Bijbehara News: जम्मू-कश्मीर परिसीमन अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला गलत; महबूबा मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को कहा कि जब अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को रद्द करने की कानूनी चुनौतियां पहले से लंबित थी तो ...और पढ़ें

बिजबेहरा, जम्मू, पीटीआई । पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को अपने बयान में कहा कि जब अनुच्छेद 370 को निरस्त करने और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम को रद्द करने की कानूनी चुनौतियां पहले से लंबित थी तो जम्मू-कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने वाला सुप्रीम कोर्ट के फैसले का कोई महत्व नहीं है।
मुफ्ती ने कहा- हमने परिसीमन आयोग को शुरू के किया खारिज
मुफ्ती ने कहा कि हमने परिसीमन आयोग को शुरू से ही खारिज किया है। हमें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि फैसला क्या है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है।
परिसीमन अधिनियम, चुनाव से पहले धांधली की प्रक्रिया है; मुफ्ती
मुफ्ती ने पूछा कि पुनर्गठन अधिनियम एक्ट अभी लंबित है, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने की चुनौती सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है। यदि यह सब लंबित है, तो वे इस याचिका पर फैसला कैसे दे सकते हैं? महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि परिसीमन अधिनियम, चुनाव से पहले धांधली की एक सामरिक प्रक्रिया थी। यही भाजपा ने किया है। बहुमत को अल्पसंख्यक में परिवर्तित करके। महबूबा ने कहा कि हमने परिसीमन आयोग की चर्चाओं में भी भाग नहीं लिया है।
महबूबा ने कहा; अदालत किसी की भी आखिरी उम्मीद है
जब महबूबा से पूछा गया कि क्या उन्हें अभी भी न्यायपालिका पर भरोसा है तो महबूबा ने कहा कि अदालतें देश में किसी की भी आखिरी उम्मीद और सहारा है। जहां तक न्यायपालिका की बात है तो एक गरीब कहां जाएगा? इस बात पर मुख्य जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा है कि निचली अदालतें जमानत देने से डरती हैं। अगर कोई अदालत जमानत देने से डरती है, तो वे निष्पक्ष फैसला कैसे सुनाएंगे? एक समय था जब अदालत के एक फैसले ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को अपदस्थ कर दिया था। आज लोगों को अदालतों से जमानत तक नहीं मिलती है।

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