Jammu : पहले धान की कटाई में देरी और अब गेहूं की बिजाई में देरी से सीमावर्ती क्षेत्र के किसान चिंतित
कृषि मजदूरी की कमी भी खल रही है। इससे अब गेहूं की बिजाई पिछड़ रही है। सच मायने में 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई हो ही जानी चाहिए थी। समय पर की गई बिजाई ही अच्छी पैदावार देती है।

जम्मू, जारगण संवाददाता : जम्मू के सीमावर्ती क्षेत्रों में गेहूं की बिजाई में लेट हो रही है। चूंकि खराब मौसम के कारण इस बार बासमती धान की फसल की कटाई समय पर नहीं हो पाई थी। इस वजह से खेत खाली नहीं हो पाए। वहीं दूसरी ओर कृषि मजदूरी की कमी भी खल रही है। इससे अब गेहूं की बिजाई पिछड़ रही है। सच मायने में 15 नवंबर तक गेहूं की बिजाई हो ही जानी चाहिए थी। समय पर की गई बिजाई ही अच्छी पैदावार देती है। बाद में लगने वाली फसल किसी न किसी रूप से प्रभावित होती ही है। इसलिए किसानों की चिंता बढ़ रही है।
सीमावर्ती क्षेत्रों के खेत खाली नहीं हैं और वहां धान की फसल पसरी हुई है। हालांकि किसान दिन भर खेतों में है और फसल समेटने में जुटा हुआ है। चूंकि फिर मौसम खराब होने की आशंका है और किसान इससे पहले पहले खेत खाली कर लेना चाहता है, लेकिन खेती मजदूर नहीं मिल रहे। ऐसे में अगर बारिश हो गई तो बासमती धान खेतों में रह जाएगी और वहीं दूसरी ओर गेहूं की बिजाई नहीं हो पाएगी। इन दिनों में किसानों को लेट वैरायटी के बीजों का इस्तेमाल करना होगा, लेकिन यह बीत भी अगले दो सप्ताह तक ही इस्तेमाल हो सकते हैं। ऐसे में किसानों को दोहरी चिंता है। एक तो उसे खेतों से धान की फसल तुरंत समेटनी है और साथ ही साथ गेहूं की भी बिजाई करनी है। ऐसे में अगर बीच में बारिश हो गई और बढ़े गीलेपन के कारण तुरंत गेहूं की बिजाई नहीं हो पाएगी।
लेट वैरायटी बीजों के सहारे अगले दो सप्ताह के भीतर बिजाई का काम खत्म हो जाना चाहिए। ऐसे में इन दिनों किसान चिंता में है। रामगढ़ के किसान चौधरी प्रकाश का कहना है कि खराब मौसम के कारण ही सारी स्थिति बनी है। इसलिए अब किसान चाह रहा है कि मौसम सामान्य रहे और खूब धूप मिले ताकि किसान बासमती धान की कटाई तो निपटा ही सके, वहीं गहूं की बिजाई का काम भी कर सके। अगर मौसम बिगड़ा तो किसानों को दोहरा नुकसान होगा।

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