उपभोक्ता नहीं कराते बिजली लोड समीक्षा, शॉर्ट सर्किट से बढ़ी आग लगने की घटनाएं
बिजली खपत के मुकाबले लोगों ने घरों के लोड को रिवाइज नहीं करवाया है। इस कारण बाहर बिजली के ट्रांसफार्मरों पर भी दबाव बढ़ता है। इससे कई बार आग लगने की न ...और पढ़ें

जम्मू, जागरण संवाददाता। गर्मी शुरू हो गई है। इस मौसम में आग लगने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। ऐसा हर साल होता है। इसका बड़ा कारण शार्ट सर्किट है जो बिजली की ओवरलोडिंग के कारण होता है। जम्मू शहर में पिछले तीन महीने में आग लगने की तीन बड़ी घटनाएं हुईं। इनमें भी कारण शार्ट सर्किट ही सामने आया है। कैनाल रोड में राशन की दो दुकानें व एक रेस्तरां का मामला हो या शहर के पाश गांधीनगर इलाके में रेडीमेड की दो दुकानों में आग। यहां भी शार्ट सर्किट से ही आग लगने की बात सामने आई। माना जा रहा है कि बिजली के तारों में अधिक वोल्टेज दौडऩे के कारण वहां पर आग लग गई। वहीं, बुधवार को न्यू प्लॉट में भी आग लगने से तीन दुकानों के जलने के पीछे भी शार्ट सर्किट ही सामने आया है।
बिजली विभाग के एक्सईन एवं नोडल अधिकारी संजय शर्मा का कहना है कि शहर में बिजली खपत पिछले कुछ वर्ष में तेजी से बढ़ी है। लोगों के घरों में ही बिजली से चलने वाले उपकरणों में इजाफा हुआ है। खपत के मुकाबले लोगों ने घरों के लोड को रिवाइज नहीं करवाया है। इस कारण बाहर बिजली के ट्रांसफार्मरों पर भी दबाव बढ़ता है। इससे कई बार आग लगने की नौबत तक आ जाती है। उधर, घरों का बिजली ढांचा भी कई बार घर के बढ़े हुए लोड को उठा नहीं पाता। घरों के अंदर भी शार्ट सर्किट से आग लग जाती है। उनका कहना है कि लोग अपनी खपत के अनुसार लोड लें ताकि विभाग को भी पता चल सके कि किस क्षेत्र में कितना बड़ा ट्रांसफार्मर लगाया जाए जो बिजली का लोड उठा सके।

एसी भी बनते हैं आग का कारण: गर्मी में लोगों को कूल-कूल रखने वाला एसी भी आग लगने का कारण बनता है। एसी में आग लगने के पीछे उसकी सर्विस ठीक से न होने या कभी-कभी बिना सर्विस ही एसी चलाना बड़ा कारण है। ऐसे में विशेषज्ञों की यही सलाह है कि गर्मी में एसी चालू करने से पहले उसकी सही से सर्विस करवा ली जाए ताकि उसकी मोटर पर लोड न पड़े। सर्दी में भी एसी बंद रखते हुए उसे ढक दिया जाए ताकि उसमें मिट्टी, धूल जमा न हो। बिजली की फिजूलखर्ची रोकने के लिए सभी को आगे आना होगा।
अखनूर से आरएसपुरा तक एक-एक गाड़ी
अगर ग्रामीण क्षेत्रों पर नजर दौड़ाई जाए तो सभी तहसील क्षेत्रों में एक-एक फायर ब्रिगेड की गाड़ी ही आग बुझाने के लिए तैनात की गई है। बिश्नाह तहसील में फायर ब्रिगेड की गाड़ी को पंद्रह बीस किलोमीटर के क्षेत्र को आग बुझाने के लिए दौडऩा पड़ता है। इस गाड़ी के जिम्मे करीब 200 गांव आते हैं। अरनिया और आरएसपुरा तहसील की स्थिति ऐसी ही है। इन क्षेत्रों में भी एक-एक गाड़ी तैनात है, जो डेढ़ सौ से दो सौ गांवों की आग बुझाने के लिए दौड़ती है। इसी तरह अखनूर, ज्योडिय़ां इलाके में भी एक एक गाड़ी खेतों के अलावा अन्य आग की घटनाओं से निपटने के लिए तैयार रहती है।

संकरी गलियां बनी हैं बाधा, गुम हुए हाइड्रेंट
पुराना जम्मू शहर नब्बे प्रतिशत से ज्यादा संकरी गलियों में बसा है। इन संकरी गलियों में अगर कहीं आग लग जाए तो वहां तक पहुंचने में फायर ब्रिगेड कर्मियों के पसीने छूट जाते हैं। कुछ इलाके इतने संकरे हैं कि वहां से दोपहिया वाहन का भी गुजरना मुमकिन नहीं है और ऐसे में अगर वहां आग लग जाए तो उस पर काबू पाना भी आसान नहीं है। करीब तीन दशक पहले जम्मू शहर में फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज ने पुराने शहर के विभिन्न 46 स्थानों पर हाइड्रेंट स्थापित किए थे। इसका मकसद था कि अगर कभी तंग गलियों में बने मकानों में आग लग जाती है तो फौरन हाइड्रेंट की मदद से फायर टेंडर आग पर काबू पा सकें। लेकिन, अब हाइड्रेंट का कोई अता-पता तक नहीं है। ज्यादातर जमीन में दब गए। कुछ के ही नामोनिशान दिख रहे हैं। इन हाउट्रेंट में 24 घंटे पानी की सप्लाई रहती है ताकि जरूरत पडऩे पर उसके साथ पाइप लगाकर पानी की बौछार की जा सके लेकिन जम्मू शहर में ऐसा हो न सका।
क्या होते हैं हाइड्रेंट : आग लगने की सूरत में फायर टेंडर हाइड्रेंट प्वाइंट से वाटर पंप लगाकर तुरंत खाली टेंडर में पानी भरकर उस पर काबू पा सकता है। हाइड्रेंट प्वाइंट को आपूर्ति किए जाने वाले पानी की पाइप में 24 घंटे पानी मौजूद रहता है।
- फायर ब्रिगेड हर समय तैयार रहती है। जहां भी आग लगती है, वहीं के नजदीकी स्टेशन से गाड़ी को रवाना कर दिया जाता है। इसके बाद बैकअप के लिए दूसरे स्टेशनों की गाडिय़ां भी पहुंच जाती है। गर्मी में आग की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसके लिए विशेष प्रबंध किए जाते हैं। -डेविड जिंगपो, डिवी. फायर आफिसर, जम्मू

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