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    Anantnag Encounter: 'बेटा अब भी भेजता है वॉइस मैसेज', बलिदानी कर्नल सिंह की पत्नी ने बताई दिल को झकझोर देने वाली बातें

    By Agency Edited By: Himani Sharma
    Updated: Mon, 17 Jun 2024 09:10 PM (IST)

    Anantnag Encounter पिछले साल अनंतनाग में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में बलिदान हुए कर्नल सिंह की पत्‍नी ने उनके बारे में कुछ बातें साझा की हैं। उन्‍होंने बताया कि उनका सात साल का बेटा अभी भी उनको याद करता है। साथ ही उनके फोन पर वॉइस मैसेज भेजता है। कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले साल 13 सितंबर को एक संयुक्त अभियान के दौरान वीर गति को प्राप्‍त हो गए थे।

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    Anantnag Encounter: पिछले साल अनंतनाग में बलिदान हुए कर्नल सिंह की पत्नी ने किया याद

    पीटीआई, अनंतनाग। Anantnag Encounter: 'पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पे चले जाना...' प्यार और नुकसान की दिल दहला देने वाली कहानी में, सात वर्षीय कबीर इस कठोर वास्तविकता से अनजान है कि उसके पिता कभी वापस नहीं आएंगे। साथ ही वह लगातार कर्नल मनप्रीत सिंह के नंबर पर आवाज संदेश भेजता है और उनसे वापस आने की गुहार लगाता है।

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    पिछले साल वीर गति को प्राप्‍त हुए थे कर्नल सिंह

    कर्नल मनप्रीत सिंह पिछले साल 13 सितंबर को एक संयुक्त अभियान के दौरान वीर गति को प्राप्‍त हो गए थे। जब वह अन्य सैनिकों के साथ गडूल गांव के आसपास के जंगलों में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ में बलिदान हो गए। अपने साहस के बावजूद, कर्नल सिंह, मेजर आशीष धोंचक, जे-के पुलिस उपाधीक्षक हुमायुं भट और सिपाही प्रदीप सिंह ने सर्वोच्च बलिदान दिया, जिससे उन लोगों के दिलों में एक खालीपन आ गया जो उन्हें जानते थे और उनकी प्रशंसा करते थे।

    आतंकवाद प्रभावित इलाकों में नायक के रूप में किया जाता है याद

    19 राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) यूनिट के एक सम्मानित कमांडिंग ऑफिसर कर्नल सिंह को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के लारकीपोरा, जालदूरा और कोकरनाग के सबसे अधिक आतंकवाद प्रभावित इलाकों में एक नायक के रूप में याद किया जाता है।

    कई स्थानीय लोग उन्हें इन क्षेत्रों में बहादुरी, नेतृत्व और निस्वार्थ बलिदान के प्रतीक के रूप में याद करते हैं। जो मुख्य रूप से 19 आरआर के जिम्मेदारी क्षेत्र या सेना की भाषा में एओआर हैं। उनकी विरासत लोगों के दिलों में जिंदा है।

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    कर्नल सिंह की अनुपस्थिति उनके परिवार के सदस्यों, विशेषकर उनकी पत्नी जगमीत पर भारी पड़ती है, जो उस समय को स्पष्ट रूप से याद करती हैं जब उन्होंने दो चिनार के पेड़ लगाए थे और प्यार से उनका नाम अपने बच्चों - कबीर और वाणी के नाम पर रखा था। उन्होंने कहा था कि हम 10 साल बाद इन पेड़ों को फिर से देखने के लिए लौटेंगे।

    कर्नल सिंह की पत्नी ने साझा की यादें

    जगमीत ने पंजाब के मोहाली से फोन पर पीटीआई को बताया कि कर्नल सिंह कश्मीर में लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के प्रति कितने भावुक थे। साथ ही उन्होंने अपने बच्चों को यह समझाने में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी बताया कि वह वापस नहीं लौटेंगे। उन्होंने कहा कि अक्सर मान (कर्नल मनप्रीत) को रात के अंधेरे में फोन आते थे और वह तुरंत सुनिश्चित करते थे कि उन्हें मदद प्रदान की जाए।

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    जगमीत ने कहा कि उनके पति को स्थानीय लोगों ने शादी, बच्चे के जन्म और ईद का जश्न मनाने के लिए आमंत्रित किया था। जगमीत ने कर्नल सिंह के साथ हुई आखिरी बातचीत की भी चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि 32 सेकंड बात हुई थी और उनके आखिरी शब्‍द थे कि मैं ऑपरेशन में हूं।

    उन्होंने पुनर्वास प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, विशेष रूप से नशीली दवाओं के आदी लोगों को ठीक होने का रास्ता खोजने में मदद करने में। खेल और शिक्षा के माध्यम से महिलाओं को सशक्त बनाने और समुदाय की भावना को बढ़ावा देने में कर्नल सिंह के प्रभाव को उनके जानने वाले लोग प्रेमपूर्वक याद करते हैं।

    अनंतनाग के हीरो थे कर्नल सिंह

    अनंतनाग की प्रसिद्ध महिला क्रिकेटर रूबिया सईद ने समुदाय पर कर्नल सिंह के प्रभाव को याद किया। उन्होंने कहा कि उनका मानना ​​था कि खेल समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। सईद ने कहा कि कर्नल सिंह का महिलाओं को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्र बनाने पर ध्यान केंद्रित करना खेल और शिक्षा के माध्यम से एक बेहतर समाज के निर्माण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।