J&K Politics: चुनावी सरगर्मियों के बीच भाजपा नेता गुलाम अली खटाना ने बढ़ाई सक्रियता, 30 दिन में की 25 बैठकें
गुज्जर-बक्करवाल जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं। विधानसभा व संसदीय चुनाव में गुज्जर-बक्करवाल मतदान करने के लिए भारी संख्या में घरों से निकलते हैं। इस समय प्रदेश में 12 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं यहां पर गुज्जर-बक्करवाल परोक्ष अपरोक्ष रूप से प्रभाव रखते हैं।

जम्मू, राज्य ब्यूरो। भाजपा नेता गुलाम अली खटाना ने राज्यसभा का सदस्य बनने के बाद गुज्जर-बक्करवालों में पैठ बनाने के लिए जम्मू के ऐसे इलाकों में गतिविधियां तेज कर दी हैं यहां पर जनजातीय मतदाताओं की संख्या अधिक है।
खटाना पिछले एक महीने में जम्मू, सांबा व कठुआ जिलों में 20 से अधिक बैठकें कर गुज्जर-बक्करवालों को भाजपा का समर्थन का संदेश दे चुके हैं। जम्मू कश्मीर में अपने बलबूते पर सरकार बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी को गुज्जर-बक्करवालाें से बड़ी उम्मीदें हैं। ऐसे में पार्टी ने युवा गुज्जर-बक्करवाल नेता इंजीनियर गुलाम अली खटाना को राज्यसभा का सदस्य बनाकर खानाबदोश समुदाय को विश्वास जीतने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। खटाना पार्टी की उम्मीदों पर खरा उतर रहे हैं। एक माह में ही वे केंद्र सरकार व उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से समुदाय के मुद्दे उठा चुके हैं।
मोदी नेतृत्व वाली सरकार समाज के विकास को समर्पित
खटाना गुज्जर बक्करवालों का संदेश दे रहे हैं कि वे उन्हें सात दशकों से गुमराह करती आई राजनीतिक पार्टियों को दरकिनार कर अब भाजपा के साथ जुड़कर अपने भविष्य को बेहतर बनाएं। सांबा जिले के परमंडल में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि गुज्जर-बक्करवाल यह समझें कि किन पार्टियों ने उन्हें झूठे वादे कर गुमराह किया व अब भाजपा किस तरह से उनकी बेहतरी के लिए काम कर रही है। खटाना ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार, सही मायनों में देश व समाज के विकास के लिए समर्पित है। जनजातीय समुदाय का विकास मोदी सरकार की प्राथमिकता है। अब गुज्जर-बक्करवाल समुदाय का विकास होना तय है। परमंडल में आयोजित इस कार्यक्रम का आयोजन ब्लाक डेवेलपमेंट काउंसिल की अध्यक्ष अरशद बेगम की ओर से किया गया था। इससे पहले खटाना जम्मू जिले में भी ऐसे कई कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर मोदी सरकार के तेज विकास का संदेश दे चुके हैं।
जम्मू-कश्मीर की राजनीति में खासा दखल रखते हैं गुज्जर-बक्करवाल
गुज्जर-बक्करवाल, जम्मू कश्मीर की राजनीति में भी खासा दखल रखते हैं। विधानसभा व संसदीय चुनाव में गुज्जर-बक्करवाल मतदान करने के लिए भारी संख्या में घरों से निकलते हैं। इस समय प्रदेश में 12 ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं यहां पर गुज्जर-बक्करवाल परोक्ष, अपरोक्ष रूप से प्रभाव रखते हैं। वर्ष 2011 के सेंसस के अनुसार जम्मू संभाग के सीमावर्ती राजौरी में गुज्जर-बक्करवालों की आबादी 43 प्रतिशत के करीब है। वहीं साथ लगते पुंंछ जिले में उनकी आबादी 36 प्रतिशत है। ऐसे में इन दोनाें जिलों की आठ विधानसभा सीटों में गुज्जर बक्कर वोट बहुत महत्व रखता है। प्रदेश में इस समुदाय की आबादी 10 से 15 प्रतिशत के बीच है। जम्मू जिले के नगरोटा विधानसा क्षेत्र के साथ सुचेतगढ़ क्षेत्र में भी गुज्जर बक्करवालों की खासी संख्या है। कठुआ जिले के बनी इलाके में भी खासे गुज्जर बक्करवाल हैं। इसके साथ रियासी के गूल अरनास इलाके में भी गुज्जर बक्करवाल वोट चुनाव के परिणाम को प्रभावित करता है। जम्मू संभाग के साथ कश्मीर के अनंतनाग, शोपियां में गुज्जर बक्करवाल वोट प्रभावी भूमिका रखता है।
गुज्जर-बक्करवालों का इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए हुआ
खटाना का कहना है कि पहले गुज्जर-बक्करवालों को इस्तेमाल सिर्फ राजनीतिक स्वार्थ के लिए हुआ। अब गुज्जर-बक्करवालों को सशक्त बनाने की दिशा में बड़े पैमाने पर प्रयास हो रहे हैं। उन्हें वनों के अधिकार देने के साथ उनके बच्चों के लिए मोबाइल स्कूल, डिस्पेंसरियां खुल रही हैं। अब बिना किसी भेदभाव के उन्हें आगे लाने की दिशा में काम हो रहा है।
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