पड़ोसी देश का खतरनाक खेल, जम्मू-कश्मीर के युवाओं को नशे की गिरफ्त में फंसाने की हो रही कोशिश
जम्मू-कश्मीर में पड़ोसी देश युवाओं को नशे की लत में धकेलने का षड्यंत्र रच रहा है। सीमा पार से नशीले पदार्थों की तस्करी कर युवाओं को बर्बाद करने की कोशिश की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियां इस खतरे से निपटने के लिए लगातार प्रयास कर रही हैं और युवाओं को बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जा रहे हैं।

जम्मू प्रोविंस बचाओ मंच के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक गुप्ता पत्रकारवार्ता में किया खुलावा।
संवाद सहयोगी, जागरण, सुंदरबनी। जम्मू प्रोविंस बचाओ मंच के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक शर्मा ने सुंदरबनी में आयोजित एक प्रेस वार्ता में कहा कि जम्मू क्षेत्र के युवाओं को योजनाबद्ध तरीके से नशे की गिरफ्त में फँसाने की साजिश चल रही है।
उन्होंने दावा किया कि पड़ोसी देश नशे की सप्लाई के माध्यम से जम्मू-कश्मीर की युवा पीढ़ी को मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर करना चाहता है ताकि राष्ट्र की नींव को भीतर से कमजोर किया जा सके।
अशोक शर्मा ने कहा कि आज सीमावर्ती इलाकों से लेकर शहरों तक नशे का कारोबार तेजी से फैल रहा है। यह केवल सामाजिक बुराई नहीं बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा है।
पड़ोसी देश इस नशे के जाल को आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहा है। शर्मा ने चेतावनी दी कि यदि समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए तो आने वाली पीढ़ी को बचाना मुश्किल होगा।
उन्होंने प्रशासन और पुलिस विभाग से आग्रह किया कि सीमाओं पर तैनात सुरक्षा बलों को और अधिक सशक्त किया जाए तथा तस्करी के सभी रूटों पर सख्त निगरानी रखी जाए। हर ग्राम पंचायत स्तर तक नशा मुक्ति अभियान चलाया जाए और युवाओं को रोजगार तथा खेल की दिशा में प्रेरित किया जाए।
अशोक शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि जम्मू प्रांत के हितों की अनदेखी लंबे समय से हो रही है। विकास योजनाओं और रोजगार में असमानता बनी हुई है। कश्मीर को प्राथमिकता मिलती है जबकि जम्मू को नजरअंदाज किया जाता है। यह भेदभाव अब और स्वीकार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने बताया कि जम्मू प्रोविंस बचाओ मंच आने वाले दिनों में एक व्यापक जनजागरण अभियान शुरू करेगा, जिसके अंतर्गत कॉलेजों, पंचायतों और बाज़ार क्षेत्रों में नशा विरोधी जागरूकता रैलियां और जनसभाएं आयोजित की जाएंगी। मंच का उद्देश्य युवाओं को राष्ट्र निर्माण की मुख्यधारा में जोड़ना और जम्मू क्षेत्र के अधिकारों के लिए संगठित संघर्ष करना है।
एडवोकेट शर्मा ने कहा कि मंच इस दिशा में जल्द ही एक जम्मू अधिकार संकल्प यात्रा शुरू करने जा रहा है, जिसमें सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाविद, व्यापारी और युवाओं को साथ जोड़ा जाएगा। उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से भी अपील की कि वे क्षेत्रीय संतुलन की नीति अपनाएँ और जम्मू के साथ न्याय सुनिश्चित करें।

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