।

    पहले से थी टकराव की आशंका

    पहले दिन से ही आशंका थी कि सरकार व राजभवन के बीच टकराव बनेगा। सूत्रों के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में महाधिवक्ता को लेकर मुख्यमंत्री सचिवालय व राजभवन के बीच असहमति है। सरकार के सत्तासीन होने के बाद महाधिवक्ता डीसी रैना ने त्यागपत्र दिया था।

    कहा जाता है कि उमर ने उन्हें त्यागपत्र वापस लेने और सेवाएं जारी रखने को कहा है। वहीं राजभवन इससे असहमत है और तथाकथित तौर पर इसी कारण उच्च न्यायलय की डिवीजन बेंच में गत बुधवार को आरक्षण के मुद्दे पर सुनवाई के समय महाधिवक्ता रैना अनुपस्थित रहे।

    तबादलों पर हो रही खींचतान

    सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री उमर प्रदेश में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के हालिया तबादलों से भी नाखुश हैं। पहली दिसंबर को उपराज्यपाल के निर्देशानुसार, तीन आइएएस और एक जेकेएएस अधिकारी के तबादले पर भी रार हो रही है। कहा जा रहा है कि उमर ने इन तबादलों में रियासी के तत्कालीन जिला उपायुक्त विशेषपाल महाजन के नाम पर एतराज जताया है।

    विशेषपाल जेकेएएस कैडर के अधिकारी हैं, जबकि उपराज्यपाल के पास आइएएस कैडर के अधिकारियों के तबादलों का अधिकार है। मुख्यमंत्री के एतराज के कारण ही विशेषपाल, जिन्हें जम्मू के पर्यटन निदेशक पद पर स्थानांतरित किया गया है, नए नियुक्ति स्थल पर अपना कार्यभार ग्रहण करने से दो दिन तक बचते रहे।

    इन तबादलों को लेकर तीन दिसंबर को जम्मू में मुख्यमंत्री ने महाप्रशासनिक विभाग की एक बैठक में भी कड़ा एतराज जताया। कहा जाता है कि उन्होंने उक्त अधिकारी को महाप्रशासनिक विभाग में अटैच करने को कहा था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। मुख्यमंत्री की बैठक में मौजूद एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी से कथित तौर पर इस विषय में बहस भी हुई थी।

    अवकाश को लेकर भी रार

    उमर ने शेरे कश्मीर आयुर्विज्ञान संस्थान की स्वायत्तता बहाली के लिए प्रयास करने का एलान किया है। यह संस्थान एक डीम्ड विश्वविद्यालय की तरह काम करता था, लेकिन उपराज्यपाल प्रशासन ने इसे स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधीन किया था।

    इसके अलावा प्रदेश सरकार 13 जुलाई और पांच दिसंबर के अवकाश को पुनः बहाल करना चाहती है, जिन्हें केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद रद किया गया था। पांच दिसंबर के अवकाश पर शायद सहमति बन भी जाए, लेकिन 13 जुलाई के अवकाश को लेकर रार रहेगी।

    बता दें कि 13 जुलाई 1931 को महाराजा के शासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए मारे गए 22 लोगों की याद में कश्मीर में शहीद दिवस और जम्मू में काला दिवस मनाया जाता है। वहीं, सरकार ने जिस तरह से विंटर जोन में नौंवी कक्षा तक का अकादमिक सत्र नवंबर किया है, उससे राजभवन कहीं न कहीं क्षुब्ध है।

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में करोड़ों की लागत से 17 मंदिरों का होगा जीर्णोद्धार, CM उमर अब्दुल्ला ने राशि की मंजूर

    राजभवन और सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित

    गृह मंत्रालय से जुड़े सूत्रों ने बताया कि जम्मू-कश्मीर में राजभवन और निर्वाचित सरकार के अधिकार स्पष्ट रूप से परिभाषित हैं, जिससे अधिकारों के एक-दूसरे से टकराने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 और इसके 2023 संशोधन के तहत महाधिवक्ता की नियुक्ति का विशेषाधिकार उपराज्यपाल के पास है।

    इसी तरह, आईएएस और आईपीएस अधिकारियों के तबादले और जम्मू- कश्मीर पुलिस विभाग पर नियंत्रण पूरी तरह उपराज्यपाल के पास है। उपराज्यपाल और सरकार के बीच शक्तियों को लेकर कोई टकराव नहीं है।

    गृह मंत्रालय द्वारा जम्मू-कश्मीर में सरकार, विधानसभा के कामकाज, संचालन के नियमों को तैयार किया जा रहा है, जिन्हें जल्द अंतिम रूप देकर जारी किया जाएगा। इससे किसी प्रकार का कोई संशय या असंमजस नहीं रहेगा।

    बैठकों में भी दिख रहा तनाव

    सूत्रों की मानें तो मुख्यमंत्री ने एक बैठक में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों से कहा था कि वह अपने स्तर पर विभागीय बैठकें करने के बजाय संबंधित मंत्रियों की अध्यक्षता में बैठक करें और निर्णय लें। इसके बावजूद अगले ही दिन एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने राजस्व और स्वास्थ्य विभाग की अपने स्तर पर बैठकें लीं। इन बैठकों में संबंधित मंत्रियों को शामिल नहीं किया गया।

    यह भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के सदस्य आज तय करेंगे 18 उम्मीदवारों का भविष्य, देर रात तक आएंगे नतीजे