आतंकवाद को पहचानने में सरकार विफल, पनुन कश्मीर ने कहा- 'सरकार नहीं समझ रही व्हाइट कॉलर माड्यूल के खतरे की गंभीरता'
पनुन कश्मीर ने सरकार पर आतंकवाद को पहचानने में नाकाम रहने का आरोप लगाया है। संगठन का कहना है कि सरकार व्हाइट कॉलर मॉड्यूल के खतरे को समझने में विफल रही है, जिससे देश की सुरक्षा खतरे में है।

पनुन कश्मीर ने सरकार से इस मामले में गंभीरता दिखाने की अपील की है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। पननु कश्मीर ने कहा है कि जिस तरह की आतंकी घटनाएं दिल्ली में घटी और उसके बाद जो सफेद पोश माडयूल सामने आया, को लेकर अब भारत सरकार आतंकवाद की निरंतरता को तो माने। बुधवार को संवाददाता सम्मेलन में चेयरमैन डा.अजय च्रंगु ने कहा कि सरकार ने हर बार आतंकवाद को कम आंकने का प्रयास कर गलती की।
आतंकवाद के भयानक स्वरूप को छोटा करके पेश किया गया। आतंकवाद को छोटा कर इसके खत्म होने के कगार के संकेत दिए गए। इस तरह के विचारों ने ही दरअसल विघटन का काम किया। डा.अजय च्रंगु ने कहा कि हम शुरू से ही सरकार से कह रहे हैं कि आतंकवाद के स्वर को पहचाना जाए और उस हिसाब से ही इस आतंकवाद से निपटने की नीति बनाई जाए। मगर सरकार सच्चाई को समझने को कभी तैयार ही न हीं हुई।
उन्होंने कहा कि अब बातें हो रही हैं कि आतंकवाद का नया रूप सामने आया है। पढ़े लिखे सफेद पोश लोग भी इसमें आए हैं। कभी कहा जाता है कि जम्मू-कश्मीर से आतंकवाद तो दशक पहले ही खत्म कर दिया था। अब लंबे अंतराल में फिर पनपा है। ऐसी बातों से लगता है कि भारत सरकार अभी भी आतंकवाद को पहचान को उसके हिसाब से जवाब देने के लिए तैयार नहीं हो पाई है।
डा. अजय च्रंगु ने सफेद पोश लोगों के आतंकवाद में लिप्त होने पर हो रही चर्चाओं का जवाब देते हुए कहा कि कोई नया खेल नहीं है। जेकेएलएफ की लीडरशिप का एक बड़ा तबका सफेद पोश ही रहा है। सरकारी तंत्र, राजनीति तंत्र ,सरकार व विभिन्न विभागों में आतंकवाद पहले ही किसी न किसी तरह से घर चुका है। राजनीतिक तंत्र और यहां के शासन व्यवस्था में ऐसे लोग हैं जिनका नाता आतंकवाद से भी रहा है।
डा.अजय च्रंगु का जकड़ हर ओर है मगर हम समझना ही नहीं चाहते। आतंकवाद की निरंतरता को नहीं मानकर अपने को भ्रमित करने के समान है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक युद्ध है और सरकार इसके सही स्वरूप को पहचान कर इसे माने और उसी अनुरूप आतंकवाद को कुलचने के लिए अपनी रणनीति बनाए।

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