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    सरहद की निगरानी के साथ किसानी भी: बख्तरबंद ट्रैक्टर पर बंजर भूमि को कृषि योग्य बना रहे बीएसएफ जवान

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Thu, 28 Nov 2019 01:52 PM (IST)

    36वीं सुरक्षा बल वाहिनी के जवानों द्वारा ट्रैक्टर से उगी झाड़ियों को हटाकर इस भूमि को कृषि विभाग को फिर से उपलब्ध करवाया जा रहा है। ...और पढ़ें

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    सरहद की निगरानी के साथ किसानी भी: बख्तरबंद ट्रैक्टर पर बंजर भूमि को कृषि योग्य बना रहे बीएसएफ जवान

    आरएसपुरा (जम्मू), दलजीत सिंह। भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दोनों तरफ कड़ा पहरा था। मौसम भी खराब था और हल्की धुंध भी। तारबंदी के गेट खुलते ही नौ मैंस लैंड (किसी देश की जमीन नहीं) से सटी जमीन पर वाहनों की गड़गड़ाहट की आवाजें आनी शुरू हो गई। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) जवान ट्रैक्टर-ट्रॉलियां लेकर बंजर भूमि को कृषि योग्य बनाने में जुट गए थे। कुछ जवान बुलेट प्रूफ ट्रालियों में थे तो कुछ खुले में खेत को जोत रहे थे। यह जमीन कई वर्षो से बंजर पड़ी थी।

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    कृषि विभाग को सौंप दी गई जमीन:

    दस साल पहले यह जमीन कृषि विभाग के सुपुर्द की गई। कृषि विभाग ने यहां पर बीज तैयार करने के लिए फार्म बनाया। बीएसएफ पोस्ट जुग्गू चक व जय किशन के पास तारबंदी के आगे 175 एकड़ जमीन कृषि विभाग के पास थी। जहां विभागीय कर्मचारी बीएसएफ जवानों की निगरानी में बीज तैयार करने का काम करते थे, लेकिन पांच-छह वर्षो से यह काम भी बंद हो गया। ऐसे में यह भूमि पूरी तरह जंगल में तब्दील हो गई। इस भूमि को दोबारा खेती योग्य बनाने के लिए अब सीमा पर तैनात 36वीं सुरक्षा बल वाहिनी के जवानों द्वारा ट्रैक्टर से उगी झाड़ियों को हटाकर इस भूमि को कृषि विभाग को फिर से उपलब्ध करवाया जा रहा है।

    कृषि योग्य बनी भूमि पर गेहूं की हो रही बिजाई:

    कृषि फार्म के अधिकारी सतवारी सिंह ने बताया कि विभाग ने तैयार की गई भूमि पर गेहूं की बिजाई शुरू कर दी है। पिछले पांच-छह साल से फार्म की भूमि गोलीबारी के कारण बंजर हो चुकी थी। कई बार विभाग ने प्रयास किया, लेकिन भूमि को खेती योग्य नहीं बनाया जा सका। अब सीमा सुरक्षा बल की 36वीं वाहिनी के जवानों ने बंजर हो चुकी इस भूमि को कृषि योग्य बनाकर उन्हें इस पर खेती करने के लिए प्रोत्साहित किया है। सिंह ने बताया कि फार्म के पास 1000 एकड़ कृषि भूमि है। ऐसे में 175 एकड़ और कृषि भूमि उनके पास आने से क्षेत्र के किसानों को ही लाभ मिलेगा।

    बुलेटप्रूफ ट्रैक्टर से हो रही खेतों की जोताई:

    भारत-पाक सीमा पर तारबंदी से आगे की भूमि की जोताई के दौरान पाकिस्तान की नापाक हरकतों से बचने के लिए भी बीएसएफ ने पूरा बंदोबस्त किया है। जोताई में इस्तेमाल होने वाले ट्रैक्टर के बुलेटप्रूफ केबिन बनाए गए हैं, जिनके भीतर बैठकर बीएसएफ जवान व कृषि कर्मचारी भूमि की जोताई कर रहे हैं। बीएसएफ जवानों की पूरी चौकसी रहती है।

    तारबंदी के दौरान एक हजार एकड़ जमीन आगे चली गई

    आरएसपुरा में सीमा पर तारबंदी के कारण करीब एक हजार एकड़ जमीन तारबंदी के आगे चली गई थी। 16 साल पहले जब भारत-पाक के बीच संघर्ष विराम हुआ तो कुछ दिनों तक सीमा पर शांति रही। किसानों को इस जमीन पर खेतीबाड़ी के लिए जाने की अनुमति मिलती रही। रोजाना सुबह बीएसएफ की निगरानी में किसान तारबंदी के आगे जाते थे और शाम को निर्धारित समय पर लौट आते थे, लेकिन बाद में पाक गोलाबारी के कारण किसानों को आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई। सूत्रों के अनुसार इस काम के लिए दोनों देशों के अधिकारियों में पहले सहमति हुई है। बावजूद बीएसएफ जवान कड़ी निगरानी रख रहे हैं।

    बीएसएफ कमांडेंट बोले, सीमा पर नजर रखने में आसानी होगी

    सीमा सुरक्षा बल की 36वीं वाहिनी के कमांडेंट अजय सूर्यवंशी ने बताया कि सुरक्षा बल ने प्रयास किया है कि बंजर भूमि को आबाद कर कृषि योग्य बनाया जाए। इस पर खेती करने के साथ ही सीमा पर गतिविधियों पर नजर रखने में आसानी होगी।