जम्मू-कश्मीर: रसायनिक रंगों से होगा नुकसान, हर्बल रंगों का करें उपयोग
जहां तक संभव हो एक ही स्थान पर एकत्रित होकर होली खेले। होली में गीले रंगों का इस्तेमाल न करें। होली में केवल प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें जो आसानी से छूट जाते है। होली में वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करें।

जम्मू, जेएनएन।रंगों के त्यौहार होली में कहीं रंग आपके मजे को किरकिरा न कर दें, इसके लिए पहले से ही सावधानी और सतर्कता जरूरी है। अगर संभव हो सके तो हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करना चाहिए।
रसायनिक रंगों से होने वाला नुकसान
काला रंग : इसमें लैड ऑक्साइड तत्व होता है तो किडनी को नुकसान पहुंचाता है।
हरा रंग : इसमें कॉपर सल्फेट पाया जाता है जो आंखों में एलर्जी, सूजन या आंशिक अंधापन भी पैदा कर सकता है।
सिल्वर रंग : इसमें एल्यूमिनियम ब्रॉमाइड होता है जो कैंसर का एक मुख्य कारक है।
नीला रंग : इसमें प्रूशियन ब्लू पाया जाता है जिससे त्वचा रोग पैदा होते है।
लाल व गुलाबी रंग : इसमें मर्करी सल्फेट पाया जाता है तो अत्याधिक घातक रसायन है और त्वचा का कैंसर होने का खतरा पैदा करता है।
कैसे बचाए पानी
जहां तक संभव हो, एक ही स्थान पर एकत्रित होकर होली खेले। होली में गीले रंगों का इस्तेमाल न करें। होली में केवल प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें जो आसानी से छूट जाते है। होली में वाहनों का इस्तेमाल कम से कम करें।
त्वचा व आंखों का भी रखे ध्यान
त्वचा विशेषज्ञ डॉ. रमन शर्मा के अनुसार केमिकल रंगों से त्वचा के साथ आंखों व बालों को भी नुकसान पहुंचता है। ऐसे रंगों में लेड नामक पदार्थ का इस्तेमाल होता है जो त्वचा के अलावा आंखों को भी नुकसान पहुंचाता है। इससे आंखों में जलन, सूजन व लाली छा जाती है। अगर रंग मुंह में चला जाए तो इससे मुंह में छाले या पेट में सूजन भी हो सकती है। बालों में ऐसे रंग पड़ने से बाल रूखे हो जाते है। इन केमिकल रंगों की तुलना में हर्बल रंग काफी कम हानिकारक होते है लेकिन इनके इस्तेमाल में भी सावधानी बरता जाना जरूरी है।
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