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    जम्मू-कश्मीर के 25 हजार मेडिकल असिस्टेंट के भविष्य को बचाए सरकार

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Mon, 27 Jul 2020 06:19 PM (IST)

    यहां के करीब 25 हजार मेडिकल असिस्टेंट फार्मेसी में पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं। और पांच अगस्त 2019 से पहले यहां लागू जेके फार्मेसी एकट के तहत पूरी तरह से योग्य थे।

    जम्मू-कश्मीर के 25 हजार मेडिकल असिस्टेंट के भविष्य को बचाए सरकार

    जम्मू, राज्य ब्यूरो: जम्मू-कश्मीर गवर्नमेंट फार्मासिस्ट एसोसिएशन के प्रधान तथा फार्मेसी काउंसिल आफ इंडिया के सदस्य सुशील सूदन ने केंद्र सरकार से अनुरोध किया है कि वह जम्मू-कश्मीर के पच्चीस हजार मेडिकल असिस्टेंट के भविष्य को बचाए और उन्हें सेंट्रल फामेंसी एकट के अधीन लाए। यहां एक पत्रकार वार्ता में उन्होंने कहा कि फार्मेसी में डिप्लोमा करने वालों के पास जो योग्यता है, वह यहां पर मेडिकल असिस्टेंट के पास भी हे। वे फाोंसी लाइसेंस के लिए योग्य हैं।

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    यहां के करीब 25 हजार मेडिकल असिस्टेंट फार्मेसी में पूरी तरह से प्रशिक्षित हैं। और पांच अगस्त 2019 से पहले यहां लागू जेके फार्मेसी एकट के तहत पूरी तरह से योग्य थे। लेकिन अब ऐसा नहीं रहा। यह यहां के युवाओं के साथ मजाक है। सुदन ने कहा कि अब दो साल का कोर्स करने वालों को अयोग्य करार देना उनके साथ भेदभाव है। गौरतलब है केंद्र शासित प्रदेश बनने से पहले जममू-कश्मीर में सेंट्रेल फार्मेसी एकट लागू नहीं था। जम्मू कश्मीर का अपना फार्मेसी एकट था। इसमें दो सल की ट्रेनिंग करने वाले मेडिकल असिस्टेंट भी फार्मेसी लाइसेंस के लिए योग्य होते थे ।

    केंद्र के एक्ट में ऐसा प्रावधान नहीं है। अगर केंद्र ने इस मांग कां नहीं माना तो 25 हजार के करीब युवाओं के भविष्य के साथ प्रश्नचिन्ह लग जाएगा। यह भी कहा गया कि पहले जो मेडिकल असिस्टेंट सरकारी नौकरी करते थे, उन्हें भी नौकरी के दौरान पंजीकरण की जरूरत नहीं पड़ती थी। लेकिन अब इसकी भी जरूरत पड़ेगी। उन्हें भी फार्मासिसट के तौर पर पंजीकृत किया जाए। सूदन ने कहा कि वह पहले से ही यह मुद्दा फार्मेसी काउंसिल के प्रधान बी सुरेश, वित्त आयुक्त स्वासथ्य अटल ढुल्लू के साथ उठा चुके हैं। केंद्र सरकार को एक समय की छूट देते हुए सभी का पंजीकरण करना चाहिए।