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    किडनी के मरीजों के लिए अच्छी खबर, जीएमसी श्रीनगर में फिर शुरू हुआ किडनी ट्रांसप्लांट

    Updated: Tue, 27 May 2025 09:08 AM (IST)

    जीएमसी श्रीनगर में किडनी प्रत्यारोपण फिर से शुरू हो गया है। पहला प्रत्यारोपण 50 वर्षीय व्यक्ति पर किया गया जिसकी पत्नी ने उसे किडनी दान की। आयुष्मान भारत योजना के तहत यह प्रत्यारोपण मुफ्त में किया गया। स्वास्थ्य सचिव ने इसे स्वास्थ्य सेवा में बड़ी उपलब्धि बताया। डॉ. सज्जाद नजीर ने कहा कि इससे किडनी रोगियों में नई उम्मीद जगी है।

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    सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल श्रीनगर में फिर शुरू हुआ किडनी प्रत्यरोपण। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जीएमसी श्रीनगर के सहायक सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में नेफ्रो-यूरोलाजिकल विभागों ने किडनी प्रत्यारोपण फिर से सफलतापूर्वक किया है। यह मील का पत्थर डायलिसिस पर निर्भर और प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा कर रहे रोगियों के लिए आशा है।

    पहला प्रत्यरोपण पचास वर्ष के एक व्यक्ति का हुआ जो कि किडनी की समस्या से जूझ रहा था। उसकी पत्नी ने उसे अपनी किडनी दी। किडनी प्रत्यरोपण प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना के तहत हुआ। इसमें मरीज को कुछ भी खर्च नहीं करना पड़ा।

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    स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा और परिवार कल्याण विभाग के सचिव डा. सैयद आबिद राशिद शाह ने इस उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि यह सफल किडनी प्रत्यारोपण हमारी स्वास्थ्य देखभाल क्षमताओं में एक बड़ी छलांग है।

    केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन सभी नागरिकों के लिए उन्नत चिकित्सा देखभाल सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध है और जीएमसी श्रीनगर में यह उपलब्धि आयुष्मान भारत के तहत सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा के हमारे दृष्टिकोण के साथ पूरी तरह से मेल खाती है।

    जीएमसी श्रीनगर की प्रिंसिपल प्रोफेसर इफ्फत हसन शाह ने कहा कि हमारे केंद्र में किडनी ट्रांसप्लांटेशन की सफल बहाली हमारे यूरोलाजी, नेफ्रोलाजी और एनेस्थीसिया टीमों के समर्पण और प्रशासन के सहयोग का प्रमाण है।

    डॉ. सैयद सज्जाद नजीर एचओडी यूरोलॉजी और चेयरमैन किडनी ट्रांसप्लांटेशन ने सफल ट्रांसप्लांट पर अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जीएमसी श्रीनगर में किडनी ट्रांसप्लांट के फिर से शुरू होने से क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित मरीजों में अब नई उम्मीद जगी है।

    आयुष्मान भारत के तहत वित्तीय कवरेज के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर इस जीवन रक्षक प्रक्रिया की उपलब्धता सुनिश्चित करती है कि अत्यधिक लागत के अतिरिक्त बोझ के बिना अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती है।