जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य सचिव की सलाह, बिना डॉक्टर की पर्ची के बच्चों को खांसी, जुकाम की दवा न दें
स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा सचिव डा. सैयद आबिद रशीद शाह ने बच्चों में खांसी जुकाम की बीमारी को लेकर निर्देश दिए। उन्होंने दवा विक्रेताओं को बिना डाक्टर की पर्ची के दवाइयां न बेचने के निर्देश दिए और उल्लंघन पर लाइसेंस रद करने की चेतावनी दी। लोगों को बच्चों को स्वयं दवा देने से बचने की सलाह दी गई।

राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा सचिव डा. सैयद आबिद रशीद शाह ने बच्चों में खांसी, जुकाम की बीमारी को लेकर कई निर्देश दिए। एक ओर जहां उन्होंने बच्चों में उचित दवाइयों के इस्तेमाल की सलाह दी।
वहीं दवा विक्रेताओं को डाक्टर की बिना उचित पर्ची के दवाइयां न बेचने के भी निर्देश दिए।निर्देशों का उल्लंघन करने पर लाइसेंस रद करने की चेतावनी भी दी। उन्होंने लोगों से बच्चों को स्वयं दवा देने से बचने और उन्हें कोई भी खांसी-ज़ुकाम की दवा देने से पहले हमेशा डॉक्टर बाल रोग विशेषज्ञों से परामर्श करने की सलाह दी।सोमवार को श्रीनगर में सिविल सचिवालय में एक बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने यह निर्देश दिए।
केमिस्टों और फार्मासिस्टों को जागरूक करने की सलाह दी
स्वास्थ्य सचिव ने औषधि नियंत्रण अधिकारियों को बिना उचित पर्चे के खांसी-ज़ुकाम की दवाइयों की ओवर-द-काउंटर बिक्री के प्रति केमिस्टों और फार्मासिस्टों को जागरूक करने और औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम 1940 की धारा 23 के तहत ऐसे उत्पादों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए नियमित रूप से सैंपल लेने और परीक्षण करने के लिए कहा गया।
उल्लंघन करने पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी
उन्हें आगाह किया गया कि इन प्रावधानों का कोई भी उल्लंघन करने पर कड़ी दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी जिसमें औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमों के नियम 66 के तहत लाइसेंस निलंबन या रद्द करना भी शामिल है।
सचिव ने सभी क्षेत्रीय अधिकारियों और चिकित्सा संस्थानों को बाल स्वास्थ्य की रक्षा, दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और तर्कसंगत एवं साक्ष्य-आधारित बाल चिकित्सा देखभाल को बढ़ावा देने के लिए पूरे केंद्र शासित प्रदेश में इन दिशानिर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने का निर्देश दिया।
दो साल से कम उम्र के बच्चों को दवाइयां न दी जाएं
इस बैठक में जम्मू-कश्मीर के खाद्य एवं औषधि प्रशासन आयुक्त स्मिता सेठी के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के सभी सरकारी मेडिकल कालेजों के बाल रोग विभागाध्यक्ष और औषधि नियंत्रण संगठन जम्मू-कश्मीर के संभागीय और जिला स्तर के अधिकारी शामिल हुए।
यह बैठक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी एक आदेश के संदर्भ में आयोजित की गई थी जिसमें सलाह दी गई है कि दो साल से कम उम्र के बच्चों को खांसी और सर्दी की दवाइयां न दी जाएं।
बैठक के दौरान आबिद रशीद ने जम्मू-कश्मीर में बाल चिकित्सा देखभाल में उचित दवाइयों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने और रोगी सुरक्षा सुनिश्चित करने की तत्काल आवश्यकता पर ज़ोर दिया।उन्होंने सभी चिकित्सा पेशेवरों, दवा निर्माताओं और नियामक प्राधिकरणों को राष्ट्रीय दिशानिर्देशों और सर्वोत्तम प्रथाओं का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया।
परामर्श का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर
स्वास्थ्य सचिव ने परामर्श का कड़ाई से पालन करने पर ज़ोर दिया। चर्चा के दौरान बाल रोग विभाग के विभागाध्यक्षों ने कहा कि ऐसी दवाएं आमतौर पर पांच साल से कम उम्र के बच्चों के लिए अनुशंसित नहीं होती हैं और बड़े बच्चों के लिएए उनका उपयोग सावधानीपूर्वक नैदानिक मूल्यांकन, कड़ी निगरानी और खुराक संबंधी दिशानिर्देशों के सख्त पालन पर आधारित होना चाहिए। साथ ही कई दवाओं के संयोजन से बचना चाहिए।
बच्चों में तीव्र कफ रोग स्वतः ही ठीक हो जाते हैं
स्वास्थ्य सेवा महानिदेशक द्वारा जारी परामर्श में बच्चों के लिए कफ सिरप के विवेकपूर्ण निर्धारण और वितरण के महत्व पर भी ज़ोर दिया गया है जिसमें इस बात पर ज़ोर दिया गया है कि बच्चों में अधिकांश तीव्र कफ रोग स्वतः ही ठीक हो जाते हैं और औषधीय हस्तक्षेप के बिना ठीक हो जाते हैं। शुरुआत में जम्मू-कश्मीर में दवा निर्माताओं को डब्ल्यूएचओ-जीएमपी मानकों का कड़ाई से पालन करने और नवीनतम फार्माकोपियल मानकों के अनुसार पूर्ण अशुद्धता प्रोफाइलिंग करने का निर्देश दिया गया था।
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