Kashmir: चिनार सिर्फ एक पेड़ नहीं बल्कि खुद में पूरा इतिहास समेटे है, आज फिर नए कश्मीर को बदलते देख रहा
दुनिया का सबसे पुराना चिनार का पेड़ बडगाम के छत्रगाम में है। इसकी आयु 632 साल बताई जा रही है।
श्रीनगर, नवीन नवाज। चिनार सिर्फ एक पेड़ नहीं बल्कि खुद में पूरा इतिहास समेटे है। चिनार ने कश्मीर के पल-पल बदलते हालात को बेहद करीब से देखा है। सैकड़ों दरख्तों की उम्र 300 से 700 साल तक है। हर सुर्ख पतझड़ के बाद चिनार अडिग है इस विश्वास के साथ कि वादी में अमन की बहार लौटने को है। आज फिर चिनार नए कश्मीर को बदलते देख रहा है। 15 मार्च को चिनार दिवस पर कश्मीर की इस पहचान को बचाने के लिए सरकार के साथ कई संगठनों ने जिम्मा उठाया है।
करीब एक सप्ताह तक कश्मीर में चिनार के पेड़ों के संरक्षण के लिए लोग एकजुट होंगे। आतंक के दुर्दिन में चिनार हर गोली को ङोल गया पर विकास के नाम पर चलती कुल्हाड़ी उसे दर्द दे रही है। सड़कों और पुलों के नाम पर सैकड़ों बरस पुराने चिनार की कुर्बानी आम कश्मीरी को रास नहीं आ रही। चार-पांच वषों में सिर्फ श्रीनगर शहर में ही करीब 52 चिनार के पेड़ कट गए हैं। आंकड़े बताते हैं कि कश्मीर में 1947 से पूर्व 45 हजार से ज्यादा चिनार के पेड़ थे। वर्ष 1980 के बाद पेड़ों की संख्या काफी कम हो गई। कुछ सामाजिक संगठनों ने कश्मीर की पहचान चिनार को बचाने का जिम्मा उठाया। उसके बाद प्रशासन ने भी हर साल चिनार दिवस मनाना आरंभ किया। कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ डॉ. अजय चुरुंगु कहते हैं कि कुछ इतिहासविद यह भ्रम फैला रहे हैं कि कश्मीर में चिनार कहीं बाहर से आया है। हमारे सभी धर्मस्थलों पर, पवित्र चश्मों में चिनार होता है। हम इसे मां भवानी का प्रसाद मानते हैं। गिलगित में मिले 1700 साल पुराने शिलालेखों पर भी चिनार की आकृतियां हैं।
कश्मीर के वयोवृद्ध साहित्यकार जरीफ अहमद जरीफ स्वीकार करते हैं कि राजतरंगिणी में भी कल्हन ने चिनार का उल्लेख किया है। जिस तरह डोगरा शासकों के समय चिनार को राजस्व में दर्ज किया जाता था, उसी तरह से इसे दर्ज किया जाए। यह पेड़ बहार में बड़े हरे गुलदस्ते की तरह दिखता है। पतझड़ में जब सभी पेड़ ठूंठ हो जाते हैं, तब इसके पत्ते लाल सुर्ख होकर आसपास के वातावरण को खूबसूरत बनाते हैं। चिनार बचाने की मुहिम में जुटे जरीफ अहमद कहते हैं कि अब लोग विकास के नाम पर चिनार काट रहे हैं। इस्लाम में किसी भी हरे और छायादार पेड़ को काटने की मनाही है। यह पेड़ तो हमारे कश्मीरी पंडित भाइयों के लिए भी मजहबी अकीदत है। कश्मीर में उनकी सभी बड़ी मजहबी जगहों और मंदिरों में यह दरख्त हैं और वह इन्हें बुईन कहते हैं। बुईन को वह भवानी का रूप मानते हैं। कश्मीर वेली सिटीजन फोरम इमदाद साकी ने बताया कि पहले मई 2017 में डलगेट के पास मौलाना आजाद रोड पर सड़क को चौड़ा करने के लिए चिनार काटने का प्रयास किया गया तो बड़ी संख्या में लोग जमा हो गए। गिटार और रबाब की धुनों पर चिनार के संरक्षण का संदेश देते गीत गाने लगे और आखिर चिनार बच गया। दुनिया का सबसे पुराना चिनार का पेड़ बडगाम के छत्रगाम में है। इसकी आयु 632 साल बताई जा रही है।
भाईचारे का दे रहा संदेश : बदलते हालात का ही नतीजा है कि यूथ फेस्टिवल हो या गुलमर्ग की वादियों में राष्ट्रीय शीतकालीन खेलों का मेला। या फिर गांदरबल में राष्ट्रीय एकता शिविर। इनमें देशभर की युवा शक्ति ने कश्मीर से पूरी दुनिया में एकता, भाईचारे व शांति का संदेश दिया। गुलमर्ग में पर्यटकों ने एक स्वर में कहा कि अब कश्मीर वाकई बदल गया है। चिनार दिवस पर जब सभी मिलजुल कर नए चिनार रोपेंगे तो नए कश्मीर की एक और बानगी सामने होगी।
इस साल वादी में रोपे जाएंगे 10 हजार नए चिनार.. : इस साल वादी में 10 हजार नए चिनार लगाने का लक्ष्य रखा है। वर्ष 2017 में गणना के अनुसार कश्मीर में 35 हजार से अधिक चिनार हैं, जिनकी आयु छह साल से 700 साल तक है। करीब 10 हजार पेड़ों की आयु 300 साल से ज्यादा है। इसके लिए प्रशासन पूरी तरह सक्रिय है।
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