Jammu News: जम्मू का ये किसान स्ट्रॉबेरी की खेती का राजा, आप भी हो सकते हैं मालामाल
Jammu News जम्मू के बलदेव स्ट्रॉबेरी की खेती करके खूब लाझ कमा रहे हैं। इनको स्ट्राबेरी की खेती का राजा भी कहा जाता है। बागवानी विभाग से तकनीकी सहायता ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जम्मू। कवि दुष्यंत कुमार की प्रसिद्ध कविता है "कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो" यानी कुछ करने को ठान लिया जाए तो मंजिलें मिल ही जाती है।
ऐसे ही जैसे सांबा जिले के सिंबलेवाली गांव के 47 वर्षीय किसान बलदेव राज को मिली। अपने खेतीबाड़ी के काम में उन्होंने कुछ बदलाव कर जी-जान से मेहनत की और आज स्ट्रॉबेरी की खेती के नामी किसान बन गए हैं।
बलदेव राज स्ट्राबेरी की खेती का राजा
इनको स्ट्राबेरी की खेती का राजा भी कहा जाता है। परिश्रम से वह आत्मनिर्भर बने ही अन्य को भी राह दिखा रहे हैं। बलदेव राज बताते हैं कि वर्ष 2004 में पहली बार मंडी में स्ट्रॉबेरी फल देखे। वह बेहद महंगे बिक रहे थे जो कि महाराष्ट्र से मंगाए जाते थे। उसी समय इसकी खेती करने की इच्छा जागी।
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खेती का दायरा बढ़ा किया 20 कनाल
जानकारी ली तो पता चला कि इसकी खेती जम्मू में भी हो सकती है। बागवानी विभाग से तकनीकी सहायता लेकर दो कनाल भूमि से खेती शुरुआत की। दूसरे राज्यों में जाकर जानकारी ली। खेती का दायरा बढ़कर 20 कनाल हो गया है।
एक कनाल भूमि में 3 हजार पौधे
हर वर्ष 130 से 150 क्विंटल स्ट्राबेरी निकलती है और मंडी में अच्छे दाम पर बिकती है। बलदेव राज बताते हैं कि 15 अक्टूबर से इसकी खेती की तैयारी शुरू हो जाती है। एक कनाल भूमि में 3 हजार पौधे लगते हैं।
हर साल हिमाचल से आते हैं 60 हजार पौधे
हर वर्ष 60 हजार पौधे हिमाचल प्रदेश से मंगवाने पड़ते हैं। एक कनाल भूमि में 35 से 40 हजार रुपये का खर्च आता है। इसमें 80 हजार रुपये से एक लाख रुपये तक आमदनी हो सकती है। फरवरी से अप्रैल तक ही स्ट्रॉबेरी के फल प्राप्त होते हैं।
बलदेव राज की सफलता का राज उनका परिवार भी है। माता बिशनो देवी, पिता दीवान चंद भी खेतों में नजर आते हैं। पत्नी रजनी देवी स्वयं खेतों में काम करती हैं। जरूरत पर मजदूर भी लगाते हैं। उन्होंने आम और आमला के पेड़ भी लगाए हैं।

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