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    Jammu Kashmir: आजादी के बाद पहली बार चढ़े शारदा पीठ पर फूल

    By Preeti jhaEdited By:
    Updated: Mon, 31 Aug 2020 10:49 AM (IST)

    शारदा अष्टमी से पहले मुस्लिम व्यक्ति ने मंदिर में अर्पित किए पुष्प ऑल पार्टीज माइग्रेंट कोआर्डिनेशन के प्रयास के कारण संभव हो पाया

    Jammu Kashmir: आजादी के बाद पहली बार चढ़े शारदा पीठ पर फूल

    राज्य ब्यूरो, जम्मू । आजादी के बाद पहली बार गुलाम कश्मीर स्थित शारदा पीठ मंदिर पर पुष्प अर्पित किए गए। एक स्थानीय मुस्लिम व्यक्ति ने मंदिर में शारदा अष्टमी से पहले चढ़ाकर आपसी भाईचारे की मिसाल कायम की है। यह ऑल पार्टीज माइग्रेंट कोआर्डिनेशन के प्रयास से संभव हो पाया है।

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    शारदा पीठ कश्मीर पंडितों के आस्था का केंद्र है। दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी शक्ति पीठ माने जाने वाले गुलाम कश्मीर स्थित शारदा पीठ को खोलने के लिए कश्मीरी पंडितों का संगठन वर्षो से संघर्ष कर रहा है। कई बार संगठन के चेयरमैन देश के विभिन्न भागों में भूख हड़ताल कर चुके हैं। इस साल 26 अगस्त को शारदा अष्टमी थी।

    ऑल पार्टिज माइग्रेंट कोआर्डिनेशन के चेयरमैन विनोद पंडित ने गुलाम कश्मीर की सिविल सोसायटी के सदस्यों के साथ संपर्क साधा। उन्होंने रईद अहमद को मेल के माध्यम से शारदा अष्टमी पर पीठ में जाकर फूल चढ़ाने को कहा। इस अनुरोध को स्वीकार कर रईस अहमद ने पहली बार पीठ में जाकर फूल चढ़ाए। इसका बकायदा उन्होंने वीडियो भी बनाया। चेयरमैन विनोद पंडित ने भी वीडियो को साझा किया है। शारदा पीठ गुलाम कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पास स्थित नीलम नदी के किनारे बसे शारदा गांव में है।

    विनोद ने दैनिक जागरण को बताया कि साल 1947 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि इस पीठ में किसी व्यक्ति ने फूल चढ़ाए हों। पीठ जर्जर हालत में है। ऑल पार्टीज माइग्रेंट कोआर्डिनेशन को कश्मीर में बंद पड़े कई मंदिर खुलवाने के अलावा गंगबल और कौसर नाग यात्राएं शुरू करवाने का श्रेय भी जाता है। पिछले साल पाकिस्तान सरकार ने इस जगह पर कारीडोर बनाने को मंजूरी दी थी। इसमें भारत से हिन्दू श्रद्धालुओं को शारदा पीठ में इजाजत दी जानी थी।

    विनोद ने बताया कि पिछले साल उन्होंने कुपवाड़ा जिले में नियंत्रण रेखा के पास स्थित गांव सीमारी में किश्नगंगा किनारे कलश पूजा की थी। वह चाहते हैं कि इस पीठ को पारंपरिक मार्ग कुपवाड़ा से खोला जाए ताकि करोड़ों हिन्दू  इस पीठ में जाकर दर्शन कर सकें।