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    क्या आप पी रहे साफ पानी? डायरिया, हेपेटाइटिस व टायफायड के हजारों मामले; JK में 9 मरीजों की मौत

    Updated: Sun, 07 Sep 2025 05:45 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में जलजनित रोगों का प्रकोप जारी है जिसके चलते अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ रही है। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पीलिया डायरिया हेपेटाइटिस और टायफायड जैसे रोगों के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। दूषित पेयजल की आपूर्ति पुरानी पाइपलाइनें और जल उपचार संयंत्रों की विफलता इसके मुख्य कारण हैं। जल जीवन मिशन पर भी सवाल उठ रहे हैं।

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    जम्मू से श्रीनगर तक पानी की स्वच्छता पर उठे सवाल। फाइल फोटो

    रोहित जंडियाल, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में बाढ़ के बाद जलजनित रोग फैलने की आशंका के चलते प्रशासन बेशक इससे बचाव के लिए अभियान चलाए हुए है लेकिन जलजनित रोग ऐसे भी वर्ष भर यहां के अस्पतालों में आते रहते हैं। कोई ऐसा जिला नहीं है जहां के अस्पताल जलजनित रोगों से पीड़ित मरीजों से भरे नहीं होते हैं।

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    जलशक्ति विभाग के लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के सभी दावे अस्पतालों के बिस्तरों में भर्ती मरीजों को देख हवा हवाई दिखते हैं। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2003 में पीलिया, डायरिया, हेपेटाइटिस, पेचिश और टायफायड जैसे जलजनित रोगों के पूरे प्रदेश में 102236 मामले आए थे।

    छह मरीजों की इससे माैत भी गई थी। वर्ष 2024 में मामले कम होने के स्थान पर और बढ़ गए और 1,30,100 मामले अस्पतालों में इन रोगों के आए। नौ मरीजों की मौत हो गई। इस वर्ष के पहले सात महीनों में अभी तक पीलिया, डायरिया, हेपेटाइटिस, पेचिश और टायफायड के 79,677 मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि नौ मरीजों की माैत भी हो चुकी है।

    हर वर्ष दस से बीस हजार मामले बढ़ रहे हैं।यह वे मामले हैं जो कि अस्पतालों में आते हैं। हजारों लोग अस्पतालों में इलाज के लिए पहुंचते ही नहीं हैं। जबकि सरकार सभी घरों में स्वच्छ जल से जल पहुंचाने के दावे करती है।

    जम्मू सबसे अधिक प्रभावित

    आंकड़ों के अनुसार जम्मू जिला सबसे अधिक प्रभावित है और कुल आनेे वाले मामलों में बीस प्रतिशत मामले इसी जिले से आते हैं।जिले में सबसे अधिक डायरिया के मामले आते हैं। हैरानगी कि बात यह है कि इस जिले में कोई भी दूरदराज का पहाड़ी क्षेत्र नहीं है जहां पर स्वच्छ पेयजल पहुंचाना कोई बड़ी चुनौती हो।इसके बाद पुंछ, राजौरी और कठुआ जिलों में डायरिया के मामले अधिक आते हैं। इन जिलों में जरूर कुछ पहाड़ी व दूरदराज के क्षेत्र है लेेकिन सरकार इन सभी में नल सेे जल पहुंचाने का दावा करती है।

    कश्मीर में श्रीनगर प्रभावित

    कश्मीर में श्रीनगर जिले में हेपेटाइटिस के मामले सबसे अधिक आते हैं। संभाग में आए कुल मामलों में से अस्सी प्रतिशत इसी जिले के हैं जबकि बारामुला में डायरिया के मामले अधिक आते हैं। श्रीनगर और कुलगाम में टायफायड़ के मामले सबसे अधिक दर्ज किए जाते हैं।सभी का कारण दूषित पेयजल की सप्लाई होना ही है।कुछ वर्ष से दक्षिण कश्मीर के ग्रामीण क्षेत्रों में भी हेपेटाइटिस के मामले बढ़े हैं।

    इन कारणों से नहीं पहुंच पाता लोगों के घरों तक स्वच्छ पानी

    • -लोगों के घरों तक स्वच्छ पानी नहीं पहुंच पाता है।अमृत योजना के तहत जम्मू की सभी पानी की पाइपें बदली जानी थी लेकिन वे भी नहीं बदली गई।जल आपूर्ति के लिए बिछाई गई पाइपलाइनें, कई जगहों से टूअी हुई हैं और कई जगहों से लीक हुई है।इससे कई बार गंदा पानी पीने के पानी के साथ मिल जाता है और समस्या बढ़ाता है।
    • -ट्यूबवेलों से सप्लाई होने वाले पानी का भी सही तरीके से ट्रीटमेंट नहीं होता है। यहां से पानी को अोवरहेड टैंकों में भेजा जाता है और वहां से पानी सप्लाई कर दिया जाता है।
    • -समय-समय पर कई जगहों पर जल उपचार सयंत्र भी सही तरीके से काम नहीं कर पाते हैं। इस कारण भी समस्या बढ़ जाती है। पानी को सही तरीके से शुद्ध नहीं किया जा पाता है।
    • -घरों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों व अन्य स्रोतों से निकलने वाले सीवेज अौर मानव अपशिष्ट भी जल स्रोतों को दूषित करते हैं।
    • -खेतों में फलों व सब्जियों पर छिड़के जाने वाले कीटनाशक, उर्वरक भी भूजल और अन्य पानी के स्रोतों में मिल जाते हैं।
    • -बाढ़ समस्या को और बढ़ाती है। बिजली के ट्रांसफार्मर अौर पानी की पाइपें इसमें बह जाती हें और लोगों को पानी की सप्लाई नहीं मिल पाती। लोग प्राकृतिक स्रोतों पर निर्भर रहते हें या फिर गंदा पानी पीने को विवश हो जाते हैं।
    • -कई बार लोगों को प्राकृतिक स्रोतों से पानी पीने के कारण भी बीमार होते देखा गया है। इनमें हानिकारक बैक्टेरिया मिलता है। राजौरी जिले में इस वष जिस गांव में 18 लोगों की मौत हो गई थी, वहां के एक प्राकृतिक स्रोत का पानी भी जांच करने पर अयोग्य मिला था।

    जल जीवन मिशन पर लगे प्रश्नचिन्ह

    वर्ष 2019 में शुरू हुए जलजीवन मिशन पर भी जम्मू-कश्मीर में कई प्रश्नचिन्ह लगे। इसे 11000 करोड़ रुपयों का घोटाला भी राजनीतिक दल करार दे रहे हैं। इसकी जांच समिति जांच कर रही है। पूर्व आइएएस अधिकारी अशोक परमार ने सबसे पहले इस पर प्रश्नचिन्ह लगाए थे।

    यह भी आरोप है कि कई जिलों में जंगलों में प्लास्टिक की पानी की पाइपें बिछाई गई थी जो कि जंगलों में आग लगने के कारण जल गईं। जम्मू के सुरुइसर, मानसर, डोडा जिलों में इसे पानी की सप्लाई बाधित होने के आरोप लगे थे।

    जल शक्ति विभाग की ओर से सप्लाई किए जाने वाला पानी पूरी तरह से स्वच्छ है। अगर किसी को लगता है कि उनके घरों में सप्लाई होने वाली पानी सही नहीं है तो सब डिवीजन स्तर पर लेबोरेटरी बनाई गई हैं जिनमें जांचकर कोई भी पानी की जांच करवा सकता है।

    - वीरेंद्र सिंह पठानिया, तकनीकी अधिकारी पीएचई

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