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Chandan Shasthi Vrat : चन्दन षष्ठी व्रत मंगलवार को, कर सकते हैं व्रत का मोख; चंद्रोदय रात्रि 10.04 बजे होगा

Chandan Shasthi Vrat इस वर्ष चन्दन षष्ठी व्रत का उद्यापन मोख भी कर सकते हैं। षष्ठी तिथि रात्रि 16 अगस्त रात्रि 08 बजकर 18 पर शुरू होगी। उद्यापन मोखद्ध रात्रि 08 बजकर 18 के बाद होगा। चंद्रोदय रात्रि 10 बजकर 4 मिनट पर होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 13 Aug 2022 01:33 PM (IST)Updated: Sat, 13 Aug 2022 01:33 PM (IST)
Chandan Shasthi Vrat : चन्दन षष्ठी व्रत मंगलवार को, कर सकते हैं व्रत का मोख; चंद्रोदय रात्रि 10.04 बजे होगा
इस व्रत में हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है।

जम्मू, जागरण संवाददाता : चन्दन षष्ठी का व्रत 16 अगस्त मंगलवार को है।इसे हल षष्ठी, ललही छठ, बलदेव छठ, रंधन छठ, हलछठ, हरछठ व्रत, चंदन छठ आदि के नाम से जाना जाता है।

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चन्दन षष्ठी व्रत के विषय में श्री कैलख ज्योतिष एवं वैदिक संस्थान ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित शास्त्री ने बताया कि चन्दन षष्ठी व्रत हर वर्ष भाद्रपद कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को किया जाता है। जम्मू कश्मीर में चन्दन षष्ठी का व्रत विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को विवाहित-अविवाहित महिलाएं कर सकती है। इस दिन महिलाएं पूरा दिन व्रत रखकर विशेष रूप से सूर्य एवं चंद्रमा की पूजा कथा कर के अथवा सुनकर रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर भोजन करती है।

इस वर्ष चन्दन षष्ठी व्रत का उद्यापन, मोख भी कर सकते हैं। षष्ठी तिथि रात्रि 16 अगस्त रात्रि 08 बजकर 18 पर शुरू होगी। उद्यापन, मोखद्ध रात्रि 08 बजकर 18 के बाद होगा। चंद्रोदय रात्रि 10 बजकर 4 मिनट पर होगा। कहा जाता है कि अगर व्रती ने चन्दन षष्ठी व्रत का उद्यापन किया है तो वह फिर ही किसी भी व्रत का उद्यापन कर सकती है। सबसे पहले इस व्रत का उद्यापन करना होता है एवं मासिक धर्म की अवधि में स्त्रियों द्वारा स्पर्श, अस्पर्श, भक्ष्य, अभक्ष्य इत्यादि दोषों के परिहार के लिए इस व्रत का उद्यापन किया जाता है।

इस दिन को भगवान बलराम की जयंती के रूप में मनाया जाता है।भगवान बलराम को शेषनाग के अवतार के रूप में पूजा जाता है जो क्षीर सागर में भगवान विष्णु के हमेशा साथ रहने वाली शैया के रूप में जाने जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि भगवान बलराम का प्रधान शस्त्र हल और मूसल हैं। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है।

इस व्रत में हल से जुते हुए अनाज व सब्जियों का सेवन नहीं किया जाता है। कुछ राज्यों में हलषष्ठी व्रत महिलाएं अपने संतान की दीर्घायु और स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस दिन हलषष्ठी माता की पूजा की जाती है। 


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