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    Jammu Kashmir: युवाओं को न भटकनें दें राह, परिजनों तक संदेश पहुंचा रही सेना

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Mon, 14 Sep 2020 10:09 AM (IST)

    जनरल राजू ने कहा कश्मीर में कारगर साबित हो रही कांटेक्ट ट्रेसिंग मुहिम युवाओं को न भटकनें दें राह परिजनों तक संदेश पहुंचा रही सेना

    Jammu Kashmir: युवाओं को न भटकनें दें राह, परिजनों तक संदेश पहुंचा रही सेना

    जम्मू, राज्य ब्यूरो। सेना कश्मीर में परिजनों को विश्वास में लेकर सेना सुनिश्चित कर रही है कि युवाओं को राह भटकने से रोका जाए। कश्मीर की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाली सेना की पंद्रह कोर के कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल बीएस राजू ने माना है कि यह रणनीति काफी सक्रिय रही है।

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    सेना कांटेक्ट ट्रेसिंग (संपर्क तलाशकर) मुहिम के तहत कश्मीर में सक्रिय, मारे गए आतंकवादियों के परिजनों के बारे में सारी जानकारी जुटाकर उन तक पहुंच रही है। इस दौरान परिजनों को समझाया जा रहा है कि वे युवाओं को समझाएं कि तैश में आकर वे बंदूक उठाने की गलती न करें।

    श्रीनगर में बातचीत करते हुए कोर कमांडर ने कहा कि परिवारों की काउंसिलिंग युवाओं को राह भटकने से रोकने में बहुत अहमियत रखती है। उन परिवारों तक पहुंचने की पूरी कोशिश हो रही है जिनके बच्चे गुमराह हो सकते हैं। कांटेक्ट ट्रेसिंग कश्मीर में अहम भूमिका निभा रही है। कोर कमांडर ने कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स की विक्टर फोर्स के जीओसी के रूप में कांटेक्ट ट्रेसिंग के जरिए कई युवाओं का हथियार उठाने से रोका था।

    सेना की विक्टर फोर्स कश्मीर के पुलवामा, अनंतनाग, शोपियां व कुलगाम में आतंकवाद के खात्मे के लिए कार्य कर रही है। कांटेक्ट ट्रेसिंग का इस्तेमाल कोरोना संक्रमित की पहचान करने के लिए भी किया जा रहा है। कोर कमांडर का कहना है कि इस मुहिम के तहत सेना कई युवाओं को आतंक की राह से भटकने से रोकने में सफल रही है। ऐसे युवाओं की संख्या न बताते हुए कोर कमांडर ने स्पष्ट किया कि बंदूक उठाने वाले युवाओं की संख्या काफी कम है। हमारी कोशिश है कि युवाओं के दिमाग से आतंकवादी बनने का विचार निकाल दिया जाए।

    जनरल राजू ने कहा कि गुमराह युवाओं को राह पर लाने में परिजनों, दोस्तों की अहम भूमिका है। समाज का सहयोग युवाओं को हिंसा की राह छोड़ने के लिए प्रेरित कर सकता है। उन्होंने बताया कि कई परिजन संदेश जारी कर गुमराह युवाओं को वापस ले आते हैं। ऐसी ही एक कोशिश के बाद युवा माजिद ने हथियार छोड़ दिए थे। उसे विश्वास दिलाया था कि सामान्य जीवन जीने में उसे पूरा सहयोग दिया जाएगा। आज वह जम्मू कश्मीर के बाहर फाइनल इयर की पढ़ाई कर रहा है। वहीं दूसरी ओर पुलिस के अनुसार इस वर्ष कश्मीरी के विभिन्न जिलों से 80 के करीब युवा आतंकवादी बने हैं। उन्हें वापस लाने के लिए सेना के साथ पुलिस की ओर से भी कार्रवाई की जा रही है।