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    कांग्रेस प्रधान करा का उमर पर निशाना, कहा- 'किसी को खुशी करने की कमजोरी या इंडी गठबंधन के प्रति विश्वास में कमी'

    By Satnam Singh Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 06:30 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस नेता गुलाम नबी करा ने उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि उमर में किसी को खुश करने की कमजोरी है या इंडी गठबंधन के ...और पढ़ें

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    करा बोले- इंडी-गठबंधन का मकसद देश में फूट डालने वाली ताकतों का मुकाबला करना है।

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रधान तारिक हमीद करा ने नेकां व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर कांग्रेस ने चुनाव पूर्व नेकां से गठबंधन नहीं किया होता तो नेकां की राजनीतिक तस्वीर अलग होती।

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    उन्होंने कहा कि फारूक अब्दुल्ला व उमर के बुलावे पर राहुल गांधी विधानसभा चुनाव से पहले फारूक के घर गए थे। चुनाव से पहले नेकां की सोच कांग्रेस के प्रति अलग थी जो बाद में बदल गई। एक निजी चैनल के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि बार बार कहने के बावजूद भी नेकां ने समन्वय समिति नहीं बनाई।

    अलबत्ता करा ने कहा कि नेकां से समर्थन वापसी का फैसला उन्होंने नहीं करना है। यह सभी साथियों की राय होगी। चर्चा होगी। अन्य विकल्प भी हो सकते हैं। उमर अब्दुल्ला के इंडी-गठबंधन को निशाना बनाने के सवाल के जवाब में करा ने कहा कि इस राष्ट्रव्यापी गठबंधन बनाने का मकसद देश में फूट डालने वाली ताकतों का एकजुटता से मुकाबला करना था।

    जो लोग यह बयान दे रहे है या तो उनकी गठबंधन के प्रति दृढ़ विश्वास में कमी है या वे किसी को खुश करने की मजबूरी के तहत बयान दे रहे हैं। अगर कांग्रेस को निशाना बनाने पर जम्मू कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल होता है तो हम इसका स्वागत करेंगे। जब नेकां के साथ गठबंधन बना तो उस समय हमारा लक्ष्य भाजपा को सत्ता से बाहर रखने का था जिसमें हम कामयाब हुए।

    करा ने कहा कि हमें भी जनादेश मिला है। हमें भी अपने मतदाताओं को जवाब देना है। लोगों से किए गए बिजली, गैस,राशन, अस्थायी कर्मियों को लेकर किए गए वायदे पूरे नहीं हुए हैं। उन्होंने जम्मू कश्मीर में दोहरे नियंत्रण सिस्टम की आलोचना करते हुए कहा कि इससे गरीब लोग पिस रहे हैं।

    लोगों के मन में यह भी सवाल है कि कहीं सरकार व उपराज्यपाल शासन के बीच कोई गुप्त समझौता तो नहीं है। जम्मू कश्मीर इस समय मुश्किल दौर से गुजर रहा है। जब उपराज्यपाल शासन तो उस समय कार्यवाही सुचारू रूप से चल रही थी। सरकार बनने के बाद सुचारू व्यवस्था नहीं रही। जम्मू कश्मीर में कामकाज का दोहरा नियंत्रण वाला सिस्टम लोगों के भले में नहीं है।