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    दिल्ली पुलिस भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़ा: सांबा में केबल बिछाकर हैकिंग की कोशिश, कंप्यूटर और अन्य सामान जब्त

    Updated: Fri, 19 Dec 2025 07:07 AM (IST)

    दिल्ली पुलिस भर्ती परीक्षा में फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। सांबा में केबल बिछाकर हैकिंग की कोशिश की गई, जिसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते ...और पढ़ें

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    दिल्ली पुलिस फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, सांबा। दिल्ली पुलिस चालक भर्ती परीक्षा में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। साल्वर गैंग ने परीक्षा केंद्र तक केबल बिछाकर केंद्र के कंप्यूटर रिमोट से हैक कर लिए। गनीमत रही कि समय रहते पुलिस की नजर पड़ गई, जिससे वे सफल नहीं हो पाए, लेकिन वे हाथ नहीं आए। जब तक पुलिस पकड़ती गैंग के सभी सदस्य फरार हो गए। कंप्यूटर व अन्य उपकरण जब्त कर लिए गए हैं।

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    संदेह में आए परीक्षा केंद्र को रद कर गुरुवार को विजयपुर (सांबा) में दूसरे केंद्र में परीक्षा कराई गई है। हुआ यूं कि बुधवार को सांबा जिले के घगवाल में केलेवरी हाई स्कूल में परीक्षा केंद्र बनाया गया था। परीक्षा आयोजन कराने वाली उत्तर प्रदेश की एजेंसी एजुक्यूटी के संचालक सुशील कुमार ने स्कूल भवन को किराये पर लिया था। यह केंद्र सुनसान इलाके में है और आजकल बंद पड़ा है।

    साल्वर गैंग ने दो माह पहले ही परीक्षा केंद्र के पास एक कमरा किराये पर लिया और 100 फीट तक अंडरग्राउंड केबल बिछाकर परीक्षा के कंप्यूटर को हैक कर लिया। हालांकि यहां तैनात पुलिसकर्मियों को इस कमरे से आ रही आवाजों से कुछ संदेह हुआ और वे जांच करने जा पहुंचे। पुलिस को द्वार पर देख साल्वर गैंग के सदस्य पिछले दरवाजे से फरार हो गए।

    स्कूल की इमारत की जांच के दौरान भीतर बनाए गए कंट्रोल रूम में लगाए गए सभी इलेक्ट्रानिक उपकरण जब्त किए गए हैं। पुलिस ने स्कूल भवन के मालिक प्रदीप मस्सी, उसकी पत्नी मीनाक्षी शर्मा सहित अन्य संदिग्ध लोगों से पूछताछ की है। लेकिन अभी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। पुलिस ने थाना आईपीसी की धारा 318 (4), 65 और 66 के तहत मामला दर्ज किया है।

    साफ नजर आ रही है मिली भगत

    परीक्षा सांबा के सुनसान क्षेत्र में कराने से स्पष्ट तौर पर परीक्षा संचालकों और साल्वर गैंग की मिलीभगत की आशंका जताई जा रही है। परीक्षा में ज्यादातर अभ्यर्थी अन्य राज्यों से आए थे। अर्थात परीक्षा में फर्जीवाड़े की नींव बहुत पहले रखी जा चुकी थी।

    साल्वर गैंग ने स्कूल से कुछ दूर कमरा भी पहले से किराये पर ले लिया और स्कूल तक अंडरग्राउंड केबल भी बिछा ली। बीच में आ रही सड़क को खोदकर यह केबल बिछाई गई और उसके बाद सड़क की मरम्मत भी कर दी। सब कुछ इतने शातिर ढंग से हुआ कि किसी ने देखा नहीं या देखकर चुप रहे।

    प्रति माह 85 हजार रुपये था किराया

    बताया जा रहा है कि स्कूल में इस तरह का फर्जीवाड़ा पहले भी हो चुका है, क्योंकि स्कूल को दो माह पहले किराये पर लिया गया था। परीक्षा का आयोजन दो एजेंसियां कर रही थीं। मिनक्यूएक और दूसरी एजुक्यूटी। बताया जा रहा है कि एजुक्यूटी पर परीक्षा के आयोजन की जिम्मेवारी थी।

    भवन के मालिक प्रदीप मस्सी से सुशील कुमार ने स्कूल की पूरी इमारत किराये पर ली थी और प्रति माह 85 हजार रुपये नकद में किराया दिया जा रहा था। पुलिस बरामद इलेक्ट्रानिक उपकरणों की फारेंसिक जांच करा रही है।

    उम्मीद है कि सर्वर और कंप्यूटर से मिले डेटा के आधार पर गिरोह के अन्य सदस्यों तक पहुंचने में मदद मिलेगी। पुलिस सूत्रों का कहना है कि यह जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह का पहला मामला है, जहां किसी भर्ती परीक्षा में इतने संगठित और तकनीकी तरीके से नकल का नेटवर्क संचालित होने का पर्दाफाश हुआ है।

    पेपर के बाद इमारत में होता था जश्न

    घगवाल में बंद एक निजी स्कूल की इमारत में भर्ती परीक्षा धांधली में यह बात सामने आई है कि लगातार पेपर खत्म होने के बाद वहां जश्न मनाया जाता था। जश्न के दौरान आमतौर पर बाहरी राज्यों की युवतियां शामिल होती थीं। स्थानीय प्रशासन को इसकी भनक नहीं लगने दी जाती थी।

    पार्षद ने टोका तो बोले-पानी का पाइप डालना हैजिला विकास परिषद के सदस्य सुरेश कुमार फल्ली ने बताया कि गत 20 अक्टूबर को स्कूल भवन के पास सड़क पर खुदाई कर रहे काम को रुकवाया था।

    तब बताया गया था कि यहां पानी का पाइप डालना है, लेकिन वहां जलशक्ति विभाग का कोई पाइप नहीं था। देर रात सड़क की खोद कर पाइप डाल दिया गया, जिसके माध्यम से केबल इमारत के भीतर पहुंचाई गई। फल्ली ने कहा कि घगवाल से सांधी गांव की सड़क का काम लगभग 16 वर्षों के बाद हुआ था, इसलिए हम सड़क तोड़ने का विरोध कर रहे थे।