Mata Vaishno Devi श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी! ताराकोट से सांझी छत तक रोपवे की तैयारी, अगले वर्ष शुरू होगा काम
माता वैष्णो देवी की यात्रा में हर किसी को हेलीकाप्टर की टिकट मुहैया करवाना संभव नहीं है। रोपवे एक बेहतर विकल्प होगा। विशेषज्ञ इस पर जल्दी ही काम शुरू कर देंगे।-अंशुल गर्ग मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड

जम्मू, रोहित जंडियाल। श्री माता वैष्णो देवी के श्रद्धालुओं को जल्द ही एक और तोहफा मिलने वाला है। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड अगले वर्ष यात्रा के नए मार्ग ताराकोट से सांझी छत तक रोपवे का काम शुरू कर सकता है। इसके लिए तैयारियां काफी तेजी से चल रही हैं। सर्वे भी जल्द होगा। इसका मकसद उन श्रद्धालुओं के लिए यात्रा को सुगम बनाना है। सांझी छत से श्रद्धालु सिर्फ तीन किलोमीटर की दूरी तय कर आसानी से माता के भवन तक पहुंच सकते हैं।
सर्वे जल्द, 200 करोड़ का अनुमानित खर्च
श्रद्धालुओं को बहुत कम समय में यात्रा कराने के लिए वर्तमान में कटड़ा से सीधे भवन तक पहुंचने के हेलीकाप्टर की व्यवस्था है, लेकिन एक दिन में एक हजार के आसपास श्रद्धालु ही इसका लाभ ले पाते हैं। फिलहाल, इसके विस्तार की कोई योजना भी नहीं है। हेलीकाप्टर सांझी छत तक ही जाता है। बहुत से यात्री घोड़े या पालकी से सफर नहीं कर पाते हैं। ऐसे में उन्हें भवन तक पहुंचने के लिए हेलीकाप्टर की टिकट का लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसी को देखते हुए श्राइन बोर्ड ने ताराकोट से सांझी छत तक रोपवे बनाने का फैसला किया है। इसके लिए अगले महीने ही सर्वे भी शुरू कर दिया जाएगा। अगर सर्वे में सब कुछ सही रहा तो जनवरी में काम शुरू करने के लिए टेंडर भी जारी कर दिया जाएगा। यह परियोजना डेढ़ से दो वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है। इस पर अनुमानित लागत डेढ़ से दो सौ करोड़ रुपये आएगी।
श्राइन बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अंशुल गर्ग का कहना है कि श्राइन बोर्ड श्रद्धालुओं की यात्रा को सुगम बनाने के लिए बहुत सी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। उनमें से रोपवे परियोजना भी एक है। ताराकोट से सांझी छत तक के इस रोपवे का सर्वे पूरा होने के बाद उम्मीद है कि अगले वर्ष के आरंभ में इसके लिए हम प्रक्रिया शुरू कर दें। यह एक बड़ी परियोजना है। इसे पूरी तरह से सुरक्षित बनाने के लिए यूरोपियन मानदंड अपनाए जाएंगे।
अभी भवन से भैरो घाटी तक है रोपवे
इस समय श्रद्धालुओं के लिए माता वैष्णो देवी के भवन से लेकर भैरो घाटी तक रोपवे है। इसमें एक समय में करीब 40 श्रद्धालु भवन से बाबा भैरव नाथ के मंदिर के पास पहुंच जाते हैं। इसमें मात्र दो मिनट का समय ही लगता है। एक श्रद्धालु से आने और जाने के सिर्फ सौ रुपये ही लिए जाते हैं। यह रोपवे शुरू होने से बाबा भैरव के दर्शन के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कई गुना बढ़ गई है। ताराकोट से सांझी छत तक रोपवे बनने से भी यात्रा में वृद्धि होगी।
अभी ऐसी पूरी होती है यात्रा
- कटड़ा से माता के भवन तक जाने के लिए दो मार्ग हैं। पुराने और पारंपरिक मार्ग से कटड़ा से भवन की दूरी 13 किलोमीटर है। इसमें कटड़ा से बाणगंगा तक एक किलोमीटर की दूरी भी शामिल है। अगर भैरव मंदिर तक जाना हो तो यह दूरी 14.5 किलोमीटर हो जाती है। इस मार्ग से पैदल जाने में पांच घंटे तक लग जाते हैं। अर्द्धकुंवारी तक घोड़े और पिट्ठू से भी जा सकते हैं।
- दूसरा ताराकोट मार्ग है। पुराने मार्ग से यह डेढ़ किलोमीटर अधिक लंबा है। इस नए मार्ग को चार वर्ष पहले खोला गया था। कटड़ा से अर्द्धकुंवारी तक का यह सात किलोमीटर का रास्ता है। इस पर अर्द्धकुंवारी तक पैदल ही जाना पड़ता है। आगे बैटरी कार की व्यवस्था है।
- अगर आप हेलीकाप्टर से जा रहे हैं तो कटड़ा से सांझी छत तक मात्र पांच मिनट में पहुंच जाएंगे। इसके बाद घोड़े या पालकी से भवन तक जा सकते हैं। सांझी छत से भवन करीब करीब तीन किलोमीटर है। इस पर पैदल एक घंटा और घोड़े से 20 से 30 मिनट लगते हैं।
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