भाजपा का नेकां सांसद रूहुल्लाह पर हमला, कहा- 'वंदे मातरम का अपमान करने वाले नेताओं की संसद में जरूरत नहीं'
भाजपा ने नेकां सांसद रूहुल्लाह के 'वंदे मातरम' संबंधी बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है। भाजपा का कहना है कि 'वंदे मातरम' का अपमान करने वालों को संसद में रह ...और पढ़ें

आगा सैयद रूहुल्लाह महदी बोले- वंदे मातरम नहीं गाएंगे, मुस्लिम पहचान पर नियंत्रण रखने के प्रयास हो रहे।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। प्रदेश भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि जनप्रतिनिधि के रूप में सभी सुविधाएं लेकर भारतीय पहचान का अपमान करने वाले अलगाववादी मानसिकता वाले नेताओं की संसद में कोई जरूरत नही है।
वंदे मातरम काे लेकर आपत्तिजनक बयान देने वाले नेशनल कांफ्रेंस के सांसद आगा सैयद रूहुल्लाह महदी को आड़े हाथ लेते हुए प्रदेश भाजपा ने कहा है कि यह सोच भारत की राष्ट्रीय पहचान से खुद को अलग करने का प्रयास है।
प्रदेश भाजपा प्रवक्ता गौरव गुप्ता ने महदी के बयान पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा है कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अलगाववादी मानसिकता वाला बयान एक निर्वाचित सांसद द्वारा दिया जा रहा है।
राष्ट्रीयता बदल सकती है, लेकिन उनका धर्म नहीं बदल सकता
नेकां सांसद ने आगा सैयद रूहुल्लाह महदी लोकसभा में कहा है कि वे कभी भी वंदे मातरम नहीं गाएंगे। उन्होंने कहा है कि मुस्लिम पहचान पर नियंत्रण रखने व राष्ट्रवाद की आड़ में सांस्कृतिक अनुरूपता लागू करने के प्रयास हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीयता बदल सकती है, लेकिन उनका धर्म नहीं बदल सकता है। ऐसे में भी कोई भी सरकार उन्हें वंदे मातरम गाने के लिए मजबूर नही कर सकती है।
इस पर कड़ी प्रतिक्रिया जताते हुए भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि महदी का यह बयान चिंताजनक है। यह उनकी अलगाववादी मानसिकता” को दर्शाता है। वह जानबूझ कर इस सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। सच तो यह है कि भारतीय मुस्लिमों ने स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आज तक देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने देश की आज़ादी के लिए सब के साथ मिलकर संघर्ष किया।
राष्ट्रीय प्रतीकों को अस्वीकार करना अलगाववादी मानसिकता है
भाजपा नेता ने कहा है कि 140 करोड़ भारतीयों को जोड़ने वाले राष्ट्रीय प्रतीकों को अस्वीकार करना, स्पष्ट रूप से एक अलगाववादी मानसिकता है। गुप्ता ने आरोप लगाया कि महदी के भाषण व साक्षात्कार अक्सर विभाजनकारी संकेतों देते हैं। वह समाज में सौहार्द की जगह तनाव पैदा करते हैं।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा, है किभारतीय संसद में बैठकर, सभी संवैधानिक सुविधाएं लेकर एक सांसद को राष्ट्रीय एकता को मजबूत करना चाहिए, न कि उत्तेजक बयानों से देश की सामूहिक पहचान को कमजोर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम का विरोध किसी भी तरह से सही नही है। यह देशहित के विरुद्ध एक सोच का संकेत है।
नैतिकता का दावा करना स्वीकार्य नहीं
उन्होंने कहा, हर सांसद संविधान की शपथ लेकर जनप्रतिधि देश की एकता व संप्रभुता के प्रति प्रतिबद्ध होता है। राष्ट्रीय प्रतीकों को नीचा दिखाते हुए नैतिकता का दावा करना स्वीकार्य नहीं किया जा सकता है। अगर महदी भारत के नागरिक हैं तो भारत की राष्ट्रीय पहचान का सम्मान उनकी जिम्मेदारी है। कोई भी जनप्रतिनिधि ऐसी भाषा का प्रयोग नही कर सकता है जो विभाजन पैदा करे या अलगाववादी सोच को हवा दे।

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