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    World Heritage Week : जम्मू में हड़प्पा सभ्यता और कुषाण काल से लेकर वर्तमान डोगरा शासकों तक के पुरावशेष मौजूद

    By Rakesh SharmaEdited By: Lokesh Chandra Mishra
    Updated: Mon, 21 Nov 2022 02:45 PM (IST)

    ऐतिहासिक चित्र पांडुलिपियां आभूषण सिक्के हस्तशिल्प और हथकरघा आदि यहां के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक गरिमा का बखान कर रहे हैं। इन धरोहरों से रूबरू होने के लिए श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों का दल जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन डोगरा शासकों के शाही निवास मुबारक मंडी पहुंचा।

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    छात्रों और प्राध्यापकों ने डोगरा कला संग्रहालय, शस्त्रागार और लघु कला के स्कूलों के बारे में जानकारी हासिल की।

    कटड़ा, संवाद सहयोगी : जम्मू क्षेत्र में धरोहरों की कमी नहीं है। बस इसे जानने और इसे संरक्षित करने की जरूरत है। यहां हड़प्पा सभ्यता और कुषाण काल से लेकर वर्तमान डोगरा शासकों तक के पुरावशेष हैं। इस पर अध्ययन और शोध की अपार संभावनाएं हैं। ऐतिहासिक चित्र, पांडुलिपियां, आभूषण, सिक्के, हस्तशिल्प और हथकरघा आदि यहां के गौरवशाली इतिहास और सांस्कृतिक गरिमा का बखान कर रहे हैं। इन धरोहरों से रूबरू होने के लिए श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय (SMVDU) के विद्यार्थियों और प्राध्यापकों का दल जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन डोगरा शासकों के शाही निवास Mubarak Mandi पहुंचा।

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    अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग ने SMVDU प्रशासन के सहयोग से मुबारक मंडी में एक कार्यक्रम किया। आजादी का अमृत महोत्सव के तत्वावधान में विश्व धरोहर सप्ताह पर आयोजित इस कार्यक्रम में एसएमवीडीयू के कुलपति पद्मश्री प्रो. आरके सिन्हा मुख्य अतिथि थे। अभिलेखागार, पुरातत्व और संग्रहालय विभाग के निदेशक प्रदीप कुमार की अगुआई में एसएमवीडीयू के छात्रों और प्राध्यापकों ने डोगरा कला संग्रहालय, शस्त्रागार और लघु कला के स्कूलों के बारे में जानकारी हासिल की। पुराने ऐतिहासिक चित्र, पांडुलिपियां, आभूषण, सिक्के, हस्तशिल्प और हथकरघा को कैसे संरक्षित किया जाता है उसके बारें में जाना।

    जम्मू क्षेत्र की विरासत पर चर्चा और विद्यार्थियों को जागरूक किया

    बाद में एक बैठक हुई, जिसमें एसएमवीडीयू के वीसी प्रो. आरके सिन्हा और डा. ललित गुप्ता ने अलग-अलग संदर्भों में विशेष रूप से जम्मू क्षेत्र की विरासत पर चर्चा की और विद्यार्थियों को जागरूक किया। प्रो. सिन्हा ने भारत की विरासत को प्रोत्साहित और प्रचारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया और छात्रों को समृद्ध विरासत व संस्कृति में गहरी रुचि विकसित करने के लिए प्रेरित किया। सिन्हा ने कहा कि दिलचस्प बात यह है कि जम्मू क्षेत्र में हड़प्पा सभ्यता और कुषाण काल से लेकर वर्तमान डोगरा शासकों तक के पुरावशेष हैं। यह इस दिशा में शोध के लिए विस्तृत क्षेत्र है।

    प्रतिभागियों ने बसोहली के लघु चित्रों में रुचि दिखाई

    एसएमवीडीयू के रजिस्ट्रार नागेंद्र सिंह जम्वाल ने भी संस्कृति और विरासत के बारे में जानकारी के प्रचार-प्रसार व उनके संरक्षण पर जोर दिया। सहायक निदेशक संगीता शर्मा और डोगरा कला संग्रहालय के क्यूरेटर मुकुल मगोत्रा ने शाही परिसर का दौरा करने वाले छात्रों और मेहमानों का मार्गदर्शन किया। डा. संगीता ने कहा कि अंबारां के टेराकोटा हेड, अखनूर, बसोहली, पुरमंडल, घोरा गली की मूर्तियां हमारी समृद्ध विरासत व शिल्प कौशल का प्रदर्शन करती हैं। प्रतिभागियों ने बसोहली के लघु चित्रों में रुचि दिखाई, जिसका महत्व और पेचीदगियों को मुकुल मगोत्रा ने समझाया।

    डा. संगीता ने कहा कि आज के एसएमवीडीयू के साथ कार्यक्रम के अलावा विश्व विरासत सप्ताह मनाने के लिए डोगरा कला संग्रहालय में एक विशेष प्रदर्शनी चल रही है। इसमें शिक्षाविदों, विरासत के प्रति उत्साही और कला प्रेमियों का हुजूम उमड़ रहा है। शाही परिसर के सेंट्रल पार्क में राम दित्ता और पार्टी द्वारा शानदार लोक प्रदर्शन ने दर्शकों को अपनी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के लिए एक नए उत्साह व प्रेम के साथ प्रेरित किया। हर साल 19 से 25 नवंबर तक दुनियाभर में मनाया जाने वाला विश्व विरासत सप्ताह का उद्देश्य विरासत के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना और संरक्षण व संवर्धन को प्रोत्साहित करना है।