Jammu AQI Today: दीवाली की आतिशबाजी से और अधिक जहरीली हुई जम्मू की हवा, जम्मू का एयर क्वालिटी इंडेक्स 196 पहुंचा
Jammu Pollution: दीवाली 2025 पर जम्मू में आतिशबाजी के कारण वायु गुणवत्ता खराब हो गई। शहर का एयर क्वालिटी इंडेक्स 196 तक पहुंच गया, जिससे हवा 'मध्यम' श्रेणी में आ गई। पटाखों के धुएं और गैसों ने प्रदूषण बढ़ाया, जिससे सांस लेने में तकलीफ और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

विशेषज्ञों ने संवेदनशील लोगों को सावधानी बरतने की सलाह दी है।
जागरण संवाददाता, जम्मू। Jammu Air Quality: एक्सप्रेस-वे, कुंजवानी फ्लाईओवर, भगवती नगर फ्लाई ओवर और अन्य सड़कों के निर्माण से उड़ने वाले धूल कणों से पहले ही जहरीली हो चुकी जम्मू की आबोहवा दिवाली की आतिशबाजी के साथ ही घातक स्तर पर पहुंच गई है।
मंगलवार को जम्मू का एयर क्वालिटी इंडेक्स 196 रिकार्ड किया गया जोकि बच्चों, बुजुर्गाें व बीमार लोगों के लिए काफी घातक है। जम्मू में सामान्य तौर पर एयर क्वािलिटी इंडेक्स 100 के आसपास रहता था जोकि उक्त निर्माण कार्यों के चलते 120 से 140 के आसपास पहुंच चुका था और अब 196 रिकार्ड किया गया है।
जम्मू में दिवाली का त्योहार चूंकि आज भी मनाया जा रहा है और आज भी शहर में जमकर आतिशबाजी होने की संभावना है। ऐसे में बुधवार की सुबह यह इंडेक्स और ऊपर जाने की आशंका है।
जम्मू में वायु प्रदूषण का स्तर आंकने के लिए मुख्य रूप से तीन स्थानों, मौलाना आजाद स्टेडियम, नरवाल और बाड़ी ब्राह्मणा में मैन्युल रीडिंग ली जाती है और जम्मू-कश्मीर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण समिति की ओर से हर साल दिवाली से एक न पूर्व और एक दिन बाद के आंकड़े जुटाए जाते हैं। ऐसे में वीरवार के बाद स्थानीय स्तर पर भी प्रदूषण स्तर के आंकड़े सामने आ जाएंगे।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 में पहले ही जम्मू 22वें स्थान पर और श्रीनगर 21वें स्थान पर
-केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की ओर से गत माह स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2025 की जो रिपोर्ट जारी की गई थी, उसके अनुसार भी श्रीनगर व जम्मू शहर की स्थिति कुछ ठीक नहीं है। इस रिपोर्ट में श्रीनगर शहर का स्थान 21वां है तो जम्मू शहर का स्थान 22वां है। इस सर्वेक्षण की रिपोर्ट में 2011 की जनगणना को आधार मानते हुए शहरों को श्रेणी में विभाजित किया गया था।
श्रीनगर को दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की श्रेणी में रखा गया था और जम्मू तीन से दस लाख की आबादी वाले शहरों की श्रेणी में आता है। हालांकि 2023 में श्रीनगर चौथे स्थान पर था और जम्मू 38वें रैंक पर। वर्ष 2024 में दोनों शहरों का डाटा समय पर नहीं भेजा जा सकता जिसके चलते रैंकिंग नहीं हुई और इस साल श्रीनगर स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में लुढक कर 21वें स्थान पर पहुंच गया जबकि 2013 की तुलना में जम्मू की रैंकिंग में सुधार हुआ।
इस सर्वेक्षण का उद्देश्य लोगों में वायु प्रदूषण के प्रति जागरूकता फैलाने, खराब हवा के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले असर, विभिन्न शहरों की वायु गुणवत्ता की तुलना और सबके लिए साफ हवा के लक्ष्य को हासिल करना था। यह रैंकिंग स्थानीय निकायों की स्वयं मूल्यांकन रिपोर्ट और उसके बाद एयर क्वालिटी मानिटरिंग कमेटी, जिसे प्रमुख सचिव के आधार पर किया जाता है, के आधार पर की जाती है।
इसमें ठोस कचरा जलाने, सड़कों पर धूल, निर्माण व ध्वस्तीकरण संबंधी कचरा की धूल के अलावा वाहनों से निकलने वाले धुआं और उद्योगों से फैलने वाले प्रदूषण समेत आठ सेक्टर में मूल्यांकन के आधार पर रैंकिंग की जाती है।
निर्माण कार्य व वालिड वेस्ट मैनेजमेंट बना मुख्य कारण
जानकारों की माने तो जम्मू शहर में जारी विभिन्न विकास कार्य वायु में धूल कणों के बढ़ने का मुख्य कारण है। निर्माण कार्यों के दौरान निर्माण सामग्री भी सड़कों पर रहती है जो अक्सर गाड़ियों की आवाजाही से हवा में जाती है और यहीं धूल कण वायु प्रदूषण का मुख्य कारण बनते हैं।
जानकारों का मानना है कि जैसे ही ये मुख्य निर्माण कार्य सम्पन्न होंगे, शहर की रैंकिंग में सुधार होगा क्योंकि पिछले कुछ सालों में जम्मू की रैंकिंग में लगाकर सुधार हो रहा था। दूसरा मुख्य कारण सालिड वेस्ट मैनेजमेंट का है और यह प्रोजेक्ट भी इस साल अंत तक पूरा हो जाएगा जिससे शहर की रैंकिंग में काफी सुधार होगा। दिवाली की आतिशबाजी से पड़ा प्रभाव कुछ दिनों में सामान्य हो जाएगा।
सर्दियों में और नाजुक हो सकती है स्थिति
-सर्दियों के दिनों में वायु प्रदूषण का स्तर आमतौर पर काफी बढ़ जाता है। धुंध व कोहरे के कारण धूल कण जमीन के निकट आ जाते है जिससे पीएम 10 का स्तर बढ़ जाता है। इसके अलावा खेतों में पराली जलाए जाने से भी प्रदूषण का स्तर बढ़ता है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सर्दियों के दिनों में जम्मू में यह समस्या बढ़ सकती है।
क्या होता है पीएम 10
-पीएम 10 हवा में मौजूद कणों (कणिकीय पदार्थ) का एक प्रकार है, जिनका व्यास 10 माइक्रोमीटर या उससे कम होता है। ये कण सांस के द्वारा फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं, क्योंकि इनमें धूल, कालिख, धातु और अन्य हानिकारक रसायन शामिल हो सकते हैं. पीएम 10 के संपर्क में आने से खांसी, घरघराहट और अस्थमा जैसी श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं और यह हृदय रोग के जोखिम को भी बढ़ा सकता है।
पीएम 10 के स्रोत
दहन प्रक्रियाएं :
- कोयला, लकड़ी, डीजल और कृषि अपशिष्ट के अधूरे दहन से उत्पन्न कण
वाहन :
- कारों के टायरों के घिसाव से निकलने वाले कण
निर्माण :
- निर्माण स्थलों से उड़ने वाली धूल
औद्योगिक व कृषि प्रक्रियाएं
- विभिन्न औद्योगिक और कृषि गतिविधियों से उत्पन्न कण
स्वास्थ्य पर प्रभाव:
- यह खांसी, घरघराहट और सांस लेने में कठिनाई का कारण बन सकता है।
- अस्थमा या तीव्र ब्रोंकाइटिस से पीड़ित लोगों के लिए स्थिति बिगड़ सकती है।
- उच्च सांद्रता के नियमित संपर्क से दिल का दौरा और स्ट्रोक का खतरा बढ़ सकता है।
- बेंजोपाइरीन जैसे कैंसरकारी पदार्थ भी पीएम 10 में पाए जा सकते हैं।
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