Jammu Kashmir : दत्तात्रेय होसबाले ने कहा- जम्मू कश्मीर की मिट्टी तीर्थ क्षेत्र, इसका कण-कण वंदनीय
दत्तात्रेय ने कश्मीर के छुरा नाम से गांव उल्लेख करते हुए कहा कि जब पाकिस्तानी फौज यहां पहुंची तो एक स्थानीय कश्मीरी सिख महिला बीबी नसीब कौर के नेतृत्व में महिलाओं ने पुरुषों का वेष धारण कर युद्ध लड़ा था।

जम्मू, जागरण संवाददाता : राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि जम्मू कश्मीर देश की स्वतंत्रता के समय से पाकिस्तान की कुदृष्टि का शिकार रहा है। प्रारंभ से ही पाकिस्तान ने जम्मू कश्मीर में कभी आक्रमण, कभी आतंक तो कभी अलगाववाद को बढ़ावा दिया है, लेकिन जम्मू कश्मीर की जनता ने पाकिस्तान के षडयंत्रों को विफल किया। यहां की मिट्टी तीर्थ क्षेत्र है। इसका कण-कण वंदनीय है। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर के अंतिम महाराजा हरि सिंह महान शासक और दूरदर्शी विभूति थे।
वर्ष 1947 में एक तरफ पाकिस्तान जम्मू कश्मीर पर आंखें गढ़ाए बैठा था तो दूसरी तरफ अंग्रेजों की यह साजिश थी कि जम्मू कश्मीर का अधिमिलन पाकिस्तान में होना चाहिए, लेकिन महाराजा ने भारत से विलय किया। उस महान निर्णय से जम्मू कश्मीर के लोग गर्व से कह सकते हैं कि हम भारत के नागरिक हैं।
गुलशन ग्राउंड में हुए पीपुल्स फोरम के बालिदानियों के सम्मान मेें हुए कार्यक्रम में दत्तात्रेय ने कहा कि जम्मू कश्मीर का विलय तो भारत में हो गया, लेकिन उस समय के केंद्रीय नेतृत्व की अदूरदर्शिता और जम्मू कश्मीर के तत्कालीन राजनीतिक शासकों के षड्यंत्रों के चलते जम्मू कश्मीर में भारतीय संविधान लागू करने में अड़चने पैदा की गईं।
ऐसे समय में स्वतंत्र भारत का पहला आंदोलन प्रजा परिषद आन्दोलन राज्य में शुरू हुआ। आंदोलन में डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पंडित प्रेमनाथ डोगरा के अतुलनीय योगदान को हम नहीं भूल सकते। उनका नारा सिर्फ एक था। एक देश में दो निशान, दो विधान और दो प्रधान नहीं चलेंगे। उन्होंने कहा कि जब वह जम्मू कश्मीर में प्रवेश करते हैं, उनको कर्नल नारायण सिंह, बिग्रेडियर राजेंद्र सिंह, डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित प्रेमनाथ डोगरा जैसी महान विभूतियों का स्मरण होता है।
होसबाले ने 1947 में हुए पाकिस्तानी आक्रमण और उसके बाद की स्थिति का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि हम कैसे भूल सकते हैं बडग़ाम के युद्ध में वीरता का परिचय देने वाले प्रथम परमवीर चक्र विजेता मेजर सोमनाथ शर्मा, पुंछ के रक्षक के रूप मे प्रसिद्ध बिग्रेडियर प्रीतम सिंह, महावीर चक्र विजेता और झंगड़ के युद्ध के हीरो ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान, स्कार्दू में मेजर शेर जंग थापा जैसे वीरों को और इसके अतिरिक्त भी बहुत सारे हमारी सेना के अधिकारियों और जवानों ने बलिदान देकर जम्मू कश्मीर के बड़े क्षेत्र को पाकिस्तान के चंगुल से मुक्त करवाया था।
उन्होंने कोटली की घटना का स्मरण कराते हुए कहा कि 1947-48 में जब रणक्षेत्र में भारतीय फौजे लड़ रही थी तब भी जम्मू कश्मीर के लोग सेना के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर कर अपना योगदान दे रहे थे। कोटली के बलिदानी धरमवीर खन्ना, वेद प्रकाश चड्ढा, प्रीतम सिंह और सुक्खा सिंह को कौन भूल सकता है जिन्होंने गोलियों की बौछार के बीच खुद जाकर गोला बारूद लाने का निर्णय लिया वो कामयाब भी हुए किन्तु गोलाबारी मे घायल हुए और बाद मे वीरगति को प्राप्त हुए। पुंछ के अमृत सागर ने स्थानीय लोगों को एकत्र कर भारतीय सेना की मदद के लिए प्रेरित किया था।
सिख महिला बीबी नसीब ने दिखाया शौर्य : दत्तात्रेय ने कश्मीर के छुरा नाम से गांव उल्लेख करते हुए कहा कि जब पाकिस्तानी फौज यहां पहुंची तो एक स्थानीय कश्मीरी सिख महिला बीबी नसीब कौर के नेतृत्व में महिलाओं ने पुरुषों का वेष धारण कर युद्ध लड़ा था। 402 सिख महिला, बच्चों और पुरुषों ने बलिदान देकर पाकिस्तान के सामने घुटने नहीं टेके थे। उन्होंने कहा कि भारत की यह मिट्टी अथवा जम्मू कश्मीर एक तीर्थ क्षेत्र हैं। यह श्रद्धा का स्थान है।
कश्मीर हिंदुओं के बलिदान को नमन : दत्तात्रेय कहते हैं कि कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं के साथ जो अत्याचार किए गए हैं वह सभी जानते हैं। अविश्वसनीय यातनाएं कश्मीरी हिंदुओं को दी गईं जिससे वे घाटी छोड़कर चले जाएं और वैसा ही हुआ। अपनी मिट्टी से प्यार करने वाले इन हिंदुओं ने जब कश्मीर नहीं छोड़ा तो उनको अमानवीय यातनाएं झेलनी पड़ीं। कश्मीर हिंदुओं के बलिदान को भी उन्होंने नमन किया। होसवाले ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लदाख की देशभक्त जनता भी लगातार आंतरिक और बाहरी दोनों चुनौतियों से संघर्षरत रही है। कारगिल युद्ध के समय सेना को पहाड़ों पर रसद पहुचाना बहुत महत्वपूर्ण था और ये जिम्मेदारी लद्दाख के देशभक्त पोर्टरों ने निभाई थी।
अलगाववाद व आतंकवाद कमजोर : अलगाववाद व आतंकवाद कमजोर हुआ है किंतु समाप्त नहीं हुआ, हताश आतंकी अपनी शैलियों में परिवर्तन कर रहे हैं। होसवाले ने कहा कि सुरक्षा बल लगातार सतर्क रहकर अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। हमारे समाज को भी वर्तमान चुनौतियों को समझ कर जवाब देना होगा। अनुच्छेद 370 को अप्रभावित बना दिया गया और 35-ए हट चुका है।
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