जम्मू-कश्मीर में अब बिना लिखित समझौते किराये पर नहीं मिलेगा मकान या दुकान, जानिए क्या हैं नियम?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में किरायेदारी विधेयक 2025 पारित होने के बाद प्रदेश में पहली नवंबर से नया कानून प्रभावी कर दिया गया है। मकान मालिक और किरायेदार के बीच किराए की शर्तों का लिखित समझौता अनिवार्य है। नियमों का उल्लंघन करने पर जुर्माना लगेगा। सरकार किरायेदार और मकान मालिक के बीच विवादों को सुलझाने के लिए प्राधिकरण बनाएगी।

इस कानून से किरायेदारों को मनमाने ढंग से किराया बढ़ाने से बचाया जा सकेगा।
जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर विधानसभा में किरायेदारी विधेयक 2025 पारित होने के बाद प्रदेश में पहली नवंबर से नया कानून प्रभावी कर दिया गया है। इस कानून के लागू होने के बाद अब प्रदेश में कोई भी मकान, दुकान या अन्य संपत्ति बिना लिखित समझौते के किराए पर नहीं दी जा सकेगी।
नए कानून के तहत एक प्राधिकरण का गठन किया जा रहा जिसमें हर जिले का डिप्टी कमिश्नर इसका मुख्य अधिकारी रहेगा। इस प्राधिकरण को अगले तीन महीने में वेब पोर्टल तैयार करने को कहा गया है और तब तक संपत्ति के मालिक व किरायेदार लिखित समझौते व अन्य संबंधित दस्तावेज को व्यक्तिगत रूप से डीसी कार्यालय में जमा कराएंगे।
हर किरायेदारी समझौता लिखित रूप में होगा
मकान मालिक और किरायेदार, दोनों के अधिकारों की रक्षा व विवादों के त्वरित निपटारे के उद्देश्य से लाए गए इस नए कानून के तहत हर किरायेदारी समझौता लिखित रूप में होगा और उसकी कापी रेंट अथारिटी(प्राधिकरण अधिकारी) के पास दर्ज कराना अनिवार्य होगा।
तीन महीने बाद जब वेब पोर्टल तैयार हो ताएगा, तो यह मालिक व किरायेदार के बीच हुए समझौते का आनलाइन पंजीकरण होगा। हर समझौते को एक विशिष्ट पहचान संख्या (यूआईडी) दी जाएगी और सभी पंजीकृत समझौते का डिजिटल रजिस्टर सार्वजनिक वेबसाइट पर देखा जा सकेगा।
इस बिल के लागू होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर आवासीय और वाणिज्यिक किरायेदारी अधिनियम, 2012 रद्द कर दिया गया है। हालांकि पुराने मामलों की सुनवाई पुराने कानून के तहत जारी रहेगी।
एडवांस व किराये के नियम हुए तय
मकान मालिक अब आवासीय संपत्ति के लिए दो माह से अधिक और व्यावसायिक संपत्ति के लिए छह माह से अधिक एडवांस नहीं ले सकेंगे। किराये का भुगतान तय तिथि तक करना होगा और मकान मालिक को रसीद देना अनिवार्य होगा। यदि मकान मालिक किराया लेने से इनकार करता है, तो किरायेदार इसे डाक या बैंक के माध्यम से भेज सकता है।
दो माह तक भी किराया स्वीकार न होने पर राशि रेंट अथारिटी में जमा कराई जा सकेगी। किराया मालिक और किराएदार की आपसी सहमति से तय होगा। किराया बढ़ोतरी भी अब मनमानी नहीं होगी। यदि समझौते में दर तय नहीं है तो रेंट अथारिटी 10 प्रतिशत से अधिक सालाना वृद्धि को मंजूरी नहीं देगी।
सामान्य मरम्मत की जिम्मेदारी किरायेदार की होगी, जबकि बड़ी मरम्मत या ढांचे की देखरेख की जिम्मेदारी मकान मालिक की रहेगी। यदि मकान मालिक मरम्मत से इनकार करता है, तो किरायेदार खुद मरम्मत करवा सकता है और खर्च का 50 प्रतिशत तक अगले किराये में से काट सकता है।
नए कानून के तहत होगा विवादों का निपटारा
कानून में स्पष्ट है कि बिना रेंट कोर्ट की अनुमति या लिखित समझौते की शर्तों का उल्लंघन किए बिना किसी किरायेदार को बेदखल नहीं किया जा सकता। मकान मालिक तभी बेदखली का दावा कर सकता है जब किराया लगातार बकाया रहे, मकान का दुरुपयोग हो या बिना अनुमति किसी और को दे दिया गया हो।
किराया बकाया रहने पर भी अगर किरायेदार एक माह में भुगतान कर देता है तो उसे बेदखल नहीं किया जाएगा। मकान मालिक की मृत्यु होने पर उसके कानूनी वारिस, यदि वास्तविक आवश्यकता साबित करें, तो रेंट कोर्ट से कब्जा मांग सकते हैं।
वहीं, किराएदार की मृत्यु होने पर उसके परिवारजन या कानूनी वारिस उसी करार के तहत मकान में रह सकते हैं। कानून के तहत हर जिले में रेंट अथारिटी, रेंट कोर्ट और रेंट ट्रिब्यूनल गठित किए जाएंगे। ये संस्थाएं सिविल कोर्ट जैसी शक्तियां रखेंगी और किराया विवादों का निपटारा 60 से 90 दिन के भीतर करने का लक्ष्य होगा।
दोनों की जिम्मेदारियां भी हाेंगी तय
कानून के तहत मकान मालिक किरायेदार की मूलभूत सेवाएं जैसे पानी, बिजली, लिफ्ट या सफाई बंद नहीं कर सकेगा। ऐसा करने पर रेंट अथारिटी दो माह तक के किराए के बराबर जुर्माना लगा सकेगी। वहीं, अगर किरायेदार की शिकायत झूठी पाई गई तो उस पर भी दो गुना किराया तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
किरायेदार मकान को बिना मकान मालिक की अनुमति सबलेट नहीं कर सकेगा। समझौते की अवधि समाप्त होने पर मकान खाली न करने पर पहले दो माह के लिए दोगुना और उसके बाद चार गुना किराया देना होगा। किरायेदार को मकान खाली करने से पहले कम से कम एक महीने का लिखित नोटिस देना अनिवार्य होगा।
समझौता पत्र के साथ देने होंगे ये दस्तावेज
- आधार कार्ड
- पहचान पत्र
- मूल निवास का प्रमाण पत्र
- फोटो
- पैन कार्ड
- संपत्ति का पूर्ण ब्यौरा
- संपर्क नंबर

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