डोगरी कवि बृज मोहन को मिलेगा प्रो.राम नाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार, कविता संग्रह ‘मनै दे आह्ले’के लिए मिलेगा सम्मान
इस वर्ष का प्रो.राम नाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार डोगरी कवि एवं संगीतकार बृज मोहन को मिलेगा। उन्हें यह सम्मान उनके कविता संग्रह ‘मनै दे आह्ले’ के लिए द ...और पढ़ें

जागरण संवाददाता, जम्मू। इस वर्ष का प्रो.राम नाथ शास्त्री स्मृति पुरस्कार डोगरी कवि एवं संगीतकार बृज मोहन को मिलेगा। उन्हें यह सम्मान उनके कविता संग्रह ‘मनै दे आह्ले’ के लिए दिया गया है। इसकी घोषणा प्रख्यात डोगरी लेखकों के निर्णायक दल ने बुधवार को की।
डोगरी संस्था जम्मू के अध्यक्ष पद्मश्री प्रो. ललित मगोत्रा ने बताया कि यह पुरस्कार डोगरी संस्था जम्मू द्वारा प्रो. राम नाथ शास्त्री के परिवार के सहयोग से पिछले पांच वर्षों में लेखक की पहली प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ पुस्तक को दिया जाता है।
पुरस्कार में स्मृति चिह्न, शॉल और 21,000 रुपये की नकद राशि दी जाती है। यह 12वां पुरस्कार है और इसका एकमात्र उद्देश्य न केवल डोगरी लेखकों के योगदान को मान्यता देना है, बल्कि उन्हें मातृभाषा डोगरी के संरक्षण और संवर्धन में योगदान देने के लिए प्रेरित करना भी है।
डोगरी संगीत में दिया विशेष योगदान
इस वर्ष भी संस्था को काफी अच्छी संख्या में पुस्तकें प्राप्त हुई तथा इनमें से सात पुस्तकों को शॉर्टलिस्ट करने के बाद फाइनल में स्थान मिला। पांच विपुल डोगरी लेखकों के निर्णायक मंडल ने बृज मोहन के कविता संग्रह मनै दे आह्ले को चुना।
उन्होंने बृज मोहन को बधाई देते हुए कहा कि वह एक वरिष्ठ कवि हैं। जो कविता की आत्मा को छूते हुए विषय को शब्द देने की कला जानते हैं। संगीतकार के रूप में भी उन्होंने विशेष रूप से डोगरी संगीत में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
डोगरी संस्था जम्मू के महासचिव राजेश्वर सिंह राजू ने कहा कि प्रो. राम नाथ शास्त्री डोगरी साहित्य के जनक हैं। उनकी स्मृति में स्थापित यह पुरस्कार प्रतिष्ठित है तथा प्रत्येक डोगरी लेखक इस सम्मान को प्राप्त करना चाहता है।
घर-घर में जाने जाते हैं बृजमोहन
उन्होंने सम्मान के लिए बृज मोहन को बधाई देते हुए कहा कि डोगरी में अपनी शानदार संगीत रचनाओं के लिए वह घर-घर में जाने जाते हैं। साथ ही वह एक प्रख्यात कवि भी हैं। जिन्होंने जम्मू विश्वविद्यालय, डोगरी संस्था और कई अन्य संस्थानों और संगठनों के लिए तराने तथा कई बेहद लोकप्रिय डोगरी गीत, भजन, लिखे हैं।
जम्मू- कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी में बतौर संपादक शीराजा के रूप में काम करते हुए, उन्होंने कई लोगों को रचनात्मक लेखन के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि वह अपनी कविताओं को पुस्तकों के रूप में संकलित करना जारी रखेंगे और डोगरी साहित्य को समृद्ध करेंगे।
डोगरी संस्था जम्मू में हुई एक बैठक में जिसमें प्रो. रामनाथ शास्त्री के सुपुत्रों अजीत खजूरिया और दिनेश खजूरिया ने भी भाग लिया। यह निर्णय लिया गया कि यह पुरस्कार 14 अप्रैल 2025 को डोगरी भवन, डोगरी संस्था, कर्ण नगर, जम्मू में एक प्रभावशाली समारोह में प्रदान किया जाएगा।

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