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    1990 IAF Killing Case: कोर्ट ने यासीन मलिक के गवाह से जिरह करने के अधिकार पर लगाई रोक,जानिए क्या है पूरा मामला

    By Jagran NewsEdited By: Swati Singh
    Updated: Mon, 23 Jan 2023 03:37 PM (IST)

    जम्मू की विशेष अदालत ने जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक के 1990 के एक मामले में मुख्य गवाह से जिरह करने के अधिकार पर रोक लगा दी। यासीन मलिक ने अपील की थी किवह खुद गवाहों से जिरह करने के लिए कोर्ट में शारीरिक रूप से पेश होने की अनुमति दे।

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    1990 में 4 वायुसेना के अधिकारियों की हत्या के मामले में यासीन मलिक पर केस चल रहा है।

    जम्मू, पीटीआई। जम्मू की एक विशेष अदालत ने सोमवार को जेकेएलएफ प्रमुख यासीन मलिक के 1990 के एक मामले में मुख्य गवाह से जिरह करने के अधिकार पर रोक लगा दी। 1990 में 4 वायुसेना के अधिकारियों की हत्या के मामले में यासीन मलिक पर केस चल रहा है। इसी मामले के मुख्य गवाह से क्रॉस-इग्जामिन करने से जम्मू की एक विशेष अदालत ने रोक लगा दी।

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    दरअसल सोमवार को एक टेरर फंडिंग मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक ने कोर्ट से मांग की थी कि वो जम्मू की अदालत में उपस्थित होकर गवाहों से जिरह करने की अनुमति चाहता है। बता दें कि यासिन मलिक इस दौरान कोर्ट में ऑनलाइन जुड़ा था।

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    कोर्ट में मौजूद होकर जिरह करने की थी मांग

    दरअसल इस मामले में जम्मू-कश्मीर में सुनवाई चल रही है। इस दौरान कोर्ट ने यासीन मलिक पूछा था कि, क्या वह इस मामले के मुख्य गवाह वी के शर्मा से जिरह करना चाहेंगे। वरिष्ठ अतिरिक्त महाधिवक्ता और सीबीआई की वकील मोनिका कोहली ने कहा कि मलिक ने इनकार कर दिया और उसने कोर्ट से अपनी मांग को दोहराया। दरअसल, तिहाड़ जेल में बंद यासीन मलिक ने मांग की थी वो कोर्ट में शारीरिक रूप से मौजूद रहकर मुख्य गवाह से जिरह करना चाहता हैं।

    अलगाववादी नेता यासीन मलिक ने टाडा अदालत से अपील की थी कि, वह खुद गवाहों से जिरह करने के लिए जम्मू कश्मीर सीबीआई कोर्ट में शारीरिक रूप से पेश होने की अनुमति दे।

    मोनिका कोहली ने संवाददाताओं से कहा कि आरोपी यासिन मलिक ने कोर्ट के आदेश को नहीं माना और नई मांग कर दी, जिसके चलते कोर्ट ने उसके जिरह के अधिकार को बंद कर दिया।

    वी के शर्मा है मुख्य गवाह

    बता दें कि 25 जनवरी 1990 को श्रीनगर के रावलपोरा में यासीन मलिक और उसके अन्य साथियों ने स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना और तीन अन्य भारतीय वायु सेना कर्मियों की कथित तौर पर हत्या कर दी थी। इस मामले में शामिल आतंकवादियों में से एक मलिक भी था, जिसकी पहचान वी के शर्मा ने अदालत के मुख्य परीक्षक और सीबीआई के समक्ष की थी।

    ये मामला जम्मू-कश्मीर में चल रहा है। वहीं यासीन मलिक पर टेरर फंडिंग के भी कई मामले चल रहे हैं। कोहली ने अदालत को सूचित किया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मलिक के खिलाफ एनआईए के लंबित मामलों के कारण 22 दिसंबर, 2022 से एक साल के लिए तिहाड़ जेल से बाहर जाने पर रोक लगाने का आदेश पारित किया था। जिसके चलते यासीन तिहाड़ से बाहर नहीं जा सकता।

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    कई मामलों में आरोपी है यासीन मलिक

    जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक कई मामलों में दोषी पाया गया है। जिसमें टेरर फंडिंग मामले में उसे उम्र कैद की सजा सुनाई गई है। इसके अलावा यासीन को पांच मामलों में 10-10 साल की सजा हुई है। यासीन मलिक पर यूएपीए के तहत कई मामले दर्ज हैं। टेरर फंडिंग से लेकर कई गंभीर मामलों में यासीन मलिक लिप्त पाया गया है।

    25 जनवरी 1990 में एयरफोर्स के 4 जवानों की हत्या के मामले में भी यासीन के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई है। इस मामले में 5 और लोगों पर मामला दर्ज किया गया। सीबीआई द्वारा जम्मू में एक विशेष टाडा अदालत के समक्ष आरोप पत्र दायर करने के 20 साल बाद 2020 में आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए गए थे।

    सीबीआई के मुताबिक, भारतीय वायुसेना के जवानों पर आतंकियों ने फायरिंग की थी। हादसे में एक महिला समेत 40 लोगों को गंभीर चोटें आईं और चार की मौके पर ही मौत हो गई थी ।