पत्नी के चरित्र पर था शक, प्यार से ले गया वैष्णो देवी और खाई में दे दिया धक्का; 15 साल बाद पति को मिली उम्रकैद की सजा
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने 15 साल पुराने मामले में सेना के गनर राजन लाल को पत्नी की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वैष्णो देवी यात्रा के दौरान 2004 में हुई हत्या के मामले में निचली अदालत ने राजन लाल को बरी कर दिया था जिसे उच्च न्यायालय ने पलट दिया।

जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने 15 वर्ष पुराने एक हत्या मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए सेना के एक गनर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने वर्ष 2004 में वैष्णो देवी यात्रा के दौरान पत्नी की हत्या के आरोपी राजन लाल की बरी होने की निचली अदालत की सजा को पलटते हुए राज्य की अपील को स्वीकार किया।
जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की डिवीजन बेंच ने सत्र न्यायाधीश, रियासी के आदेश को खारिज कर दिया। निचली अदालत ने आरोपी राजन लाल को धारा 302 आरपीसी (हत्या के आरोप) के तहत दोषमुक्त करार दिया था। उच्च न्यायालय ने माना कि ट्रायल कोर्ट ने उन सेना अधिकारियों की गवाही को अनुचित ढंग से खारिज किया, जिनके समक्ष आरोपी ने स्वयं अपराध स्वीकार किया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 32 राष्ट्रीय राइफल्स में तैनात राजन लाल अपनी पत्नी लवली मिश्रा के चरित्र पर शक करता था। 17 जून 2004 को अवकाश पर रहते हुए वह पत्नी को माता वैष्णो देवी दर्शन के लिए ले गया था। बताया गया कि उसने पत्नी को नशीला पदार्थ खिलाया, जिससे वह बेहोश हो गई और फिर भैरो मंदिर के समीप उसे खाई में धक्का दे दिया था। उसका शव नाले से बरामद हुआ था, जो शुरू में पहचान से बाहर था। बाद में आरोपित ने सेना अधिकारियों को दिए उसके इकबालिया बयान से मामला उजागर हुआ था।
उच्च न्यायालय ने कहा कि मेजर सीएस सिद्धू, लेफ्टिनेंट कर्नल जेएस मतंग और सूबेदार विजय शंकर ने आरोपी के इकबालिया बयान पर स्पष्ट गवाही दी। पत्नी को खाई में गिरने के बाद छोड़ देना और किसी को सूचना न देना आरोपित की दोष सिद्धि को पुष्ट करता है। मृतका के सामान से मिले पत्रों में वैवाहिक कलह का उल्लेख था, जिसने हत्या के पीछे कारण को और स्पष्ट कर दिया। खंडपीठ ने राजन लाल को धारा 302 आरपीसी के तहत दोषी ठहराते हुए कठोर आजीवन कारावास की सजा सुनाई।
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