जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की चुप्पी पर सवाल, सदन में मुद्दों पर न बोलने से कार्यकर्ताओं में निराशा
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के जारी बजट सत्र में कांग्रेस के विधायकों (Congress MLA) की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं। वे सरकार को घेरने वाले मुद्दों की बात तो कर रहे हैं लेकिन जनहित से जुड़े मुद्दे उठाने से बच रहे हैं। इस लेख में हम कांग्रेस विधायकों के रवैये का विश्लेषण करेंगे और उनके पीछे के संभावित कारणों पर चर्चा करेंगे।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा के जारी बजट सत्र में कांग्रेस के विधायक सरकार को घेरने वाले मुद्दों की बात तो जनहित से मुद्दे उठाने से भी बच रहे हैं। जम्मू-कश्मीर का विधानसभा का बजट सत्र तीन मार्च से शुरू हुआ था। जारी कैलेंडर के अनुसार सत्र 9 अप्रैल तक जारी रहेगा।
हालांकि 25 मार्च को सत्र लगेगा और बीच में अवकाश आएंगे। कांग्रेस के छह विधायक हैं। लेकिन सदन में वे मुद्दे उठाने से बच रहे हैं। पिछले दिनों से जारी सत्र में कांग्रेस के विधायकों का रवैया ढीला नजर आ रहा है। कोई ऐसा मुद्दा नहीं बना है जो सुर्खियों में रहा हो।
'क्यों आक्रमक नहीं दिख रहे विधायक?'
पार्टी के कार्यकर्ताओं के अंदर ही यह सुगबुगाहट है कि आखिर हमारे नेता आक्रमक क्यों नहीं दिखते हैं। पहले से ही पार्टी का आधार कमजोर है तो फिर सदन में जनहित के मुद्दों को तूल देकर अपनी बात को इस तरह से रखा जाए कि इसका संदेश सीधा बाहर लोगों तक जाए।
सदन में कई बार यह भी देखने को मिला है कि सत्ताधारी नेकां के विधायकों ने ही अपनी बात को जोरदार तरीके से रखा। सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस के विधायक नेकां को असहज नहीं करना चाहते। कुछ दिन तो ऐसा लगता रहा है कि सदन में कांग्रेस की जनहित को लेकर आवाज ही नहीं है।
उसके ठीक विपरीत जब विधानसभा चल रही है तो वहीं पार्टी के वरिष्ठ नेता सदन के बाहर पार्टी मुख्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके रिफ्यूजियों, नई बस्ती में दुकानदारों के पुनर्वास सहित अन्य मुद्दे उठा रहे हैं।
हाल ही में कांग्रेस के नेताओं रमण भल्ला, योगेश साहनी, रविंद्र शर्मा, वेद महाजन ने प्रेस कांफ्रेंस कर नई बस्ती के दुकानदारों के पुनर्वास, जम्मू हवाई अड्डे के विस्तार के समय लोगों से खाली करवाए गए मकानों के पुनर्वास के मामले का समाधान नहीं होने का मुद्दा उठाया।
विधायकों में कम दिख रही सक्रियता
हालांकि, कांग्रेस के मुख्य सचेतक निजाम दीन भट्ट ने बजट, उपराज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर मुद्दे उठाए है। लेकिन जिस तरह से सक्रियता की उम्मीद की जा रही थी, वो नजर नहीं आई है। हालांकि कांग्रेस ने सत्र शुरु होने से पहले जिला मुख्यालय स्तर पर कई मुद्दों को प्रमुखता से उठाया था जिसमें जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होने का मुद्दा शामिल हैं। कांग्रेस का सारा ध्यान इस समय जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के मुद्दे पर संघर्ष पर केंद्रित कर रखा है।
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