जम्मू-कश्मीर में लगातार बढ़ रहे हैं कुत्तों के काटने के मामले, हर साल सामने आते हैं 50 हजार केस; रेबीज की बढ़ी आशंका
जम्मू-कश्मीर में कुत्तों के काटने के मामले बढ़ रहे हैं जहां हर साल 50 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। डॉक्टरों के अनुसार कुत्ते या किसी भी जानवर के काटने को गंभीरता से लेना चाहिए क्योंकि रेबीज एक जानलेवा बीमारी है। काटने पर तुरंत 15 मिनट तक जख्म को पानी से धोना चाहिए और चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए। नीम-हकीम या घरेलू उपचार से बचना चाहिए।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में कुत्तों के काटने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हर वर्ष अब 50 हजार से अधिक मामले आ रहे हैं। इस वर्ष तो पहले सात महीनों में ही 37 हजार से अधिक मामले आ चुके हैं। हालांकि लोग पहले से अधिक जागरूक हुए हैं, लेकिन अभी भी भी बहुत से लोग समय पर इलाज नहीं करवाते हैं।
इस मुद्दे पर जीएमसी जम्मू के कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार और एपीडेमालोजिस्ट डॉ. हरजीत राय का कहना है कि कुत्ता हो या फिर अन्य कोई जानवर उनके काटने को गंभीरता से लेना चाहिए।
डॉक्टरों का कहना है कि रेबीज जानलेवा बीमारी है। इससे बचा जा सकता है। अगर किसी को भी कोई जानवर काटता है, चाहे वे बिल्ली, नेबला, कुत्ते, या फिर बंदर हो, उसके काटने से बीमारी होती है।अस्पतालों में 100 में से 85 मामले कुत्तों के काटने के आते हैं। कुत्ते के काटने से अगर उसका इलाज न किया जाए तो रेबीज हो सकता है। अगर किसी को कोई जानवर काटता है तो चलते हुए पानी से उसे अपने कम से कम 15 मिनट तक जख्म को साफ करना है।
इससे अगर कोई किटाणु आए हैं तो साफ हो जाते हैं। इससे शुरुआत में ही बचा जा सकता है। वायरस जख्म पर नहीं रहता अगर कोई व्यक्ति इलाज के लिए नहीं गया, उसने साबून से भी जख्म नहीं धोया। इंजेक्शन भी नहीं लगाए तो रेबीज होना तय है। यह भी देखा गया है कि कई लोग नीम हकीम, झांड फुंक वालों के पास चले जाते हैं। कुछ जख्मों पर हल्दी और मिर्च लगाते हो तो मरीज को गलत रास्ते पर जाता है। इससे जख्म के बिगड़ने की आशंका रहती है।
इस संबंध में डॉक्टरों का कहना है कि अगर जानवर नाखून मारता है या फिर खरोंच लगाता है तो भी हल्के से न लें। जख्म को 10 मिनट तक जरूर धाेएं। इसके बाद डॉक्टर के पास जकर दिखाएं कि इंजेक्शन की जरूरत है या नहीं। खुद ही कोई फैसला न करें। जिन लोगों ने घरों में कुत्ते और बिल्ली रखी है, वे टीकाकरण करवा लेते हैं। लेकिन बावजूद इसके अगर वे किसी को काटता है तो भी खतरा बना रहता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों के अनुसार ऐसे हालात में भी टीकाकरण करवाया जाना चाहिए।
लोगों में यह भ्रांति है कि कुत्ता ठीक हो तो कुछ नहीं होता। लेकिन ऐसा नहीं है। रेबीज के लक्षण कई बार कुछ दिनों में तो कई बार कुछ महीनों में दिखते हैं। अगर टांग पर वायरस है तो वह धीरे-धीरे शरीर में जाकर ब्रेन तक जाता है। शरीर के किस भाग पर काटा है, उसी पर निर्भर करता है कि लक्षण कितने दिनों में दिखेंगे। अगर चेहरे पर काटा हो तो दस दिनों के भीतर ही लक्ष्ण दिखने लगते हैं।लेकिन टांग पर काटा तो महीने बाद भी लक्षण दिखते हैं।
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