जम्मू: गांवों में पहुंची कंबाइन मशीनें, फसल समेटने में जुटे किसान
राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि गेहूं की फसल का इस बार बंपर उत्पादन हुआ है पहले 20 अप्रैल के बाद ही पंजाब से कंबाइन मशीनें आती थी मगर इस बार पहले आ गई हैं तो उन्होंने अपनी फसल कटाई कंबाइन से करवा रहे हैं।

मीरां साहिब, संवाद सहयोगी। पंजाब से कंबाइन मशीन आ जाने के कारण क्षेत्र के किसान कंबाइन के जरिए अपनी गेहूं की फसल कटाई करा रहे हैं। किसानों का कहना है कि पिछले साल कोरोना के चलते बाहरी राज्य से फसल कटाई के लिए श्रमिक नहीं आए थे और अब जबकि कटाई शुरू हो गई है अभी तक श्रमिक ना के बराबर ही आए हैं दूसरी ओर कहीं मौसम ना दगा दे दे, इसलिए कंबाइन के जरिए अपनी फसल को कटवा कर सुरक्षित अपने घर में पहुंचाना चाहते हैं।
गांव ममका में कंबाइन के जरिए फसल कटाई में जुटे किसान गुरबख्श सिंह, मोहन सिंह, राजेंद्र सिंह आदि ने बताया कि गेहूं की फसल का इस बार बंपर उत्पादन हुआ है पहले 20 अप्रैल के बाद ही पंजाब से कंबाइन मशीनें आती थी मगर इस बार पहले आ गई हैं तो उन्होंने अपनी फसल कटाई कंबाइन से करवा रहे हैं। किसानों के अनुसार एक तो अभी तक श्रमिक नहीं आए हैं दूसरा फसल को आग लगने का भी खतरा है क्योंकि खेतों के बीच से जो तारे गुजर रही हैं वह काफी ढीली है कभी भी हवा चलने के कारण चिंगारी होने का खतरा है जिसके चलते उनकी फसल को आग भी लग सकती है।
इसी तरह अन्य किसान अशोक कुमार, कुलदीप कुमार, जगदीश लाल, जगतार सिंह आदि का कहना है कि दो साल पहले बेमौसम बारिश के कारण उनकी गेहूं की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो गई थी उसका मुआवजा भी अभी तक उन्हें नहीं मिल पाया है। इसलिए बेहतरी इसी में है कि जल्द से जल्द जो खड़ी फसल है उसकी मशीन के जरिए कटाई करवा कर सुरक्षित घर में पहुंचाया जाए। आज फसल को सुरक्षित घर पर पहुंचाएं जाने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ रही है। उन्होंने अन्य किसानों को भी सलाह दी कि वह लोग भी कंबाइन के जरिए अपनी फसल जल्द से जल्द कटवा लें श्रमिकों के भरोसे ना रहे इसी में उन्हीं की भलाई है।
किसानों ने सरकार से भी गुहार लगाई कि किसानों को खेती से जोड़ने के लिए सरकार किसानों के हितों की भी रक्षा करें और उन्हें समय पर खाद बिजली पानी मुहैया करवाया जाए ताकि किसान पूरी मेहनत और लगन से खेती कर सकें। मगर होता उल्टा है जब किसानों को नहरी पानी की जरूरत होती है तो नहर में पानी ही कम आता है और जब जरूरत नहीं होती है तो इतना पानी छोड़ दिया जाता है कि वह व्यर्थ में ही बह जाता है। सरकार को किसानों के लिए कोई ठोस कृषि नीति बनानी चाहिए तभी किसान खेती से जुड़ा रह सकता है।
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