Jammu News: पुलिस हिरासत में कॉन्स्टेबल को यातना देने का मामला: कोर्ट ने 8 आरोपियों की जमानत याचिका की खारिज
जम्मू की एक अदालत ने हिरासत में यातना के एक मामले में शामिल आठ पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इन पुलिसकर्मियों पर एक कॉन्स्टेबल को संयुक्त पूछताछ केंद्र कुपवाड़ा में प्रताड़ित करने का आरोप है। अदालत ने इस मामले को गंभीर अपराध माना और कहा कि गवाहों की सुरक्षा और साक्ष्यों से छेड़छाड़ रोकने के लिए हिरासत जरूरी है।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू की एक अदालत ने दो साल पहले एक पुलिस कॉन्स्टेबल को कथित तौर पर हिरासत में यातना देने के आरोप में सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किए गए आठ पुलिसकर्मियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है।
श्रीनगर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट आदिल मुश्ताक अहमद ने शनिवार को जमानत याचिकाएं खारिज कर दीं। पुलिस उपाधीक्षक एजाज अहमद नाइक, इंस्पेक्टर रियाज अहमद मीर और अन्य आरोपी पुलिसकर्मियों तनवीर अहमद मल्ला, अल्ताफ हुसैन भट, मोहम्मद यूनिस खान, शाकिर हुसैन खोजा, शाहनवाज अहमद दीदाद और जहांगीर अहमद बेग ने अदालत में अलग-अलग जमानत याचिकाएं दायर की थीं।
आरोपित पुलिसकर्मियों ने सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर गिरफ्तार होने के बाद जमानत के लिए याचिका दायर की थी। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने इस मामले में जांच शुरू की थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि पुलिसकर्मियों ने फरवरी 2023 में संयुक्त पूछताछ केंद्र कुपवाड़ा में कांस्टेबल खुर्शीद अहमद चौहान को हिरासत में प्रताड़ित किया और गंभीर चोटें पहुंचाईं।
न्यायाधीश ने तीनों जमानत आवेदनों पर एक ही आदेश में कहा कि अदालत का मानना है कि इस मामले में जमानत देने का कोई आधार नहीं है, क्योंकि यह एक गंभीर आपराधिक मामला है जिसमें हिरासत में हिंसा शामिल है।
न्यायाधीश ने कहा कि इस मामले में अभियोजन पक्ष ने यह साबित किया है कि हिरासत में रखना आवश्यक है ताकि गवाहों को धमकाने और साक्ष्यों से छेड़छाड़ न हो सके।न्यायाधीश ने कहा कि चूंकि यह एक सत्र परीक्षण योग्य, गैर-जमानती मामला है और इसमें कठोर दंडनीय अपराध शामिल हैं।
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